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मिज़ोरम की राजनीति में ZPM का उदय कैसे हुआ ?

ZPM पार्टी के प्राथमिक मुद्दे के बारे में पूछे जाने पर लालवेनचुंगा ने कहा कि तकनीकी रूप से कहें तो यह सत्ता विरोधी लहर है. वही दोनों पार्टियां दशकों से सत्ता में हैं और मिज़ो राजनीति में कोई भी सेवानिवृत्त नहीं होता है. लोग इसमें बदलाव चाहते हैं और हम उस अंतर को भरने के लिए हैं.

पिछले हफ्ते एक शाम ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) द्वारा मैदान में उतारे गए सभी 40 उम्मीदवार सामूहिक शपथ लेने के लिए आइजोल के डावरपुई सामुदायिक हॉल में एकत्र हुए. जहां पर उन्होंने निर्वाचित होने पर भ्रष्टाचार से दूर रहने का वादा किया.

मिज़ोरम विधानसभा चुनाव के मतदान में एक सप्ताह बाकी है. यह नया राजनीतिक दल आत्मविश्वास, नए उम्मीदवारों के एक समूह और कुछ प्रभावशाली हलकों के समर्थन के साथ इस चुनाव में उतर रहा है.

शपथ ग्रहण समारोह में मंच पर पूर्व मुख्य सचिव लालफल ज़ुआला, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी रिंसंगा और मिज़ोरम विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर थांगचुंगनुंगा जैसे पार्टी के “बुजुर्गों” का एक समूह मौजूद था. ये नेता, पार्टी को अपना महत्वपूर्ण समय देते हैं लेकिन इसके चुनावी चेहरे नहीं हैं.

पार्टी के आइजोल पश्चिम-I के उम्मीदवार टी बी सी लालवेनचुंगा, जो 41 वर्ष के हैं. उन्होंने कहा, “हमारी पार्टी को मिज़ोरम में वर्तमान में मौजूद ‘ग्रैंड ओल्ड पार्टी’ सिस्टम का एक विकल्प माना जाता है. हमारी पार्टी में कई युवा चेहरे भी हैं. चार उम्मीदवार 40 वर्ष से कम उम्र के हैं. सोलह उम्मीदवार 40 से 60 वर्ष की आयु के हैं. 50 फीसदी उम्मीदवार 50 वर्ष से कम उम्र के हैं.”

इसके युवा उम्मीदवारों में कुछ मशहूर हस्तियां भी शामिल हैं. डंपा से पार्टी के उम्मीदवार लोकप्रिय गायक वनलालसैलोवा हैं. वहीं इसके दक्षिण तुइपुई के उम्मीदवार पूर्व अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलर जेजे लालपेखलुआ हैं और इसके आइजोल पश्चिम-द्वितीय के उम्मीदवार अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के कार्यकारी सदस्य लालनघिंगलोवा हमार हैं. जिन्हें टेटिया हमार के नाम से जाना जाता है.

हमार ने कहा, “पार्टी ने मुझे आकर्षित किया क्योंकि यह अभी एक ब्लैंक पेज की तरह है. यह पार्टी नई है और इसमें कोई स्थापित प्रथा नहीं है इसलिए ऐसा लगा कि यह सही पार्टी है जिसमें सुशासन के मेरे विचार व्यक्त किए जा सकते हैं.”

एक नई शुरुआत की यह भावना जिसने उनके जैसे युवा उम्मीदवारों को आकर्षित किया है बिल्कुल उसी तरह है जो पार्टी अपने मतदाताओं को पेश कर रही है. कांग्रेस और मिज़ो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के तीन दशकों से अधिक के शासन के बाद एक “नई प्रणाली” के वादे को पूरा करना इनके उदेश्य जो 1986 में राज्य के गठन के बाद से बारी-बारी से सत्ता में आए हैं.

