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केरल: एक एकड़ ज़मीन हासिल करने के लिए 307 दिन से आदिवासी महिला भूख हड़ताल पर है

भूख हड़ताल कर रही महिला ने कहा है कि वे किसी भी सूरत में अपनी भूख हड़ताल ख़त्म नहीं करेंगी. उन्होंने मुख्यमंत्री पिन्नाराई विजयन (Pinarayi Vijayan ) को निशाना बनाते हुए कहा कि वे भूख हड़ताल स्थल से मेरी (बिंदु वेलास्सेरी) लाश को जाते हुए देखेंगें.

केरल (Tribes of kerala) के निलम्बुर (Nilambur) की रहने वाली बिंदु वेलास्सेरी (Bindu Vailassery) 307 दिन से भूख हड़ताल(Hunger strike) कर रही है.

उनकी सिर्फ एक ही मांग है की निलम्बुर और उसके पास के क्षेत्रों में भूमिहीन आदिवासियों (land rights) को ज़मीन दी जाए.  

इस दौरान उन्हें कई बार अस्पताल में भर्ती किया गया है. वहीं अस्पताल के अधिकारियों की यह जिम्मेदारी थी की वे बिंदु के चेकअप के लिए हफ्ते में तीन दिन आए.

लेकिन बिंदु का आरोप है की अस्पताल के अधिकारी अपनी ये जिम्मेदारी पिछले चार महीनें से नहीं निभा रहे हैं. बिंदु अपनी इस भूख हड़ताल में गलूकोज के सहारे ज़िदा है.

बिंदु की इस भूख हड़ताल में निलम्बुर के 150 आदिवासी परिवार भी शामिल है. इन सभी की यह मांग है की 2009 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार प्रत्येक परिवार को एक एकड़ भूमि आवंटित की जाए.

यह भी पढ़े:- https://mainbhibharat.co.in/adivasi-daily/kerala-paniya-tribe-women-do-150-days-hunger-strike-for-land-rights/

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश को लागू करने के लिए दो साल का समय दिया था. लेकिन 15 साल बाद बीत गए और सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को सरकार टालने में लगी है.

राज्य सरकार 15 साल से यहीं बहाना देती आई है की उनके पास आदिवासियों को देने के लिए भूमि नहीं है.

बिंदु ने आरोप लगाते हुए कहा की हमारी लंबे समय से बस एक ही मांग है की प्रत्येक आदिवासी परिवार को एक एकड़ भूमि दी जाए. लेकिन सरकार 15 सालों में यहीं बहाना देती आई है की उनके पास आवंटन के लिए भूमि नहीं है.

उन्होंने आरोप लगाया की सरकार ज़मीन आवंटन के मामले में झूठ कह रही है. क्योंकि उनके पास राजस्व विभाग के कुछ दस्तावेज़ है. जिसमें मल्लपुरम ज़िले में आदिवासियों को ज़मीन आवंटन की बात लिखी गई है.

उन्होंने यह भी कहा की आदिवासी एक एकड़ भूमि से कम में सहमत नहीं होंगे. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार प्रत्येक परिवार को एक एकड़ भूमि दी जानी थी.

प्रदर्शनकारियों के जो आरटीआई (RTI) अंतर्गत जो दस्तावेज़ मिले है. उसमें भूमि आवंटन को लेकर कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई है.

इन दस्तावेज़ों के मुताबिक ज़िले के पास 119.28 एकड़ भूमि मौजूद है. जिसमें से 10 एकड़ भूमि को 34 भूमिहीन आदिवासियों को आवंटित किया जा चुका है.

लेकिन अब ज़िले के 663 से भी ज्यादा भूमिहीन आदिवासी 15 सालों से अपनी ज़मीन का इंतजार कर रहे हैं.

वहीं प्रदर्शन में शामिल गिरीदास ने बताया की उन्होंने हाई कोर्ट में इस मामले को लेकर याचिका दायर की है.

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