HomeAdivasi Dailyअसम में शिक्षक भर्ती में टी-ट्राइब समुदायों के लिए 3 प्रतिशत आरक्षण

असम में शिक्षक भर्ती में टी-ट्राइब समुदायों के लिए 3 प्रतिशत आरक्षण

असम के शिक्षा मंत्री ने इस संबंध में एक अधिसूचना भी साझा की जिसमें बताया गया था कि इसे प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय, असम के तहत शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए तृतीय श्रेणी और चतुर्थ श्रेणी पदों की सभी भर्ती में लागू किया गया है.

असम सरकार (Assam government) ने घोषणा की है कि वर्तमान शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में चाय जनजाति (Tea Tribe) और आदिवासी समुदायों (Adivasi communities) के लिए तीन प्रतिशत आरक्षण होगा.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर असम के शिक्षा मंत्री रनोज पेगु ने घोषणा की कि स्कूल शिक्षा विभाग, असम के तहत वर्तमान भर्ती में ओबीसी/एमओबीसी समुदायों के तहत मौजूदा 27 प्रतिशत आरक्षण के भीतर चाय जनजातियों और आदिवासी समुदायों के लिए तीन प्रतिशत आरक्षण होगा.

असम के शिक्षा मंत्री ने इस संबंध में एक अधिसूचना भी साझा की जिसमें बताया गया था कि इसे प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय, असम के तहत शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए तृतीय श्रेणी और चतुर्थ श्रेणी पदों की सभी भर्ती में लागू किया गया है.

यह घोषणा राज्य के स्कूलों में गुणोत्सव (Gunotsav) शुरू होने से ठीक एक दिन पहले की गई है.

असम में गुणोत्सव 2024 एक महत्वपूर्ण शैक्षिक कार्यक्रम है जो 3 जनवरी को शुरू होगा और 9 फरवरी तक चलेगा.

यह पहल तीन अलग-अलग चरणों में शुरू होगी, जिसका लक्ष्य राज्य भर में प्रारंभिक शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना है.

इस कार्यक्रम से बड़ी संख्या में स्कूलों और छात्रों पर प्रभाव पड़ने की उम्मीद है. जिसमें 88 हज़ार 525 से अधिक स्कूल और कक्षा I से IX तक के 42 लाख 76 हज़ार 881 छात्र हिस्सा लेंगे.

इस व्यापक एजुकेशनल असेसमेंट प्रोग्राम का नेतृत्व समग्र शिक्षा असम (Samagra Shiksha Assam – SSA) मिशन के डायरेक्टर के द्वारा किया गया है और असम में शैक्षिक मानकों में सुधार में इसकी भूमिका के लिए महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षित किया गया है.

यह पहल न सिर्फ शैक्षणिक प्रदर्शन का मूल्यांकन करती है बल्कि इसके मूल्यांकन मानदंडों में को-करिकुलर एक्टिविटीज और कम्युनिटी सर्विस को भी शामिल करती है. जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि के लिए समग्र दृष्टिकोण सुनिश्चित होता है.

टी ट्राइब्स कौन हैं

चाय के बागानों में रहने वाले लोग मूल निवासी मजदूरों के वंशज हैं, जो 1800 के दशक में वर्तमान के झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश के हिस्सों से असम में अंग्रेजों द्वारा लाए गए थे. असम में इन लोगों को चाय जनजाति के रूप में जाना जाने लगा.

असम में 100 से अधिक टी ट्राइब्स (चाय जनजातियां) हैं, जिनमें मुंडा, तेली, कोइरी, कुर्मी, घाटोवर, गौला और बनिया शामिल हैं.

भौगोलिक विविधता और सामाजिक-राजनीतिक कारकों के कारण, टी ट्राइब को स्वास्थ्य, स्वच्छता और समग्र विकास के लिए गंभीर खतरों का सामना करना पड़ता है.

शराबबंदी, निरक्षरता और आर्थिक पिछड़ेपन जैसी स्थितियां इन समुदायों को परेशान करती हैं. उनके रहने की व्यवस्था भी स्वच्छता और बुनियादी सुविधाओं से परे है.

चाय श्रमिक विभिन्न आदिवासी समुदायों से आते हैं जिन्हें अन्य राज्यों में एसटी का दर्जा दिया गया है इसलिए असम में भी वो ऐसा ही चाहते हैं. अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने से सदस्यों को आरक्षण और छूट जैसे कुछ सामाजिक लाभ मिलते हैं, जो वर्तमान में चाय जनजातियों के लिए नहीं हैं. इसलिए ये समुदाय लंबे वक्त एसटी का दर्जा मांग रहा है लेकिन अब तक इनकी ये मांग लंबित है.

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