मध्य प्रदेश के अलग-अलग हिस्से से आए दिन प्रदेश की स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था को दर्शाने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं. इन तस्वीरों को लेकर सरकार की खूब आलोचना भी हो रही है. बावजूद इसके अभी तक व्यवस्था की सुधार के लिए कोई ठोस इंतजाम नहीं किए गए हैं.
दरअसल जबलपुर के बरगी बांध से विस्थापित सैकड़ों आदिवासी समाज के लोग सिवनी ज़िले के घंसौर थाना क्षेत्र के अंतर्गत बखारी माल गांव में जीवन यापन कर रहे हैं. एक वीडियो इसी गांव की सामने आई हैं, जिसमें दर्द से कराहती एक महिला को अस्पताल पहुंचाने के लिए ग्रामीणों ने खटिया को एंबुलेंस बना दिया है.
दरअसल, वीडियो में दिख रही आदिवासी महिला यमुना बाई सैयाम दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करने के लिए खेत में निराई का काम करती थी. काम के दौरान ही उसके ऊपर बिजली का तार गिर गया. बिजली के तार की चपेट में आने से महिला बुरी तरह से झुलस गई.
मौके पर मौजूद लोगों ने घटना की जानकारी उसके परिजनों को दी. इसके बाद ग्रामीणों ने एंबुलेंस को सूचना दी लेकिन काफी देर तक एंबुलेंस नहीं पहुंचा तो ग्रामीण महिला को खाट पर रखकर करीब पांच किलोमीटर दूर स्थित अस्पताल पहुंचे. इस अस्पताल में भी चिकित्सा के पर्याप्त इंतजाम नहीं थे इसलिए उसे जबलपुर मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया गया है. जहां महिला की हालत नाजुक बनी हुई है.
वीडियो में साफ देखा जा रहा है कि महिला दर्द से कैसे चीख रही है. लेकिन सड़क ना होने के चलते यहां एम्बुलेंस नहीं पहुंच सकी. बुरी तरह से झुलस चुकी इस आदिवासी महिला की जान बचाने के लिए ग्रामीण उसे खांट पर लेकर भागते हुए दिख रहे हैं.
पूरा मामला…
बताया जा रहा है कि शुक्रवार को करीब 4 बजे चंदूलाल सैयाम की पत्नी यमुना बाई सैयाम अपने खेत पर जुताई के लिए गई थी. वहां महिला के ऊपर बिजली की लाइन गिर गई. जिससे वह बुरी तरह झुलस गई.
यह लाइन सब स्टेशन केदारपुर से होते हुए किद्ररई गांव को जा रही है. यह पूरी लाइन जर्जर अवस्था में है. जिसको लेकर गांव के सरपंच द्वारा 2 दिनों पहले ही एक लिखित आवेदन भी दिया था गया था. बावजूद इसके गांव में बिजली के हाल जस के तस रहे. विद्युत विभाग की लापरवाही से ग्रामीण आक्रोशित हैं. हालात को देखकर लोग खेतों में जाने से डर रहे हैं.
वहीं प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना द्वारा सड़क का निर्माण किया जा रहा है लेकिन बखारी गांव में अभी तक सड़क नहीं पहुंचा है. महिला के झुलसने के बाद ग्रामीणों द्वारा महिला को खांट पर रख कर 5 से 6 किलोमीटर तक का सफर तय करना पड़ा. इस दौरान महिला तड़पती रही. कच्चा रास्ता होने से वहां पर किसी प्रकार का कोई वाहन नहीं जा पाता है.