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आधार से मोबाइल नंबर लिंक नहीं होने से आदिवासी और वंचित तबकों के छात्रों की स्कॉलरशिप रुक गई है

एसटी वर्ग के छह हजार 713 स्टूडेंट ने आवेदन किया, जिसमें छह हजार 576 स्टूडेंट के आवेदन स्वीकार किए गए. वहीं पांच हजार 999 छात्रों को स्कॉलरशिप मिली है. लेकिन इन छात्रों के खाते में पैसा अभी तक नहीं पहुँचा है.

मध्य प्रदेश छिंदवाड़ा जिले के कॉलेजों में पढ़ने वाले आरक्षित वर्ग के छह हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप नहीं मिल पा रही हैं. दो साल से शासकीय और प्राइवेट कॉलेज प्रबंधनों की लापरवाही की वजह से छात्र लाखों रुपये की छात्रवृत्ति से महरूम रह गए हैं. 

साल 2021-22 में दाख़िला लेने वाले स्टूडेंट्स के आवेदन स्वीकार तो कर लिए गये हैं, लेकिन तकनीकी खामियों के चलते स्टूडेंट्स के खातों में स्कॉलरशिप के पैस नहीं पहुंच पा रहे हैं.

जिले की 172 शैक्षणिक संस्थाओं में उच्च शिक्षा ले रहे आरक्षित वर्ग के 26 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स पाढ़ाई कर रहे हैं. यानि ये छात्र साल 2021-22 में शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश लेने के बाद एक साल की पढ़ाई पूरी कर चुके हैं. 

इसके बावजूद छह हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स को अब तक स्कॉलरशिप नहीं मिल पाई है. कॉलेजों के चक्कर लगाने के बाद स्टूडेंट्स सीएम हेल्पलाइन में भी शिकायतों की कतार लगा चुके हैं. विभाग से जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक, एससी-एसटी और ओबीसी के कई स्टूडेंट्स स्कॉलरशिप से वंचित हैं.

तकनीकी खामियां की वजह से परेशानी

राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय के कुलसचिव का कहना है, तकनीकी खामियां की वजह से स्टूडेंट के खातों में स्कॉलरशिप नहीं पहुंची है. सबसे ज्यादा जो दिक्कतें आ रही हैं, उनमें कुछ स्टूडेंट ने आवेदन के बाद आधार अपडेट कराया होगा या फिर अपडेट मोबाइल नंबर को खाते से लिंक नहीं कराया गया है. 

कुछ संस्था द्वारा विभाग को प्रस्ताव देरी से भेजे गए हैं और जिस आधार से बैंक के खाते लिंक हैं वो बंद हो गए हैं. इन वजह से स्कॉलरशिप नहीं मिल पाई है. 

एसटी वर्ग के स्टूडेंट्स के छात्रों की हालत

एसटी वर्ग के छह हजार 713 स्टूडेंट ने आवेदन किया, जिसमें छह हजार 576 स्टूडेंट के आवेदन स्वीकार किए गए. वहीं पांच हजार 999 छात्रों को स्कॉलरशिप मिली है. 

कुल 585 छात्र अभी भी स्कॉलरशिप के इंतजार में हैं. छात्रों ने बताया, वे स्कॉलरशिप नहीं मिलने से पढ़ाई छोड़ने को भी मजबूर हो रहे हैं. अधिकतर छात्र आदिवासी बाहुल्य इलाके से आते हैं, जिनके लिए शहर में रहकर पढ़ाई करना और किराए के मकान के साथ ही अन्य खर्चे भी जरूरी होते हैं. 

ओबीसी वर्ग के स्टूडेंट्स का स्टेटस

अन्य पिछड़ा वर्ग के स्टूडेंट के कुल 14 हजार 292 आवेदन स्कॉलरशिप के लिए भरे गए थे. इसमें से 13 हजार 608 स्वीकृत हुए हैं. इनमें से सात हजार 943 स्टूडेंट को स्कॉलरशिप मिली है. वहीं पांच हजार 665 स्टूडेंट अभी भी स्कॉलरशिप से वंचित हैं. शिवपुरी के मेडिकल कॉलेज में छात्रवृत्ति नहीं मिलने से परेशान छात्र कलेक्टर से गुहार लगाई है. 

एससी वर्ग के स्टूडेंट्स

ऐसा ही हाल एससी वर्ग के बच्चों का है. इसमें तीन हजार 601 स्टूडेंट ने स्कॉलरशिप के लिए आवेदन किया था, जिसमें से तीन हजार 434 स्टूडेंट की स्कॉलरशिप स्वीकृत हुई है. तीन हजार आठ स्टूडेंट स्कॉलरशिप के लिए हैं, इसमें 426 स्टूडेंट अभी भी स्कॉलरशिप के इंतजार में हैं. 

यह बेहद अफ़सोस की बात है कि वंचित वर्गों के छात्रों को इस तरह के हालात का सामना करना पड़ रहा है. यह मामला प्रशासनिक लापरवाही का है लेकिन इसका ख़ामियाज़ा छात्रों को उठाना पड़ रहा है.

इससे भी ज़्यादा परेशान करने वाली बात ये है कि प्रशासनिक भूल को सुधारने के लिए अधिकारियों की तरफ़ से कोई पहल नज़र नहीं आती है.

ऐसे कई छात्र हैं, जो सिर्फ स्कॉलरशिप के भरोसे ही पढ़ाई कर रहे हैं. स्कॉलरशिप नहीं आने से आगे की पढ़ाई में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.

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