मध्य प्रदेश में कोविड-19 वैक्सिनेशन के लिए लोगों को राज़ी करना, ख़ासतौर से आदिवासी बहुल क्षेत्रों में, प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है.
अब सरकारी अधिकारियों ने एक अनोखा पहल शुरु की है, जिससे स्थानीय लोग बड़ी संख्या में वैक्सिनेसन के लिए आ रहे हैं. हरदा में प्रशासन ने आदिवासी भाषा में प्रचार ऑडियो जारी किया है. इसके अलावा वैक्सिनेशन सेंटर्स में ऐसे लोगों को तैनात किया गया है, जो आदिवासी भाषा जानते हैं.
इलाक़े में आदिवासियों द्वारा गोंड और कोरकू भाषा बोली जाती है, तो वैक्सिनेशन प्रचार भी इन्हीं में हो रहा है. प्रचार के लिए इन भाषाओं के जानकार आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, वन कर्मचारियों और सरकारी शिक्षकों को जागरुकता अभियान में शामिल किया गया है.
वॉलंटियर्स घर-घर जाकर स्थानीय गोंड और कोरकू भाषा में वैक्सीन के महत्व के बारे में बता रहे हैं. स्थानीय आदिवासी भाषा से संवाद का नतीजा साफ़ा दिख रहा है. कई आदिवासी गांवों में वैक्सीन के डोज़ की संख्या बढ़ा गई है.
आदिवासियों की अपनी भाषा के इस्तेमाल से वैक्सीन को लेकर हिचकिचाहट काफ़ी हद तक कम हुई है. इस सफ़लता को देखकर स्थानीय युवा और सरकारी कर्मचारी स्वेच्छा से इस अभियान में मदद करने के लिए आगे आ रहे हैं.
वैक्सिनेशन सेंटर के आंकड़ों पर नज़र डालें तो अब तक हरदा ने 73 फीसदी वैक्सिनेशन हासिल कर लिया है, और 3.65 लाख लोगों को वैक्सीन लग गया है. ज़िले की कुल 80% आबादी गांवों में रहती है.
राज्य में हाल ही में वैक्सिनेशन के मामले में हरदा दूसरे स्थान पर रहा, जब राज्य ने एक दिवसीय वैक्सिनेशन रिकॉर्ड बनाया था. हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हरदा ज़िले के वैक्सिनेशन प्रयासों की सराहना की थी.
मध्य प्रदेश में 3.41 करोड़ लोगों को गुरुवार तक वैक्सीन लगाया गया था. सिर्फ़ गुरुवार को 4.08 लाख से ज़्यादा लोगों का वैक्सिनेशन हुआ. राज्य में कुल 2.86 करोड़ लोगों को पहली डोज़ मिली है, जबकि 55 लाख से ज़्यादा को दूसरी डोज़ भी मिल चुकी है.
36 निजी केंद्रों सहित 3,563 केंद्रों में कोविड वैक्सीन लगाया जा रहा है.