HomeAdivasi Dailyछत्तीसगढ़: आदिवासी है जहां, सरकार बनती है वहां

छत्तीसगढ़: आदिवासी है जहां, सरकार बनती है वहां

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच चल रही है बड़ी तकरार किसकी बनेगी सरकार?

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव होने वाला है और बीजेपी और कांग्रेस आदिवासियों का वोट लेने के लिए उनको खुश करने में लगे हुए हैं.

छत्तीसगढ़ में आदिवासी जनसंख्या चुनाव की दृष्टि से अहम मानी जाती है. यह भी माना जाता है कि कि आदिवासी मतदाता जिस तरफ झुक जाता है सरकार उसी की बनती है.

इस पृष्ठभूमि में दोनों ही दल यानि सत्ताधारी कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल बीजेपी आदिवासी नेताओं को अहमियत दे रही है.

आदिवासी नेता नंद कुमार साय ने बीजेपी छोड़ कर कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली है. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के नेता अरविंद नेताम ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और आदिवासी समाज के लिए काम करने का प्रण लिया.

ध्यान देने वाली बात यह है की छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की आबादी 34 फीसद है और छत्तीसगढ़ में विधानसभा की कुल सीटें 90 हैं. जिनमें से 29 सीट आदिवासियों के लिए आरक्षित है.

विधानसभा चुनाव 2018 में  कांग्रेस ने 29 अनुसूचित जनजाति सीटों में से 26 पर कब्जा कर लिया था. वहीं बाद में हुए उपचुनावों के बाद कांग्रेस ने इन 29 सीटों में से 28 सीटों में अपनी जीत का परचम लहरया था.

लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में 11 में से 8 सीटें अपने नाम कर ली थी. इनमें आदिवासियों के चार आरक्षीत सीटों में से तीन सीटें बीजेपी ने कब्जा कर लिया था.

कांग्रेस और बीजेपी में आदिवासियों के बीच होने वाली है कड़ी टक्कर

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आदिवासियों के बीच अपनी अच्छी पकड़ बनाने की लगातार कोशिश कर रहे हैं. भूपेश बघेल सपथ लेने के बाद ही आदिवासियों की हजारों एकड़ जमीन वापस कराने का वादा किया है.

इस जमीन को स्टील परियोजना के लिए जबरदस्ती आदिवासियों छीन लिया गया था. भूपेश बघेल सरकार ने आदिवासियों को ध्यान में रख कर कई फैसले किये हैं.

लेकिन बीजेपी ने आदिवासी इलाकों में लगातार प्रचार किया है. छत्तीसगढ़ में लंबे समय सत्ता में रहने के बाद 2018 में बीजेपी सत्ता से बाहर हुई थी.

बीजेपी जानती है कि छत्तीसगढ़ की सत्ता में लौटने के लिए आदिवासियों का साथ ज़रूरी है. लेकिन पार्टी आदिवासी इलाकों में अधिकारों की लड़ाई की बजाए विभाजन की नीति अपनाई है.

बीजेपी ने आदिवासी इलाकों में लगातार आदिवासियों को धर्मांतरण के नाम पर बांट कर धुर्वीकरण पैदा करने की कोशिश की है.

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