झारखंड की राजधानी रांची में एकाउंटेंट जनरल (प्रधान महालेखाकार) कार्यालय की ऑडिट टीम आदिवासी की भूमि को खरीदने और बेचने के रिकॉर्ड की जांच कर रही है.
यह दावा किया जा रहा है की ऑडिट टीम झारखंड की राजधानी रांची के सभी 5 पंजीकृत कार्यालयों में ऑडिट करने वाली है.
आदिवासी भूमि के रिकॉर्ड की जांच कर रही इस ऑडिट टीम में असिस्टेंट सुपरवाइजर नवीन प्रकाश कुल्लू, सीनियर ऑडिटर प्रवीण कुमार, सीनियर ऑडिट ऑफिसर संतोष प्रसाद और सीनियर ऑडिट ऑफिसर उत्तम मेहरा शामिल बताए गए हैं.
जांच का मुख्य उद्देश्य
इस जांच में यह देखा जाएगा की क्या किसी गैर आदिवासी या संस्था को दी गई भूमि नियमों के अंतर्गत पंजीकृत कराई गई है या नहीं.
इसके ऑडिट टीम इस बात की जांच भी करेगी की जो भूमि आदिवासियों द्वारा गैर आदिवासी को दी गई है क्या वो भूमि नियम-कानून के अंतर्गत दी गई है या नहीं.
ऑडिट टीम की जांच में यह भी देखा जाएगा की अगर एसएआर एवं राजीनामा-स्वीकृति के आधार पर आदिवासी भूमि को पंजीकृत गया है. तो वो नियम अनुसार है या नहीं. इन सब तथ्यों पर भी जांच होगी.
इसके अलावा ऑडिट टीम परमिशन 46 के अंतर्गत आदिवासी व्यक्ति की भूमि खरीदने के लिए आदिवासी व्यक्ति को मिलने वाले आदेश और परमिशन 49 के अंतर्गत आदिवासियों पंजीकृत भूमि गैर आदिवासी व्यक्ति या संस्था को किन आदेशों के अंतर्गत दी गई है. इसकी भी जांच करने का दावा किया जा रहा है.
ऑडिट टीम की जांच
भूमि की इस जांच प्रक्रिया में ऑडिट टीम साल 2018 से लेकर अब तक के सभी रिकॉर्ड को देख सकती है.
यह अनुमान लगाया जा रहा है की रांची में पिछले लगभग एक वर्ष में 4000 से ज्यादा आदिवासी खातों की भूमि को खरीदा गया है एंव बेचा गया है. इसके अलावा आदिवासी पंजीकृत भूमि की हेरा-फेरी विभिन्न क्षेत्रों में की गई है.
जिन इलाकों में ज्यादातर आदिवासी भूमि को खरिदा और बेचा गया है, उनमें हेहल, बड़गाईं, नामकुम, रातू , नगड़ी, अरगोड़ा, ओरमांझी और कांके अंचल के इलाके शामिल हैं. इसलिए ऑडिट टीम इन इलाकों की भी जांच कर सकती है.
यह दावा किया जा रहा है की रिकॉर्ड की जांच के बाद टीम फील्ड में जाकर स्थिति का जायजा भी लेगी.
आदिवासियों की भूमि का सौदा
ऐसा दावा किया जा रहा है की रांची में भूमि की खरीद एंव बिक्री में बहुत भेदभाव होता है और कई बस्तियां आदिवासी भूमि पर स्थापित है.
इन मामलों में कई बार आदिवासी समुदाय के ही बिचौलिए भोले-भाले आदिवासियों को बहला-फुसला कर या ठग कर उनकी भूमि को औने-पौने दाम पर खुद अपने नाम पर पंजीकृत करा लेते हैं और फिर इन भूमि को ज्यादा कीमतों पर गैर आदिवासियों को बेच देते हैं.
इसके अलावा अलग राज्य बनने के बाद से ही आदिवासियों के भूमि को गैर आदिवासी को ज्यादा कीमतों में बेचने का धंधा तेजी से बढ़ने का दावा भी किया जा रहा है.
ऐसा बताया जा रहा है कि 2018 के बाद से आदिवासी भूमि की खरीद एंव बिक्री में तेजी आई है और सीएनटी एक्ट का उल्लंघन करते हुए भी आदिवासियों की भूमि की खूब खरीदारी एंव बिक्री हुई है. इसके साथ ही अब ऑडिट टीम ऐसी ही जमीन का पता लगा रही है.