HomeAdivasi Dailyएसटी सूची में पहाड़ी: गुर्जर, बकरवाल केंद्रीय जनजातीय मंत्री की जम्मू-कश्मीर यात्रा...

एसटी सूची में पहाड़ी: गुर्जर, बकरवाल केंद्रीय जनजातीय मंत्री की जम्मू-कश्मीर यात्रा का करेंगे बहिष्कार

आरक्षण की मांग को लेकर लंबे समय से लड़ रहे पहाड़ी लोगों के बीच अगर इसे लागू किया जाता है, तो यह पहली बार होगा जब भारत में किसी भाषाई समूह को आरक्षण का लाभ मिलेगा.)

जम्मू-कश्मीर में पहाडि़यों को अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes) की सूची में शामिल करने के केंद्र के फैसले के खिलाफ गुर्जरों और बकरवालों का विरोध अभियान जोर पकड़ रहा है. इन समुदायों ने इस महीने केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा की यात्रा का बहिष्कार करने की योजना बनाई है.

समिति के संयोजक अनवर चौधरी ने जम्मू में कहा, “ऑल जम्मू-कश्मीर गुर्जर बकरवाल को-ऑर्डिनेशन कमेटी (AJKGBCC), एसटी समुदायों के एक निकाय द्वारा बुधवार को बहिष्कार की घोषणा की गई थी. ये पहाड़ी भाषी लोगों, जो समाज की उच्च जातियों से संबंधित हैं को एसटी का दर्जा देने के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कर रहे हैं.”

केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा के 17-18 नवंबर को उधमपुर के दौरे पर जाने की संभावना है.

दरअसल, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) ने ‘पद्दारी जनजाति’, ‘कोली’ और ‘गड्डा ब्राह्मण’ के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर के भाषाई अल्पसंख्यक पहाड़ी जातीय लोगों को एसटी सूची में शामिल करने को मंजूरी दी थी. गुर्जरों और बकरवालों के विपरीत पहाड़ी जो मुसलमान हैं, उनमें हिंदू और मुस्लिम दोनों की मिश्रित आबादी शामिल है.

अनवर चौधरी ने कहा, “पहाड़ी भाषी लोगों की आड़ में समाज की मुख्यधारा को एसटी का दर्जा देने का विरोध करने के लिए आदिवासी मंत्री की दो दिनों की यात्रा के दौरान सभी आदिवासी इलाकों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा.”

गुर्जरों और बकरवालों के आदिवासी नेताओं ने केंद्रीय मंत्री की यात्रा के दौरान अनुसूचित जनजाति समुदायों से “काले बैज पहनने, अपने घरों पर काले झंडे लगाने और सोशल मीडिया हैंडल पर तस्वीरें और रील साझा करने” के लिए कहा है.

आदिवासी नेताओं ने कहा कि पहाड़ी लोग समाज के संपन्न वर्ग से आते हैं. उन्होंने कहा, “वे सामाजिक रूप से उच्च वर्ग के आर्थिक रूप से संपन्न लोग हैं जिनकी साक्षरता दर केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में औसत से ऊपर है.”

उन्होंने कहा कि अगर 60 से अधिक जातियों वाले ये समूह एसटी के दायरे में आते हैं तो वे वास्तविक जनजातियों को प्रतिस्पर्धा से बाहर कर देंगे. जो गरीबी, अशिक्षा और सामाजिक भेदभाव का सामना करने वाले कमजोर वर्ग हैं.

उन्होंने एनसीएसटी पर आरोप लगाया जिसने हाल ही में पहाड़ी लोगों को एसटी का दर्जा देने की मंजूरी दी थी. साथ ही उन्होंने कहा, “एसटी समुदायों के युवा कार्यकर्ताओं को हमारी आदिवासी पहचान की रक्षा के लिए और एसटी की स्थिति को कमजोर करने से रोकने के लिए शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करना चाहिए. हम किसी व्यक्ति या समुदाय के खिलाफ नहीं हैं.”

कश्मीर में दो गुर्जर युवा नेताओं तालिब हुसैन और गुफ्तार अहमद ने बुधवार को लगातार पांचवें दिन सड़क पर विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने केंद्र के कदम के खिलाफ घाटी के विभिन्न जिलों से मार्च किया. युवा नेताओं ने 500 किलोमीटर का स्ट्रीट मार्च निकालने की भी योजना बनाई है.

गुफ्तार अहमद ने कहा, “केंद्र का कदम एक ऐसे समुदाय पर हमला है जो ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर है. हममें से कुछ लोग आरक्षण के कारण शिक्षा और नौकरी पाने में सक्षम थे. लेकिन उच्च जातियों को एसटी वर्ग में शामिल करने से हमारा अधिकार छिन जाएगा.”

वहीं तालिब हुसैन ने पूछा, “ब्राह्मण और सैयद क्रमशः हिंदुओं और मुसलमानों में उच्च जाति के हैं. उन्हें पहाड़ी जातीय समूह के तहत एसटी सूची में कैसे शामिल किया जा सकता है?”

गुर्जर और बकरवाल, जिनकी आबादी लगभग 14 लाख है, मुख्य रूप से पीर पंजाल घाटी के राजौरी और पुंछ जिलों में निवास करते हैं.

(Photo Credit: AFP)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments