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तमिलनाडु के आदिवासी स्कूलों ने बनाया रिकॉर्ड, 12वीं में 90% से ज्यादा छात्र हुए पास

आदि द्रविड़ और कल्याण विभाग के स्कूलों का 2023 में 88 प्रतिशत 2022 में 83 प्रतिशत पासिंग रिकॉर्ड रहा है. लेकिन इस साल यह पासिंग रिकॉर्ड 90 प्रतिशत से भी ज्यादा है.

तमिलनाडु (Tribes of Tamil Nadu) में 126 स्कूल के 90 प्रतिशत से ज्यादा छात्र-छात्राएँ 12वीं कक्षा पास करने में सफल रहे हैं. यह स्कूल आदि द्रविड़ और जनजातीय कल्याण विभाग (Adi Dravidar and Tribal Welfare) द्वारा नियंत्रित किया जाता है.

सोमवार, 6 मई को इन सभी बच्चों के परिक्षा के परिणाम (12th result) आए थे. इस बारे में मिली जानकारी के मुताबिक 98 आदि द्रविड़ और 28 जनजातीय कल्याण हाई स्कूलों के 5 हज़ार 460 छात्र-छात्राओं ने इस साल 12वीं कक्षा की परीक्षा दी है.

आदि द्रविड़ स्कूल के 4 हज़ार 145 में से 3 हज़ार 778 छात्र-छात्राएं (tribal students) परीक्षा में सफल रहें हैं. यह भी पता चला है कि पिछले दो शैक्षणिक वर्षों की तुलना में इस साल का पासिंग रिकॉर्ड सबसे बेहतर रहा है.

इस साल आदि द्रविड़ और जनजातीय कल्याण विभाग के अंतर्गत पढ़ने वाले स्कूलों का रिकॉर्ड 91.15 प्रतिशत रहा है.
इसके अलावा एकलव्य मॉडल स्कूल और जनजातीय कल्याण स्कूल का पासिंग रिकॉर्ड भी इस साल बेहतर रहा है.

इन स्कूलों के 1402 छात्र-छात्राओं ने परीक्षा दी है. जिसमें से 1334 छात्र-छात्राएं परीक्षा में सफल रहे हैं.
2023 में 88 प्रतिशत 2022 में 83 प्रतिशत पासिंग रिकॉर्ड रहा है.

इसके अलावा इस साल 26 आदि द्रविड़ और जनजातीय कल्याण विभाग का पासिंग रिकॉर्ड 100 प्रतिशत रहा है.
12वीं के रिजल्ट में 8 प्रतिशत छात्र-छात्राएं 80 फीसदी से अधिक अंक हासिल कर पाए हैं.

वहीं लगभग 47 फीसदी छात्रों ने 60 से 79 प्रतिशत के बीच अंक प्राप्त किए, जबकि 44 फीसदी छात्र-छात्राओं की पासिंग रिकॉर्ड 35 से 59 प्रतिशत के बीच ही रहा है.

इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा की इस साल राज्य में आदिवासी कल्याण स्कूल और एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल स्कूल के छात्र-छात्राओं का परीक्षा में प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है.

जनजातीय कल्याण विभाग के निदेशक एस. अन्नादुराई ने छात्र-छात्राओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि एक समय ऐसा भी था जब जनजातीय कल्याण विभाग के स्कूल का पासिंग रिकॉर्ड देश के औसत से कम हुआ करता था.

इसके अलावा उन्होंने कहा की जितने भी छात्र-छात्राएँ पास हुए है, उन्हे उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. वहीं जो बच्चे पास नहीं हो पाए, उन्हें सप्लीमेंट्री परीक्षा की तैयारी करवाई जा रही है.

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