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कर्नाटक: कोरगा समुदाय को आदिवासी होने की वजह से नहीं मिल रहा किराए का घर

कोरगा समुदाय का होने के कारण इन्हें कोई भी निवासी अपना घर किराए में नहीं दे रहा है. ये सभी तीन हफ्तों से रहने के लिए किराए में घर ढूंढ रहे हैं.

कर्नाटक (Karnataka) के उडुपी ज़िले (Udupi district) के बयन्दूर (Byndoor) में कोरगा आदिवासियों (Koraga tribes) के साथ जातिगत भेदभाव (caste discrimination) किया जा रहा है. दरअसल कोरगा समुदाय से होने के कारण इन्हें कोई भी निवासी अपना घर किराए पर नहीं दे रहे हैं.

इस बारे में मिली जानकारी के मुताबिक कोरगा समुदाय के 25 आदिवासी पिछले तीन हफ्ते से किराए के लिए घर देख रहे हैं.

इन 25 आदिवासियों को उडुपी सीएमसी से बयन्दूर स्थानांतरित किया गया था और 1 दिसंबर को इनका काम शुरू होना था. इसके लिए ये सभी बयन्दूर में कोई घर किराए के लिए देख रहे थे.

इनमें से कुछ आदिवासियों को किराए का घर तो मिला लेकिन मकान मालिक को उनकी जाति का पता चलने के बाद उन्होंने इन्हें दो दिनों के भीतर बेदखल कर दिया.

इनमें से एक आदिवासी राकेश ने बताया की क्योंकि हमारे पास यहां घर नहीं हैं इसलिए हम हर दिन ट्रेन के किराए में 100 रूपये खर्च करके उडुपी सीएमसी से बयन्दूर तक यात्रा करते हैं.

हमें हर दिन 70 किलोमीटर का रास्ता तय करना होता है, जिसके लिए हम सुबह 3 बजे ही निकल जाते हैं. उन्होंने आगे कहा, “हमें ये समझ नहीं आ रहा है कि शहर को साफ-सुधरा रखने के बावजूद हमें कोई भी घर किराए में क्यों नहीं देना चाहता.”

कौन है कोरगा आदिवासी

कोरगा समुदाय को सरकार द्वारा विशेष रूप से कमज़ोर जनजाति यानि पीवीटीजी में रखा गया है. ये मुख्य रूप से कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़, उडुपी जिले और केरल के कासरगोड जिले में रहते हैं.

इन्हें पीवीटीजी में रखने का एक कारण ये भी है की इनकी आबादी में पिछले कुछ दशकों से चिंताजनक गिरावट देखी गई है.

2011 की जनगणना के अनुसार इस समुदाय की जनसंख्या अब लगभग 16 हज़ार ही है. जिनमें से 9,000 लोग उडुपी में रहते हैं. यह समुदाय कोरगा भाषा बोलते है, जिसकी अपनी कोई लिपि मौजूद नहीं है.

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