HomeAdivasi Dailyआंध्र प्रदेश: आदिवासी महिला ने सड़क किनारे बच्चे को दिया जन्म

आंध्र प्रदेश: आदिवासी महिला ने सड़क किनारे बच्चे को दिया जन्म

सोमवार की सुबह 4 बजे 28 साल की आदिवासी महिला वसंता को प्रसव पीड़ा हुई. जिसके बाद उनके पति भास्कर राव ने एंबुलेंस बुलाने के लिए 108 पर कॉल किया. करीब 6 बजे एंबुलेंस गाँव से करीब 1 किलोमीटर दूर आकर खड़ी हो गई.

आंध्र प्रदेश (Tribes of Andhra Pradesh) में आदिवासी महिला को मजबूरन सड़क पर ही एक बच्ची को जन्म देना पड़ा. यह घटना अल्लूरी सीताराम राजू ज़िले के कोडु गाँव की है. इस गाँव में पक्की सड़कों का आभाव है.

सोमवार की सुबह 4 बजे 28 साल की वसंता को प्रसव पीड़ा हुई. जिसके बाद उनके पति भास्कर राव ने एंबुलेंस बुलाने के लिए 108 पर कॉल किया. करीब 6 बजे एंबुलेंस गाँव से करीब 1 किलोमीटर दूर आकर खड़ी हो गई.

पक्की सड़क (Road connectivity) न होने के कारण एंबुलेंस गाँव तक नहीं पहुंच पाई. उसे गांव से एक किलोमीटर दूर रुकना पड़ा.
आशा कार्यकर्ताओं सहित गाँव की अन्य महिलाओं ने यह कोशिश की वे गर्भवती महिला को एंबुलेंस तक ले जाए.

लेकिन गर्भवती महिला की पीड़ा बढ़ने लगी. जिसके बाद बसंती ने रास्ते में ही अपने तीसरे बच्चे को जन्म दिया.
बच्ची होने के बाद महिला को प्राथमिक हेल्थ सेंटर ले जाया गया.

कोडु गाँव अनंतगिरि मंडल में स्थित है. इस गाँव में 120 लोग रहते हैं. गाँव के सरपंच ने बताया कि मिशन कनेक्ट कार्यक्रम और मनरेगा गारंटी अधिनियम ने गाँव में अभी तक कोई फायदा नहीं पहुंचाया है.

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि नेता इन योजनाओं पर करोड़ों खर्च करने का वादा करते है लेकिन उसे कभी भी पूरा नहीं करते.

2017 में मनरेगा के तहत गाँव के लोगों को सड़क बनाने का आदेश दिया गया था. जिसके कुछ समय बाद सड़क बनाने का काम फिर बीच में ही रोक दिया गया.

आदिवासियों ने एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना से यह आग्रह किया कि वे इस समस्या का सामाधान करें.
इस तरह की ये पहली घटना नहीं है अक्सर सड़क के अभाव के कारण गर्भवती आदिवासी महिलाओं को इस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

इन्ही सभी समस्याओं से परेशान पिछले महीने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर अल्लूरी सीताराम राजू जिले की आदिवासी महिलाओं ने एक अनेखा प्रदर्शन किया था.

जिसमें महिलाओं ने बांस और कपड़े मदद से एक डोली बनाई और उसमें बच्चे को बैठाकर पैदल चलीं. महिलाओं का कहना था कि सड़क नहीं होने की वजह से उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

कोई भी मेडिकल इमरजेंसी होने पर अस्पताल तक जाने के लिए कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में आदिवासी कपड़े की डोली बनाकर अस्पतालों तक जाते हैं. इस दौरान जान का ख़तरा बढ़ जाता है. साथ ही समय भी काफी खराब होता है.

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