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पुलिस अधिकारी (SDPO) ने आदिवासी महिला को थप्पड़ मारा, विधान सभा में मामला उठा

कांग्रेस विधायक ने अध्यक्ष से एक समिति गठित करने की मांग की जो गांव का दौरा करेगी और मामले की जांच करेगी. वहीं विधायक संतोष सिंह सलूजा ने मामले की सीबीआई जांच की मांग की, जबकि विधायक नरसिंह मिश्रा ने घटना की न्यायिक जांच की मांग की. बीजेपी ने भी कांग्रेस की मांगों का समर्थन किया है.

चित्रकोंडा के अनुमंडल पुलिस अधिकारी (SDPO) अंशुमान द्विवेदी द्वारा एक आदिवासी महिला को थप्पड़ मारने की घटना पर ओड़िशा विधान सभा में ग़ुस्सा देखा गया. इस मसले पर विपक्षी दलों – कांग्रेस और बीजेपी ने सदन की कार्रवाई को स्थगित करने के लिए मजबूर किया.

कांग्रेस ने विधान सभा में इस मुद्दे को ज़ोर शोर से उठाया. बीजेपी के सदस्यों ने भी इस मामले में रोष प्रकट किया.

यह मुद्दा कांग्रेस सदस्य ताराप्रसाद बाहिनीपति ने शून्यकाल के दौरान उठाया था जिसका बीजेपी के सदस्यों ने भी समर्थन किया था. इस संबंध में अध्यक्ष से फैसला लेने की मांग को लेकर दोनों पार्टियों के विपक्षी सदस्यों ने सदन के बीचोबीच आकर प्रदर्शन किया.

बाहिनीपति ने आरोप लगाया कि एसडीपीओ ने 7 जून की मध्यरात्रि को चित्रकोंडा प्रखंड के आरएसी-13 गांव में आदिवासियों के घरों में अवैध रूप से प्रवेश किया और गलत सूचना के आधार पर बिना किसी महिला पुलिस के छापेमारी की कि लोग अवैध गांजा व्यापार में लिप्त हैं.

इतना ही नहीं एसडीपीओ ने एक गर्भवती महिला, एक 80 वर्षीय महिला और एक नाबालिग लड़की को बुरी तरह पीटा. उन्होंने कहा कि गंभीर रूप से घायल चार महिलाओं को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन पुलिस के दबाव में डॉक्टर ने झूठा सर्टिफिकेट बना दिया कि कोई चोट नहीं है.

उन्होंने घायलों की तस्वीरें दिखाईं और डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की. साथ ही घटना की मजिस्ट्रेट स्तर की जांच की मांग की और आरोपी एसडीपीओ को तत्काल निलंबित करने की भी मांग की.

कांग्रेस विधायक ने अध्यक्ष से एक समिति गठित करने की मांग की जो गांव का दौरा करेगी और मामले की जांच करेगी. वहीं विधायक संतोष सिंह सलूजा ने मामले की सीबीआई जांच की मांग की, जबकि विधायक नरसिंह मिश्रा ने घटना की न्यायिक जांच की मांग की. बीजेपी ने भी कांग्रेस की मांगों का समर्थन किया है.

उन्होंने कहा, “हम घटना की न्यायिक जांच की मांग करते हैं. हम भी एक हाउस कमेटी से जांच की मांग करते हैं. जब तक इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई नहीं की जाती, बीजेपी चैन से नहीं बैठेगी.”

इस बीच, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक और अन्य पिछड़ा वर्ग मंत्री जगन्नाथ सारका ने इस घटना की निंदा की और एसडीपीओ के खिलाफ कानून के अनुसार सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया.

इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, “यह वास्तव में एक दुखद घटना है. लेकिन हमें उन परिस्थितियों की जांच करनी होगी जिनके कारण ऐसी जघन्य घटना हुई. जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी.”

इस बीच स्पीकर बी. के. अरुखा ने गृह राज्य मंत्री तुषारकांति बेहरा को दिन का कामकाज खत्म होने से पहले इस मुद्दे पर बयान देने का निर्देश दिया. जिसके बाद बेहरा ने क्राइम ब्रांच के पुलिस महानिरीक्षक (IG) को घटना की जांच का प्रभार लेने के लिए सूचित किया.

चित्रकोंडा रहा है नक्सली प्रभावित इलाक़ा

चित्रकोंडा नक्सल प्रभावित ज़िले मलकानगिरी का हिस्सा है. एक समय में यह इलाक़ा नक्सल गतिविधियों का केन्द्र रहा है. यहाँ पर नक्सल प्रभाव को कम करने के लिए आदिवासी समुदाय के लोगों का भरोसा जीता गया.

लेकिन जब इस तरह की घटनाएँ सामने आती हैं और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी भी आदिवासियों पर अत्याचार में शामिल होते हैं तो नक्सल संगठनों को आदिवासी लोगों में अपना आधार बनाने में आसानी होती है.

(प्रतिकात्मक चित्र)

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