HomeAdivasi Dailyत्रिपुरा: आदिवासी स्वायत्त परिषद ने फंड के लिए राज्यपाल से गुहार लगाई

त्रिपुरा: आदिवासी स्वायत्त परिषद ने फंड के लिए राज्यपाल से गुहार लगाई

TTAADC (त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद) ने राज्यपाल (governor) से जिला परिषद क्षेत्रों में विकास से संबंधित मुद्दो पर हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है.

टीटीएएडीसी (त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद) ने राज्यपाल से जिला परिषद क्षेत्रों में विकास से संबंधित मुद्दो पर हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है.

17 नवंबर, गुरूवार को अगरतला के राज भवन में टीटीएएडीसी के मुखिया पूर्ण चंद्र जमातिया (Purna Chandra Jamatia) राज्यपाल इंद्रसेना रेड्डी नल्लू (governor Indrasena Reddy Nallu) से मिले थे. इस मीटिंग के दौरान उन्होंने राज्यपाल से लगभग 24 बिलों पर सहमती मांगी है.

इसके अलावा उन्होंने एक पत्र भी सौंपा है. जिसमें टीटीएएडीसी की मांगों के बारे में विस्तार से लिखा गया है.

उन्होंने ये बताया की 2023-24 में जिला परिषद क्षेत्रों में विकास कार्य करने के लिए 481 करोड़ की जरूरत थी. ताकि प्रशासन सभी 6871 कर्मचारी को वेतन, पेंशन दें सके. इसके अंतर्गत अन्य प्रशासनिक खर्चे भी शामिल थें.

पूर्ण चंद्र जमातिया ने कहा, “ प्रशासन द्वारा इन सभी खर्चों के लिए राज्य बजट से 360 करोड़ ही प्राप्त हुए. ये राशि सभी खर्चों को पूरा करने के लिए सक्षम नहीं है.

इसके अलावा उन्होंने मीटिंग के दौरान कल्याण कार्य में लगने वाला खर्चा, वेतन, मजूदरी और पेंशन जैसे खर्चों के लिए अलग से खाता बनाने का भी आग्रह किया है.

टीटीएएडीसी के नेता ने ये भी बताया की 2023-24 के लिए उन्होंने सरकार से बजट में 1148.35 करोड़ की मांग की थी. लेकिन सरकार द्वारा सिर्फ 672.64 करोड़ ही इन्हें प्राप्त हुए.

वहीं उन्होंने एडीसी के ग्राम समिति (Village Council) के चुनाव में देरी पर भी बात की है. ग्राम समिति के लिए नेता का चुना जाना था. जो गाँवों में विकास गतिविधियाँ, प्रशासनिक कार्यो में निगरानी और योजना का कार्य करेगा.

त्रिपुरा में संविधान की अनुसूचि 6 के तहत आदिवासी इलाकों के विकास के लिए स्वायत्त ज़िला परिषद का गठन किया गया है.

लेकिन इस परिषद को वित्तीय फैसलों के लिए राज्य सरकार पर निर्भर रहना पड़ता है. क्योंकि स्वायत्त ज़िला परिषद को विकास के लिए पैसा राज्य सरकार से ही मिलता है.

त्रिपुरा में स्वायत्त ज़िला परिषद का दावा है कि यहां पर विकास और रोज़गार के लिए वित्तीय मदद की ज़रूरत है.

लेकिन राज्य सरकार परिषद के लिए उचित बजट की मांग को नज़रअंदाज़ कर रही है. इस सिलसिले में आदिवासी स्वायत्त ज़िला परिषद के नेता धरना-प्रदर्शन भी कर चुके हैं.

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