कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) ने गुरुवार को भाजपा-आरएसएस (BJP-RSS) पर मिज़ोरम में आदिवासियों की कीमती जमीन अपने “क्रोनियों” यानि मित्रों के भले के लिए छीनने की कोशिश करने का आरोप लगाया है.
इसके साथ ही खरगे ने कहा कि राज्य के दो प्रमुख राजनीतिक दल मिज़ो नेशनल फ्रंट (MNF) और ज़ोराम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) भारतीय जनता पार्टी के अनौपचारिक एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं.
खरगे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘1986 में एक शांति समझौते के माध्यम से राजीव गांधी मिज़ोरम में शांति ले कर आए और 1987 में राज्य का दर्जा सुनिश्चित किया. कांग्रेस पार्टी सदैव देश की प्रगति के लिए प्रतिबद्ध रही है.’’
उन्होंने दावा किया कि भाजपा-आरएसएस विविधता के खिलाफ हैं और वे अपने मित्रों के भले के लिए आदिवासियों की संपत्ति, कीमती जमीन और जंगल छीनना चाहते हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘मिजोरम के लोग शांति, समृद्धि और प्रगति के पात्र हैं. हम जो वादा करते हैं, उसे पूरा करते हैं. मिजोरम राज्य के लिए हमारी गारंटी कल्याण, समावेशी प्रगति और आर्थिक सुरक्षा की शुरूआत करेगी.’’
कांग्रेस ने राज्य के ‘स्वास्थ्य सेवा संकट‘ के लिए MNF को जिम्मेदार ठहराया
इससे पहले कांग्रेस ने मिज़ोरम में बिगड़ती स्वास्थ्य सेवाओं के लिए मिज़ो नेशनल फ्रंट को जिम्मेदार ठहराया और क्षेत्रीय पार्टी को “स्वास्थ्य सेवा संकट” के लिए जिम्मेदार ठहराया.
कांग्रेस ने मिज़ोरम की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में सुधार के बजाय बेकार परियोजनाओं को प्राथमिकता देने के लिए एमएनएफ की आलोचना की. कांग्रेस का कहना है कि इन बेकार परियोजनाओं ने कोविड-19 महामारी के दौरान राज्य को कमजोर बना दिया गया.
कांग्रेस ने बताया कि एमएनएफ सरकार ने विश्व बैंक से 265 करोड़ रुपये से अधिक उधार लिया था, जिससे मिज़ोरम के निवासियों पर कर्ज का बोझ बढ़ गया. उन्होंने कहा कि धन की इतनी बड़ी आमद के बावजूद राज्य की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली खस्ताहाल बनी हुई है.
उन्होंने कैंसर के विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि मिज़ोरम एक ऐसा राज्य है जो “कैंसर राज्य” के रूप में कुख्यात है. यहां हर साल कैंसर से संबंधित सैकड़ों मौतें होती हैं.
कांग्रेस ने एमएनएफ पर पिछले पांच वर्षों में निष्क्रियता का आरोप लगाया और चुनाव से ठीक पहले कैंसर अनुसंधान केंद्र की नींव रखने के उनके कदम की आलोचना की.
एमएनएफ की स्वास्थ्य देखभाल योजना पर भी कांग्रेस ने टिप्पणी की. मिज़ोरम राज्य स्वास्थ्य देखभाल योजना (MSHCS) जिसके तहत प्रत्येक परिवार को 2 लाख रुपये का बीमा कवरेज प्रदान करना है.
लेकिन कांग्रेस ने इस योजना को कई कारणों से विफल माना. जिनमें कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को कवर करने में योजना की कथित विफलता, प्रीमियम संग्रह पर ध्यान केंद्रित करना, लोगों को विलंबित रीइंबर्समेंट और धन के कुप्रबंधन के बारे में चिंताएं शामिल थीं.
कांग्रेस ने पिछले पांच वर्षों में करीब 6,000 कैंसर के मामलों और 3,100 से अधिक कैंसर से संबंधित मौतों का हवाला देते हुए एमएनएफ के शासन के तहत स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर प्रकाश डाला.
उन्होंने स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं, कर्मचारियों की उपस्थिति और बकाया बिलों के निपटान के वादों के बावजूद स्वास्थ्य देखभाल के इंफ्रास्ट्रक्चर और सेवाओं में सुधार करने में विफल रहने के लिए एमएनएफ की आलोचना की.
कांग्रेस ने एमएनएफ के मिज़ोरम राज्य स्वास्थ्य देखभाल योजना के प्रबंधन पर सवाल उठाया, जिसका उद्देश्य परिवारों को पर्याप्त बीमा कवरेज प्रदान करना था. वहीं स्वास्थ्य मंत्री के मुताबिक, सरकार ने इस योजना के लिए पांच वर्षों में राज्य आर्थिक विकास कार्यक्रम (SEDP) से 150 करोड़ रुपये आवंटित किए.
इसके अलावा सरकार ने मिजोरम राज्य स्वास्थ्य देखभाल योजना (एमएसएचसीएस) के कार्यान्वयन के लिए वित्तीय वर्ष 2020-21 में 10 करोड़, वित्तीय वर्ष 2021-22 में 10 करोड़ और वित्तीय वर्ष 2022-23 में 20 करोड़ आवंटित किए.
कांग्रेस ने सवाल किया कि सरकार धन आवंटित करने के बावजूद लोगों को 63.88 करोड़ रुपये की रीइंबर्समेंट प्रदान करने में विफल क्यों रही और सवाल किया कि क्या सरकार ने सभी पैसे का दुरुपयोग किया है या एकत्रित शुल्क का दुरुपयोग किया है.
उन्होंने MSHCS के तहत नामांकन में गिरावट का सुझाव देते हुए कहा कि 2021-22 पॉलिसी वर्ष से 2022-23 पॉलिसी वर्ष तक नामांकन में 55 प्रतिशत की पर्याप्त गिरावट आई और अगले पॉलिसी वर्ष, 2022-23 से 2023-24 तक 32.75 प्रतिशत की गिरावट आई.
मिज़ोरम की सभी 40 विधानसभा सीटों के लिए एक चरण में 7 नवंबर को मतदान होगा और 3 दिसंबर को मतगणना होगी.
(Image credit: PTI)