1 दिसंबर, गुरूवार को एक वीडियो वायरल हुई थी. जिसमें मध्य प्रदेश (Madhya pradesh) का एक आदिवासी शख्स खेत में जहर पीते (consumed some poisonous substance) हुए दिख रहा है. इस शख्स की पहचान रामदेव काकोडिया (Ramdev Kakodiya) के रूप में हुई है.
रामदेव ने वन विभाग (forest department) पर ये आरोप लगाया है की उन्होंने उसके खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए और वन विभाग द्वारा उसकी ज़मीन का भी अतिक्रमण किया गया है.
रामदेव ने वीडियो में कहा, “ वन विभाग ने मेरे खिलाफ 15 से 20 झूठे मामले दर्ज किए है और पिछले 20 सालों से ये मुझे जमीन को लेकर परेशान कर रहे हैं. जबकि मैंने इस जमीन को अदालत मुकदमे में जीत लिया था. मुझसे ये शोषण अब नहीं सहा जा रहा है. इसलिए आज मैं ये जहर पी रहा हूं.
यह भी ध्यान देने वाली बात है की वीडियो में कोई भी शख्स आदिवासी को रोकते हुए नजर नहीं आया. लेकिन जैसे ही उसने जहरीले पदार्थ का सेवन किया, खेत में मौजूद कुछ लोगों द्वारा उसे अस्पताल ले जाते हुए देखा गया.
वन आधिकारी के कार्यकर्ता भी वीडियो में दिखे लेकिन इनमें से कोई भी रामदेव की मदद करते हुए नहीं दिखा. इसके साथ ही जेसीबी को खेत समतल करते हुए वीडियो में देखा जा सकता है.
वहीं इस पूरी स्थिति में देवास डीएफओ, प्रदीप मिश्रा ने कहा, “ वन्य जीव की सुरक्षा के लिए हम जंगल की जमीन पर सीमांकन कर रहे थे. तभी हमने देखा की रामदेव जाने अनजाने में अतिरिक्त भूमि पर कब्जा कर रहा था. हमारी टीम उसे यहीं बताने गई थी की कितनी भूमि पर उसका हक है और कितनी भूमि वन विभाग के अंतर्गत आती है. तभी ये हादसा घाटित हुआ.”
आदिवासी और वन विभाग के बीच सादियों से भूमि को लेकर संघर्ष जारी है. वन अधिकार अधिनियम लागू तो है लेकिन इसे ज़मीनी स्तर पर प्रभावशाली बनाने की जरूरत है.