मणिपुर में 1 साल से ज़्यादा समय से चल रही हिंसा में कोई सुधार न होने पर इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (Indigenous Tribal Leader’s Forum) ने सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक पत्र लिखा. जिसमें गृह मंत्री से आग्रह किया कि वे राजनीतिक स्तर पर इस मुद्दे का समाधान जल्द करें.
इसके अलावा, इस पत्र के माध्यम से कुकी-ज़ो आदिवासियों के लिए संविधान के अनुच्छेद 239 (ए) के अंतर्गत विधानसभा के साथ एक केंद्र शासित प्रदेश बनाने की भी बात कही गई है.
यह ज्ञापन जिला मजिस्ट्रेट के माध्यम से अमित शाह को सौंपा गया. यह ज्ञापन देने से पहले आईटीएलएफ ने चुराचांदपुर में एक विशाल रैली की.
इस ज्ञापन में न सिर्फ आईटीएलएफ ने मणिपुर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग की बल्कि 8 कारण बताकर इस मांग को उचित भी सिद्ध किया.
कुकी-ज़ो संगठन, आईटीएलएफ ने पहला कारण बताते हुए लिखा कि मणिपुर हिंसा को एक वर्ष से अधिक समय हो गया है लेकिन अभी तक यहां की सुरक्षा स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है और हिंसक घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही जिसके चलते नागरिकों के जान-माल का ख़तरा बना हुआ है.
शाह को भेजे गए ज्ञापन में कहा गया है कि आज तक करीब 200 से अधिक लोगों की मौत की हो चुकी है और 7,000 से ज़्यादा घर नष्ट हो चुके हैं. जिरीबाम में हाल ही में भड़की हिंसा में आदिवासियों के करीब 50 घर और दुकानें जला दी गईं.
आईटीएलएफ ने आरोप लगाया कि पिछले एक साल से आदिवासी इलाकों में जरूरी वस्तुओं का आयात-निर्यात नहीं हो पा रहा है और यहां के लोग ज़रूरी सुविधाओं से वंचित हैं. मैतेई बहुल घाटी इलाकों को सरकारी संरक्षण मिल रहा है लेकिन इसके बावजूद आदिवासी इलाकों में सार्वजनिक जगहों की मरम्मत और विकास कार्य ठप्प हैं.
आईटीएलएफ ने कहा कि सरकार जानती है कि राज्य के आदिवासी लोग इस समय राजधानी में नहीं जा सकते. इस मौके का फायदा उठाकर राज्य सरकार बड़े पैमाने पर नौकरी के लिए भर्ती कर रही है.
संगठन ने पत्र में आगे लिखा है कि आदिवासी युवाओं के लिए नौकरी के कई अवसर पहले ही खत्म हो चुके हैं, इससे मालूम होता है कि राज्य सरकार खुले तौर पर पक्षपात कर रही है.
इस हिंसा के कारण आदिवासी छात्रों की पढ़ाई पर भी बुरा असर पड़ रहा है. तकनीकी शिक्षा से जुड़े छात्र विशेष रूप से प्रभावित हो रहे हैं क्योंकि उनके शिक्षण संस्थान इंफाल में हैं और अभी वहां जाना मुमकिन नहीं है.
आईटीएलएफ ने कहा कि कुकी-जो जनजाति के लोगों पर हमले का ख़तरा बना हुआ है और उग्रवादियों ने खुलेआम धमकी दी है कि उनका उद्देश्य कुकी-ज़ो समुदाय के सभी लोगों को मार डालना या उन्हें इस ज़मीन से खदेड़ देना है.
ज्ञापन में आगे लिखा गया है कि यह स्पष्ट है कि अगर राज्य में पहले जैसी व्यवस्था कायम रहती है तो इन समुदायों को दुश्मनी और भेदभाव का सामना करना पड़ेगा.
इसलिए जब तक इस मुद्दे का राजनीतिक समाधान नहीं होता तब तक पहाड़ी जिलों में सभी पहाड़ी मामलों का प्रबंधन करने के लिए अपना खुद का एक सचिवालय होना ज़रूरी है.