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महाराष्ट्र में आदिवासी महिलाएं सैनिटरी पैड बनाने में हो रही हैं प्रशिक्षित

महाराष्ट्र (Maharashtra) के मेलघाट (Tribes of Melghat) में आदिवासी महिलाओं को सैनिटरी पेैड बनाने में प्रशिक्षित किया जा रहा है. यह पहाड़ी इलाका कोरकु महिलाओं और बच्चों (Korku women and children) में कुपोषण के लिए बदनाम है.

मेलघाट में आदिवासी महिलाओं को कपड़ों से सैनिटरी पैड (Sanitary pads) बनाना सिखाया जा रहा है.

इसके साथ ही इन महिलाओं को परियड से जुड़े स्वच्छता कदमों क बारे में जागरूक भी किया जा रहा हैं.

इस प्रशिक्षण की शुरूआत इंट्रगेट्ड ट्राइबल डेवलपमेंट प्रोजेक्ट धारणी (Integrated Tribal Development project Dharani) ने अपने एक प्रोग्राम के द्वारा की है.  

सैनिटरी पैड प्रशिक्षण

ज़िला प्रशासन का दावा है कि 40 डिग्री की तपती गर्मी में मेलघाट के चौराकुंड गाँव में हर सुबह 15 आदिवासी महिलाएं एक झोपड़े में एकत्रित होती है.

यहां सैनिटरी पैड को सिलने से लेकर कपड़ों की गुणवत्ता समझने तक इन आदिवासी महिलाओं को हर एक प्रक्रिया सिखाई जा रही है.

ऐसा दावा किया गया है कि यह सैनिटरी पैड बाज़ार में मिलने वाले डिस्पोजेबल पैड से कई गुना बेहतर है.

क्योंकि यह कपड़े से बने है, तो इन्हें धोकर फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है. इसलिए यह पर्यावरण अनुकूल भी है.

यह भी दावा किया गया है कि कपड़े से बने इस पैड में पीयूएल मेट्रेरियल (PUL Material) का इस्तेमाल किया गया है, जो काफी हद तक परियड के दौरान होने वाले संक्रमण से बचाव करते है.

इस प्रोग्राम की शुरूआत 2024 के फरवरी महीने में की गई थी. उस समय आईटीडीपी ने पहली कार्यशाला शुरू की थी.

इस कार्यशाला में धरणा तालुक के अलग अलग गाँव से लगभग 70 महिलाएं आई थी.

आईटीडीपी धारणा के कलेक्टर और प्रोजेक्ट ऑफिसर, रिचर्ड यान्थन ने बताया कि प्रोग्राम के तहत महिलाओं को परियड से जुड़े स्वच्छता कदमों और सर्वाइकल कैंसर (cervical cancer) जैसे बीमारियों से अवगत भी करवाया जाता है.

उन्होंने कहा कि हमारे प्रोग्राम का उद्येश्य परियड से जुड़े स्वच्छता कदमों के बारे में जागरूकता और कपड़े से बने पैड के फायदे के बारे में सभी को जानकारी देनी है.

उन्होंने यह भी बताया की इस पैड को बाज़ार में 28 मई यानी मेंसुरेशन हेल्थ दिवस के दिन लाया जाएगा.

इसके अलावा उनकी टीम चाहती है कि उनके पहले क्लाइंट आश्रम शाला हो. यह आश्रम शाला कई आदिवासी महिलाओं का छात्रवास है.

महाराष्ट्र का मेलघाट के कई टाइगर रिजर्व (Melghat Tiger Reserve) के तौर पर जाना जाता है. लेकिन यह इलाका आदिवासियों में कुपोषण के लिए बदनाम है.

मेलघाट एक पहाड़ी क्षेत्र है जिसमें दो तहसील धारणी और चिखलदरा शामिल हैं. यह अंचल लगभग 25 साल पहले कुपोषण के कारण सुर्खियों में आया था.

मेलघाट सरकारी तंत्र की उपेक्षा के कारण स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, सड़कों की दुर्दशा, अंधविश्वास, बाल विवाह और कई अन्य मुद्दों के लिए ही चर्चा में आता है.

इस पहाड़ी इलाके में कोरकु आदिवासी समुदाय सबसे बड़ा है. इस समुदाय में बाल मृत्यु दर बहुत ज़्यादा है.

सरकार ने यहां कई उपायों को लागू किया, लेकिन स्थिति में ज्यादा परिवर्तन होता नहीं दिखाई देता मेलघाट की धारणी तहसील में प्रशासन की महिला स्वास्थ्य से जुड़ी यह पहल भी एक औपचारिकता मात्र साबित ना हो..यही उम्मीद की जा सकती है.

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