गुजरात के सुरेंद्रनगर ज़िले में एक फैक्ट्री है. जिसमें पश्चिमी मध्यप्रदेश के रहने वाले आदिवासी कपास का काम करते हैं. उसी फैक्ट्री में काम करने वाले 40 वर्षीय किरला डोडवा पश्चिमी मध्य प्रदेश के उन हजारों आदिवासियों में से एक हैं.
किरला डोडवा से विधानसभा चुनाव के बारे में पूछा गया तो उन्होनें कहा की मुझे चुनाव के बारे में कुछ नहीं पता है.
उसने बताया की पश्चिमी मध्य प्रदेश आदिवासी खाने का अभाव और अन्य सुविधा से वंचित होने के कारण अपना घर छोड़ने को मजबूर है. वहीं मध्यप्रदेश में चुनाव होने को है. इसलिए चुनाव आयोग के लिए इन प्रवासी श्रमिकों को मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में मतदान करने के लिए अपने मूल स्थान पर आने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करना है. लेकिन उन्होनें कहा की ये एक बड़ी चुनौती है.
अधिकारियों ने बताया की इन प्रवासी मजदूरों को 17 नवंबर को होने वाले राज्य चुनावों में मतदान करने के लिए आमंत्रित करने के लिए रविवार से ही एमपी के अलीराजपुर जिले में एक विशेष कॉल सेंटर शुरू किया गया है. इसी के साथ उन्होनें कहा की आदिवासी समुदाय के लिए के प्रवासी श्रमिकों के बीच मतदान के लिए जागुरुकता बढ़ाने के लिए स्थानीय भीली भाषा में विशेष पोस्टर और गाने भी तैयार किया गया है.
आदिवासी संस्कृति के जानकार अनिल तंवर ने ऐसा ही एक गाना लिखा है- ‘मामार आवो, मामार आवो रे, वुतु नखाने मामार आवो रे’ (जल्दी आओ, जल्दी आओ, वोट देने जल्दी आओ) अलीराजपुर ज़िला आदिवासी बहुल क्षेत्र है. इस इलाके के अधिक आदिवासी लोगों ने रोजगार के लिए पलायन किए हैं. ज़िले में दो विधानसभा सींटे हैं,अलीराजपुर और जोबट.
इन दोनों सीटों पर कुल 5.66 लाख मतदाताओं में से लगभग 85,000 लोग रोज़गार के लिए पड़ोसी राज्यों गुजरात और महाराष्ट्र पलायन कर गए हैं. वहीं अधिकारियों ने कहा कि 2018 के विधानसभा चुनाव में जोबट विधानसभा क्षेत्र में 52.84 प्रतिशत मतदान हुआ, जो राज्य की सभी 230 सीटों में सबसे कम था.
अलीराजपुर के कलेक्टर और ज़िला निर्वाचन अधिकारी अभय अरविंद बेडेकर ने बताया की अलीराजपुर जिले के लगभग 85,000 प्रवासी श्रमिकों को कॉल करने और उन्हें अपने मूल स्थान पर आकर मतदान करने के लिए आमंत्रित करने के लिए 20 सदस्यीय टीम वाला एक कॉल सेंटर शुरु किया है. उन्होनें यह भी बताया की इनमें से अधिकांश श्रमिकों के मोबाइल नंबर की सूची पहले ही हासिल कर ली गई है.
उन्होंने कहा की गुजरात और महाराष्ट्र पड़ोसी राज्यों में उनके नियोक्ताओं को भी चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुसार इन श्रमिकों को मतदान के लिए अवकाश छुट्टी देने के लिए कहा जा रहा है. अरविंद बेडेकर ने कहा कि अलीराजपुर प्रशासन चुनाव के दौरान मतदान को प्रोत्साहित करने के लिए प्रवासी श्रमिकों के नियोक्ताओं से मिलने के लिए अपने अधिकारियों की एक टीम को गुजरात भेजने पर भी विचार कर रहा है.
उन्होंने कहा कि नौकरी के दूसरे रास्ते नहीं होने के कारण अलीराजपुर के साथ-साथ धार, झाबुआ, खरगोन और बड़वानी ज़िलों से आदिवासी की बड़ी संख्या में गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और अन्य राज्यों में जाते हैं.
गुजरात मैं रहने वाला मध्यप्रदेश का आदिवासी किर्वा डोडवा ने फोन में बताया की “अलीराजपुर जिले के गांव में उनके पास खेती के लिए जमीन नहीं है.
इसलिए गुजरात की फैक्ट्रियों में मजदूरी के लिए आना पड़ा है. जिससे वे अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें. इस चलते पलायन कर चुके आदिवासियों को राज्य विधानसभा चुनाव के लिए प्रोत्साहित कर रहें हैं. जिससे वे आसानी से 17 नवंबर को मतदान कर सकें.