मणिपुर में कुकी-मैतई हिंसा ने लोगों की ज़िंदगी पर कभी ना मिट सकने वाले घाव दिए हैं. पिछले दो महीने में मणिपुर में लोगों ने जो खोया है उसे लौटाया नहीं जा सकता है. इस दौरान जो हुआ है उसने सदियों से साथ रहते आए लोगों को बहुत दूर-दूर खड़ा कर दिया है. इस राज्य में शांति स्थापित करने के लिए इस दूरी को खत्म करना बेहद ज़रूरी है. लोगों के साथ जो हुआ है उसे भूल कर आगे बढ़ जाने की नसीहत शायद उन लोगों के दर्द को और बढ़ा देगी जिन्होंने अपने आशियाने को ही नहीं बल्कि अपने परिजनों को भी खो दिया है. इस दूरी को ख़त्म करने के लिए ज़रूरी है कि उनकी कहानी को सुना जाए….उनको यह विश्वास दिलाया जाए कि उनके दर्द को समझने की कोशिश की जा रही है…फिर से उठ खड़े होने में उनका हाथ पकड़ने को समाज और सरकार दोनों मौजूद हैं.
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