HomeAdivasi Dailyबालुरघाट: आदिवासी महिलाओं को दंडवत कराने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज़

बालुरघाट: आदिवासी महिलाओं को दंडवत कराने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज़

विरोध प्रदर्शन के दौरान स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए पुलिस तैनात की गई है. प्रायश्चित की रस्म निभाने वाली चारों महिलाओं के गांव में पुलिस पिकेट तैनात कर दी गई है.

पश्चिम बंगाल में चार आदिवासी महिलाओं का सड़क पर दंडवत करते हुए का वीडियो जब से सामने आया है तब से इस मामले को लेकर विवाद शुरू हो गया है. अब सैकड़ों आदिवासियों ने मंगलवार को बालुरघाट शहर में विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने तृणमूल नेताओं के खिलाफ कड़ा कदम उठाने की मांग की.

तीर-कमान, दरांती, कुल्हाड़ी और अन्य पारंपरिक हथियारों के साथ प्रदर्शनकारी दोपहर में स्थानीय हाई स्कूल मैदान में इकट्ठे हुए. वहां से उन्होंने शहर भर से जिलाधिकारी कार्यालय तक मार्च निकाला.

दक्षिण दिनाजपुर आदिवासी जौथा मंच के प्रतिनिधि राबिन हांसदा ने कहा, “पुलिस इस मामले में लापरवाह है. हमारे समुदाय की चार महिलाओं का अपमान किया गया और कुछ तृणमूल नेताओं द्वारा उन्हें अनुष्ठान करने के लिए मजबूर किया गया. हम इन लोगों के खिलाफ सख्त कदम चाहते हैं जो इस नृशंस कृत्य में शामिल थे. यह आश्चर्य की बात है कि पुलिस ने किसी को गिरफ्तार नहीं किया है.”

प्रदर्शनकारियों ने डीएम कार्यालय के सामने और बालुरघाट पुलिस स्टेशन के पास भी लगभग डेढ़ घंटे तक प्रदर्शन किया.

उन्होंने कहा कि राजीब बनर्जी, मुकुल रॉय, अर्जुन सिंह और बिप्लब मित्रा जैसे कई तृणमूल नेता भाजपा के खेमे में चले गए और बाद में तृणमूल में लौट आए. लेकिन इसके लिए किसी को प्रायश्चित करने के लिए नहीं कहा गया.

एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “क्या पार्टी उनमें से किसी से प्रायश्चित का ऐसा अनुष्ठान करवाता है? तृणमूल अक्सर आदिवासियों की बात करती है लेकिन अभी तक एक भी आदिवासी विधायक कैबिनेट मंत्री नहीं है. हमें लुभाने के लिए केवल कुछ आदिवासी नेता राज्य मंत्री हैं.”

प्रदर्शनकारियों ने प्रदीप्ता चक्रवर्ती का भी उल्लेख किया, जो दक्षिण दिनाजपुर में तृणमूल महिला विंग की जिलाध्यक्ष थीं, जब यह अनुष्ठान हुआ था. हालांकि, चक्रवर्ती को रविवार को उनके पद से हटा दिया गया था जब राज्य नेतृत्व को पता चला कि वह प्रायश्चित अनुष्ठान करने में शामिल थीं.

राबिन हासंदा ने कहा, “हालांकि, प्रदीप्ता चक्रवर्ती अभी भी बालुरघाट नगरपालिका की उपाध्यक्ष बनी हुई हैं. आदिवासियों को अपमानित करने के लिए उन्हें इस पद से तुरंत इस्तीफा देने के लिए कहा जाना चाहिए. पुलिस को भी उसके खिलाफ कदम उठाना चाहिए.”

विरोध प्रदर्शन के दौरान स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए पुलिस तैनात की गई है. प्रायश्चित की रस्म निभाने वाली चारों महिलाओं के गांव में पुलिस पिकेट तैनात कर दी गई है.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “पुलिस उपाधीक्षक रैंक के एक अधिकारी मामले की जांच कर रहे हैं. अभी के लिए हम जानकारी एकत्र कर रहे हैं.”

क्या है मामला?

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले टीएमसी के कई नेता और कार्यकर्ता बीजेपी में शामिल हो गए थे. नतीजों के बाद इनमें से कई टीएमसी में वापस लौट आए हैं. कुछ अभी भी सत्तारूढ़ दल में वापसी की राह देख रहे हैं हालांकि इसके लिए उनको भारी कीमत चुकानी पड़ रही है.

दरअसल दक्षिण दिनाजपुर में शनिवार को बीजेपी छोड़कर टीएमसी में शामिल होने के लिए आदिवासी महिलाओं को सड़क पर दंडवत करने के लिए मजबूर किया गया. इस घटना का एक वीडियो भी सामने आया था जिसमें आदिवासी महिलाएं 1 किलोमीटर तक सड़क पर दंडवत करती दिखी.

वीडियो में तृणमूल कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में गोफानगर गांव की मार्टिना किस्कू, शिउली मार्डी, ठाकरन सोरेन और मालती मुर्मू को दंडवत करते हुए देखा गया. जिसके बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया.

तृणमूल के उभार में आदिवासियों का योगदान रहा है

पश्चिम बंगाल में आज अगर तृणमूल कांग्रेस सत्ता में पहुंची है तो उसमें आदिवासियों की बड़ी भू्मिका है. राज्य में करीब 34 साल सत्ता में रही सीपीआई एम की सरकार के खिलाफ़ माहौल बनाने में आदिवासी इलाक़ों का बड़ी भूमिका थी.

जंगल महल के आदिवासी इलाकों ने जब वामपंथी दलों का साथ छोड़ दिया तो पूरे राज्य में यह संदेश गया कि वाम दल ग्रामीण इलाकों और ख़ासतौर से आदिवासी इलाकों के अपने गढ़ को गँवा चुकी है.

लेकिन अफ़सोस की बात है कि सत्ताधारी दल ने उसी समुदाय की महिलाओं को अपमानित करने से पहले एक बार भी नहीं सोचा. यह सत्ताधारी दलों का ही नहीं बल्कि पूरे ग़ैर आदिवासी समाज का आदिवासी समुदायों के प्रति हिकारत को दिखाता है.

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