महाराष्ट्र (Maharashtra) के पुणे (Pune) में स्थित स्कूल और हॉस्टल के विद्यार्थियों (Students of school and college hostels) को डीबीटी के अंतर्गत मिलने वाले पैसों में देरी (Delay in fund under DBT scheme) की जा रही है.
MBB ने 23 दिसबंर को एक ख़बर की थी जिसमें ये बताया गया था की आदिवासी आश्रम स्कूल में पढ़ने वाले दो लाख बच्चे और पुणे के सात सरकारी हॉस्टल में रहने वाले 2000 विदयार्थियों (2000 students of seven govt hostels) को डीबीटी के तहत मिलने वाली धनराशि अभी तक उन्हें नहीं दी गई है.
इन सात हॉस्टल में रहने वाले कई विद्यार्थियों को पैसों की कमी की वज़ह से मजबूरन हॉस्टल तक छोड़ना पड़ा था. वहीं इन सभी विद्यार्थियों के द्वारा 28 नवंबर से 8 दिसंबर तक पैसे ना मिलने पर विरोध प्रदर्शन भी किया गया, जो एक हफ्ते तक चला था.
अब प्रशासन द्वारा ये दावा किया जा रहा है की इन हॉस्टल के विद्यार्थियों को तीन दिनों के भीतर डीबीटी के तहत मिलने वाले पैसे दिए (fund will issue under DBT scheme) जाएंगे.
इन विद्यार्थियों की मुख्य मांग थी की इन्हें डीबीटी के तहत मिलने वाले पैसे जल्द से जल्द दिए जाए. इन पैसों को मिलने में एक महीनें की देरी हुई है, जिसके कारण कई आदिवासी विद्यार्थी एक समय का खाना खाकर गुज़रा कर रहे थे और मजबूरन इन्हें हॉस्टल छोड़कर जाना पड़ा.
इसके अलावा इनकी मांग थी की खाने और अन्य खर्चो को मिलने वाले पैसे भी बढ़ाए जाए. इसके साथ ही उन्होंने हॉस्टल आधिकारियों और हॉस्टल की संख्या को बढ़ाने की मांग की थी.
क्योंकि इन हॉस्टल में आदिवासियों विद्यार्थियों की संख्या धीरे-धीरे बड़ रही है.
इसी संदर्भ में ट्राइबल रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (TRTI) के अधिकारियों के बीच बैठक हुई है. जिसके बाद थाने के एडिशनल ट्राइबल कमिश्नर, दीपक कुमार मीना ने कहा की विद्यार्थियों की प्रमुख मांग को पूरी करने के लिए राज्य सरकार को हस्ताक्षेप करना पड़ेगा.
उन्होंने बताया की कुछ छात्र चाहते हैं कि डीबीटी बंद कर पुरानी मेस व्यवस्था वापस लाई जाए और अगर डीबीटी जारी रहती है तो राशि में बढ़ोतरी की जाए.
इन मांगों पर निर्णय नीति ही फैसला कर सकती है. इसके अलावा परियोजना आधिकारी द्वारा राशि में बढ़ोतरी के लिए प्रस्ताव दे दिया गया है.
इस प्रस्ताव में ये आग्रह किया गया है की खाने के लिए खर्चा 3,500 रुपये से बढ़ाकर 5,000 रुपये प्रति माह कर दिया जाए और अन्य खर्चो के लिए राशि 800 रुपये से बढ़ाकर 1,000 रुपये प्रति माह कर दी जाए.
ये भी पता चला है की ये हॉस्टल प्राइवेट बिल्डिंग में बनाए गए है इसलिए यहां रहने वाले विद्यार्थी सरकारी बिल्डिंग में हॉस्टल की भी मांग कर रहे हैं.
डीबीटी स्कीम के अंतर्गत मिलने वाले धनराशि का बंटवारा
इस डीबीटी स्कीम के अतंर्गत हॉस्टल में रहने वाले हर विद्यार्थियों को तीन महीने में 12,900 रूपये मिलते हैं, इन 12,900 को भी दो भागों में बांटा गया है, जिसमें से 10,500 खाने-पीने के खर्चे के लिए और 2400 अन्य खर्चो के लिए दिए जाते हैं.
इसके अलावा स्टेशनिरी के खर्चें के लिए 6000 रूपये इंजिनिरिंग के छात्रों को दिए जाता है और 4000 रूपयें मेडिकल के छात्रों को मिलते हैं, ये पैसा इन्हें साल में एक बार वितरित होता है.
ये पैसे इन छात्र-छात्राओं के लिए पुणे जैसे शहर में रहने का एकमात्र ज़ारिया है.
एक तरफ सरकार आदिवासियों को सशक्त बनाने की बात कहती है तो दूसरी ओर ऐसी खबरे सोच में डाल देती है.
सशक्त बनने के लिए ही ये विद्यार्थी पुणे जैसे बड़े शहर में पढ़ने आए है. लेकिन पैसों की इस कमी ने इन विद्यार्थियों के पैरो में मानो जैसे ज़जीर-सी बांध दी हो.