पार्टी के प्राथमिक मुद्दे के बारे में पूछे जाने पर लालवेनचुंगा ने कहा, “तकनीकी रूप से कहें तो यह सत्ता विरोधी लहर है. वही दोनों पार्टियां दशकों से सत्ता में हैं और मिज़ो राजनीति में कोई भी सेवानिवृत्त नहीं होता है. लोग इसमें बदलाव चाहते हैं और हम उस अंतर को भरने के लिए हैं.”

ZPM का उदय

अब तक ZPM लगातार सफलताओं के शिखर पर है. इसकी शुरुआत 2017 में छह छोटे क्षेत्रीय दलों और नागरिक समाज समूहों के एक साझा मंच के रूप में हुई थी. पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान इसे एक पार्टी के रूप में मान्यता दी जानी बाकी थी. इसलिए इस साझा मंच के समर्थन से मैदान में 38 स्वतंत्र उम्मीदवार थे, जिनमें से आठ विधायक बन गए. जिसके बाद यह विधानसभा में दूसरी सबसे बड़ी उपस्थिति बन गई.

2019 में ZPM एक मान्यता प्राप्त पार्टी बन गई और दो साल बाद इसने और भी मजबूत स्थिति से वापसी की. जब इसके संस्थापक और अब मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार, लालदुहोमा ने सेरछिप विधानसभा उपचुनाव जीता.

ZPM की अगली बड़ी जीत तब हुई जब उसने इस अप्रैल में मिज़ोरम के दूसरे सबसे बड़े शहर लुंगलेई की नगरपालिका परिषद में सभी 11 सीटें जीत लीं. उसी महीने ज़ेमाबॉक स्थानीय परिषद के लिए हुए उप-चुनाव में भी इसने सभी सात सीटें जीत लीं. पार्टी जिस जीत का दावा कर रही थी वह बहुत अहम है क्योंकि यह क्षेत्र मुख्यमंत्री ज़ोरमथांगा के आइजोल पूर्व I निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आता है.

ZPM पार्टी जिस “नई प्रणाली” का वादा करती है उसका पहला स्तंभ चार स्थानीय उपजों – अदरक, हल्दी, मिर्च और ब्रूमग्रास के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य है. 

इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक साक्षात्कार में लालदुहोमा ने दावा किया कि पार्टी “प्रशासनिक सुधारों, भूमि सुधारों, आर्थिक सुधारों” के माध्यम से “नई प्रणाली” पेश करेगी.

इसके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी पार्टी की सफलताओं को कमतर आंकते हैं, और इसे अलग-अलग इकाइयों का “हॉचपॉच” (Hotchpotch) कहते हैं, जो अलग-अलग हिस्सों के बीच धक्का-मुक्की से जूझ रही हैं.

एमएनएफ महासचिव हार्वे लालरिनलियाना ने कहा, “यह सिर्फ एक समूह है जिसने कुछ साल पहले अपना नाम किसी और चीज़ से बदल लिया था. वे असंगठित हैं, विभिन्न समूहों के बीच मतभेद हैं. अगर वे यह चुनाव नहीं जीतते हैं तो वे नष्ट हो जाएंगे.”

जबकि कांग्रेस कार्यकर्ता और नेता समान तर्क दे रहे हैं. वो आरोप लगा रहे हैं कि एमएनएफ की तरह जेडपीएम के भी भाजपा के साथ गठबंधन करने की संभावना है.

मिज़ोरम में इस नई पार्टी के बारे में MBB संवाददाता सैलन कोलोई ने अलग अलग आयु वर्ग के लोगों से बातचीत की है. सैलेन इस बातचीत के आधार पर कहते हैं,” ZPM मिज़ोरम के चुनाव प्रचार में सबसे लोकप्रिय पार्टी नज़र आ रही है. मुझे लगता है कि यह पार्टी अपने दम पर राज्य में सरकार बना सकती है. इस पार्टी ने राज्य में लोगों को उम्मीद दी है. इस पार्टी के नेता और उम्मीदवार राजनीतिज्ञों की तरह नहीं बल्कि मिज़ोरम को बेहत्तर बनाने की चिंता करने वाले लोगों की तरह बात करते हैं.

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