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मणिपुर में नहीं थम रही हिंसा, इंफाल में स्कूल के बाहर महिला की गोली मारकर हत्या

यह घटना एक दिन पहले कांगपोकपी जिले में 2 सशस्त्र समूहों के बीच टकराव को सुरक्षा बलों द्वारा विफल करने के बाद हुई. घटना के दौरान पुलिस शस्त्रागार से हथियार लूटने के प्रयास को असफल किया गया था.

मणिपुर में जातीय हिंसा को दो महीने बीत चुके हैं लेकिन अभी भी राज्य में शांति बहाल नहीं हुई है. अभी भी कई इलाकों से हिंसा की खबरें सामने आ रही हैं. गुरुवार यानि आज सुबह इंफाल पश्चिम जिला में एक स्कूल के बाहर अज्ञात बदमाशों ने एक महिला की गोली मारकर हत्या कर दी.

इंफाल पुलिस ने बताया कि गुरुवार की सुबह महिला जब शिशु निकेतन स्कूल के बाहर खड़ी थी तभी बदमाशों ने इस घटना को अंजाम दिया है.

राज्य में एक दिन पहले ही स्कूल खोले गए हैं. और ऐसे में स्कूल के बाहर हुई इस तरह की घटना के बाद इलाके में दहशत फैल गई है. पुलिस ने बताया कि मृतक महिला की पहचान नहीं हो सकी है.

यह घटना एक दिन पहले कांगपोकपी जिले में 2 सशस्त्र समूहों के बीच टकराव को सुरक्षा बलों द्वारा विफल करने के बाद हुई. घटना के दौरान पुलिस शस्त्रागार से हथियार लूटने के प्रयास को असफल किया गया था.

टकराव में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी जबकि 10 लोग घायल हुए थे. इनमें 6 लोग गंभीर रूप से घायल हैं.

10 जुलाई तक इंटरनेट पर बैन

प्रदेश में जारी हिंसा के बीच सरकार ने इंटरनेट पर बैन को 10 जुलाई तक बढ़ा दिया है. सरकार ने बुधवार को कहा कि राज्य में शांति और सार्वजनिक व्यवस्था में किसी भी गड़बड़ी को रोकने के लिए इंटरनेट सेवाओं को अगले 5 दिनों तक यानी 10 जुलाई दोपहर 3 बजे तक सस्पेंशन बढ़ा दिया गया है.

पूर्वोत्तर राज्य में सबसे पहले अधिकारियों ने तीन मई को जातीय समुदायों के बीच झड़पें शुरू होने के बाद पहली बार राज्य में इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगाया था. इसे समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा है.

3 मई को शुरू हुई थी हिंसा  

दरअसल, मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में 3 मई को पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकता मार्च’ का आयोजन किया गया था. इस दौरान राज्य में पहली बार हिंसा भड़क गई थी, जिसमें अबतक 100 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और सैकड़ों लोग घायल हैं. इसके अलावा हजारों लोगों ने राहत शिविरों में शरण ली है.

राज्य में मैतेई समुदाय की आबादी 53 फीसदी है, जो कि इंफाल घाटी में रहती है जबकि नागा और कुकी समुदाय की आबादी करीब 40 फीसदी है, जो पहाड़ी जिलों में रहती है.

राज्य में 64 दिनों से जातीय हिंसा जारी है. पिछले दो महीने से राज्य के अलग-अलग हिस्सों से हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं.

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