HomeAdivasi Dailyगोवा में आदिवासी नेताओं ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ काम...

गोवा में आदिवासी नेताओं ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ काम करने की चेतावनी दी

2011 की जनगणना के अनुसार राज्य की कुल आबादी में अनुसूचित जनजाति का हिस्सा 10. 23 प्रतिशत है. गोवा में 2 ज़िले है – उत्तरी गोवा और दक्षिण गोवा. उत्तरी गोवा में 6.92 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जनजाति की है. जबकि दक्षिण गोवा में ST की आबादी 10.47 प्रतिशत है.

गोवा के पणजी में विधानसभा क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों (Scheduled Tribes) को आरक्षण देने की मांग को लेकर अनशन पर बैठे आदिवासी नेताओं (Tribal leaders) ने रविवार को भूख हड़ताल वापस ले ली और चेतावनी दी कि वे आगामी लोकसभा चुनाव (Lok Sabha polls) में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खिलाफ काम करेंगे.

जेएकेयूवीईडी (गौड़ा, कुनबी, वेलिप, डांगेर) के बैनर तले समुदाय के नेता 6 मार्च से पणजी में भूख हड़ताल पर थे.

पत्रकारों से बात करते हुए एक नेता रूपेश वेलिप ने कहा कि वे हड़ताल वापस ले रहे हैं लेकिन आगामी चुनावों में भाजपा के खिलाफ काम करेंगे.

वेलिप ने कहा, ‘विस्तृत चर्चा के बाद यह निर्णय लिया गया कि गोवा के 300 से अधिक गांवों में आदिवासी समुदाय को बताया जाएगा कि सरकार उनकी मांगों को पूरा करने में कैसे विफल रही है.’

उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार लोकसभा चुनाव से पहले विधानसभा में अनुसूचित जनजाति (एसटी) आरक्षण के संबंध में अधिसूचना जारी करने में विफल रहती है, तो समुदाय सत्तारूढ़ दल का ‘चुनावी नुकसान’ सुनिश्चित करेगा.

वहीं केंद्रीय कैबिनेट ने गुरुवार को गोवा विधानसभा में अनुसूचित जनजातियों को आरक्षण प्रदान करने वाले बिल को मंजूरी दे दी.

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने मीडिया को केंद्रीय मंत्रिमंडल के इस फैसले के बारे में जानकारी देते हुए कहा था कि गोवा विधानसभा में एसटी समुदाय के लिए कोई सीट आरक्षित नहीं है. समुदाय की मांगों के बीच मंत्रिमंडल ने अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधत्व का पुनर्समायोजन विधेयक, 2024 को मंजूरी दे दी. इसके तहत जनगणना आयुक्त को गोवा में एसटी आबादी को अधिसूचित करने का अधिकार मिलेगा.

इसके आधार पर चुनाव आयोग गोवा की 40 सदस्यीय विधानसभा में एसटी आरक्षण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन आदेश, 2008 में संशोधन करेगा.

हाल ही में मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने विधानसभा में कहा था कि सदन में एसटी के लिए आरक्षण 2027 के विधानसभा चुनावों तक एक वास्तविकता होगी.

लेकिन वेलिप ने आरोप लगाया कि केंद्र का कदम एक “चुनावी रणनीति और सीधे तौर पर कानूनी प्रक्रिया को कमजोर करना” है.

उन्होंने कहा, “प्रस्तावित विधेयक बहुत ज्यादा समय लेने वाले रास्ते पर चलता है, जिसमें संसद की मंजूरी, जनगणना डेटा अधिसूचना और परिसीमन आयोग की कार्यवाही शामिल है.”

वेलिप ने कहा कि इससे 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए आरक्षण हासिल करने को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं.

उन्होंने दावा किया कि राज्य सरकार ने आदिवासियों के धन के उपयोग, नौकरी रिक्तियों, लंबित किरायेदारी मामलों, अधूरे वन अधिकार दावों और आदिवासी क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की कमी सहित उनके अधिकारों से इनकार करके “आदिवासियों को धोखा” दिया है.

वेलिप ने कहा, “काजू की फसल के लिए समर्थन मूल्य से लेकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, छात्रवृत्ति, कृषि सुविधाएं और स्वरोजगार के अवसरों तक उनकी मांगों को संबोधित करने में देरी से समुदाय व्यथित है.”

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, गोवा की 40 सदस्यीय विधानसभा में फिलहाल अनुसूचित जनजाति के लिए कोई सीट आरक्षित नहीं है. जबकि अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय के लिए एक सीट आरक्षित है. ऐसे में आदिवासी समुदाय गोवा विधानसभा की 40 में से चार सीटों को अपने लिए आरक्षित करने की मांग कर रहा है.

2011 की जनगणना के अनुसार राज्य की कुल आबादी में अनुसूचित जनजाति का हिस्सा 10. 23 प्रतिशत है. गोवा में 2 ज़िले है – उत्तरी गोवा और दक्षिण गोवा. उत्तरी गोवा में 6.92 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जनजाति की है. जबकि दक्षिण गोवा में ST की आबादी 10.47 प्रतिशत है.

राज्य की जनसंख्या आंकड़ों के आधार पर अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के कल्याण पर संसदीय समिति ने सिफारिश की है कि गोवा विधानसभा के 40 निर्वाचन क्षेत्रों में से 5 को अनुसूचित जनजाति के लिए और 2 को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया जाना चाहिए.

वहीं अगस्त 2022 में ही गोवा के यूनाइटेड ट्राइबल एसोसिएशन एलायंस (यूटीएए) ने इस मांग को लेकर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को भी ज्ञापन सौंपा था. ज्ञापन में बताया गया कि गोवा राज्य में, 12 प्रतिशत जनसंख्या अनुसूचित जनजाति (ST) की है और इन समुदायों को जनवरी 2003 में आदिवासी का दर्जा मिला था. लेकिन इसके बावजूद 19 सालों से इन समुदायों को विधानसभा में आरक्षण नहीं मिला है. जबकि इतने सालों में चार बार विधानसभा के चुनाव भी संपन्न हो चुके है.

भारत के संविधान के अनुच्छेद 330 के तहत लोकसभा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए सीटें आरक्षित की जाती है. वहीं अनुच्छेद 332 के तहत असम के स्वायत्त जिलों में अनुसूचित जनजातियों को छोड़कर हर राज्य की विधानसभा में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है.

अनुच्छेद 332 के खंड (1) के तहत किसी भी राज्य की विधानसभा में अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित सीटों की संख्या, विधानसभा में सीटों की कुल संख्या के समान अनुपात में होगी. राज्य की कुल जनसंख्या में अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या के अनुपात में सीटों का निर्धारण होगा.

लेकिन गोवा विधानसभा में 21 साल बाद भी अनुसूचित जनजाति के लिए एक भी सीट आरक्षित नहीं की गई है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments