त्रिपुरा बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (Tripura board of secondary education) के अध्यक्ष डॉ. धनंजय गण चौधरी (Dr. Dhanjay Gan Chaudary) के खिलाफ शनिवार को एफआईआर दर्ज की गई. क्योंकि इन पर यह आरोप है की इन्होंने आदिवासी छात्रों के साथ भेदभाव किया है और उनके अधिकारों का उल्लंघन किया है.
दरअसल अध्यक्ष चौधरी ने आदिवासी छात्रों को आगामी बोर्ड में कोकबोरोक भाषा (Kokborok language) की उत्तर पुस्तिका को केवल बंगाली लिपि में लिखने की ही अनुमति दी है.
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार टीबीएसई (TBSE) के अध्यक्ष के खिलाफ न्यू कैपिटल कॉम्प्लेक्स पुलिस स्टेशन और आदिवासी छात्रों के एक समूह द्वारा त्रिपुरा राज्य मानवाधिकार आयोग के पास अलग-अलग शिकायत दर्ज की गई थी.
एफआईआर में बताया गया है कि त्रिपुरा बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन में यह उल्लेख नहीं है कि कोकबोरोक के लिए किस लिपि का उपयोग किया जाना चाहिए. लेकिन अब बोर्ड परीक्षा में बंगाली लिपि का उपयोग करने के लिए बच्चों पर जोर डाला जा रहा है.
त्रिपुरा में काफी समय से कोकबोरोक के लिए लिपि विवाद चल रहा है. जिसमें विपक्षी टीआईपीआरए मोथा से जुड़ा आदिवासियों का एक वर्ग रोमन लिपि के लिए दबाव डाल रहा है लेकिन भाजपा इससे सहमत नहीं है.
मुख्यमंत्री डॉ माणिक साहा ने स्पष्ट कहा कि किसी भी छात्र को कोकबोरोक भाषा का उत्तर अनिवार्य रूप से बांग्ला लिपि में लिखने का निर्देश नहीं दिया गया है. हालांकि टीबीएसई इसका उल्टा कर रही है.
उन्होंने ये भी बताया की टीबीएसई में कोकबोरोक भाषा के प्रश्न पत्र को रोमन और बंगाली दोनों लिपि में प्रकाशित करने का अनुरोध सितंबर 2022 में प्रस्तुत किया गया था. जिसके बाद विधानसभा सहित कई चर्चाएं हुईं लेकिन इसमें कोई भी कार्रवाई नहीं की गई.
वहीं सीएम माणिक ने यह दावा किया है की मौजूदा वक्त में अंग्रेजी और बंगाली दोनों माध्यम स्कूलों के 99% छात्र रोमन लिपि के पक्ष में हैं इसलिए टीबीएसई छात्रों पर वह नहीं थोप सकता जो वे नहीं चाहते हैं.
इस बारे में मिली जानकारी के अनुसार 1991 में स्क्रिप्ट चयन समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी. जिसके अध्यक्ष श्यामा चरण थे और 2005 में त्रिपुरा उपजति भाषा आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी.
इन दोनों ही समितियों ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा था कि ज्यादातर लोग रोमन लिपि के पक्ष में हैं.
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने भी यह आरोप लगाया है की कोकबोरोक की परीक्षा लिखने की कोई भी एक लिपि नहीं है. लेकिन टीबीएसई छात्रों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन कर रही है.