न्यीशी (Nyish) अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) राज्य का सबसे बड़ा आदिवासी समुदाय है. इस आदिवासी समूह का पारंपरिक “न्योकुम” (Nyokum Festival) त्योहार है. “न्योकुम” दो शब्दों के मेल से बना है – “न्योक” का अर्थ है “भूमि या पृथ्वी” और “कुम” का अर्थ है सामूहिकता या एकजुटता.
यह त्योहार हर साल 26 फरवरी को मनाया जाता है. इस दिन आदिवासी अपने सभी देवी-देवता एक विशेष समय में और एक विशेष स्थान पर बुलाते है..
न्योकुम उत्सव का महत्व
ऐसा माना जाता है की न्योकुम उत्सव का खेती से गहरा संबंध है. आदिवासी इस उत्सव के दिन न्योकुम देवी से आगमी मौसम में अधिक उत्पादन के लिए प्रार्थना करते हैं.
आदिवासी अपने देवी-देवताओं से प्रार्थना के दौरान ये भी मांगते है की दुर्घटना, युद्ध और महामारी से होने वाली अप्राकृतिक मृत्यु से उनकी सुरक्षा की जाए.
ऐसा भी कहा जाता है की न्योकुम त्योहार की शुरूआत 1967 न्यीशी के जोरम गांव से हुई थी.
इस त्योहार में किसी भी मूर्ति की पूजा नहीं की जाती है और ना ही इसमें कोई स्थायी ढांचा होता है. बल्कि मुख्य प्रार्थना संरचना बांस से बनी हुई होती है, जिसे युगांग कहा जाता है.
युगांग के साथ, गाय, मिथुन और बकरियों जैसे जानवरों को बांध दिया जाता है. अक्सर युगांग में बांस के खंभों पर छोटी मुर्गियां लटकी हुई मिलती हैं.
अनुष्ठान के बाद पूजा का समापन मिथुन, सूअर और मुर्गे की बलि के साथ होता है. बलिदान की अंतिम रस्में पूरी होने के बाद, सभी को चावल और बाजरा बियर परोसा जाता है.
इसके अलावा पुजारी त्योहार के अनुष्ठान के लिए सफेद रंग का पारंपरिक वस्त्र पहनते हैं. इसके अलावा इनके पारंपरिक वस्त्रों में “एरो” नामक तलवार का बेहद खास महत्व है.
वहीं गाँव के सभी पुरूष और स्त्री अपने पारंपरिक कपड़े पहनते है. पुरुष सूती इरी वस्त्र पहनते हैं, जो कंधे से लेकर जाँघों तक लपेटा जाता है.
वे गले में विभिन्न प्रकार के मनकों के आभूषणों के हार लटकते हैं और सिर पर बांस से बनी टोपी भी पहनते हैं, इस टोपी को जंगली जानवरों के बालों से सजाया जाता है.
वहीं महिलाएं अपनी शानदार बालियां, मोतियों का हार पहनती हैं, जिसके ऊपर बारीक बांस से बनी एक हेडड्रेस होती है.
मुख्य अनुष्ठान करने के लिए मुख्य पुजारी या न्युभ अपने सेवकों के साथ आने से पहले नाच- गाना करते है.
इसके अलावा मेहमानों का स्वागत चावल के पेस्ट पाउडर और ओपो, एक प्रकार के पेय से किया जाता है और इस तरह त्योहार का समापन हो जाता है.