HomeAdivasi Dailyजनजातीय मामलों के मंत्री को ‘गलत सूचना’ दी गई है, मणिपुर संघर्ष...

जनजातीय मामलों के मंत्री को ‘गलत सूचना’ दी गई है, मणिपुर संघर्ष कोई साधारण कानून और व्यवस्था की स्थिति नहीं: ITLF

पिछले साल यानि 3 मई 2023 को जब मणिपुर में हिंसा भड़की, तब सेना की गश्ती बढ़ा दी गई थी. जिसके चलते हिंसा पर एकदम से काबू पा लिया गया लेकिन फिर महीने भर के भीतर ही हिंसा भड़क गई थी. उसके बाद उस पर काबू पाने का कोई गंभीर प्रयास नहीं किया गया.

केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री जुएल ओराम द्वारा मणिपुर संघर्ष को “कानून और व्यवस्था की स्थिति” बताए जाने के एक दिन बाद कुकी-जो नागरिक समाज संगठन, इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) ने 20 जून को कहा कि संघर्ष का यह चरित्र चित्रण “गलत सूचना” है.

साथ ही उन्होंने जुएल ओराम से कहा कि वे इसके विवरण की गहराई से जांच करें ताकि वे आदिवासी लोगों की मदद कर सकें.

दरअसल, नई एनडीए सरकार में जनजातीय मामलों के मंत्रालय का कार्यभार संभालने वाले ओराम ने बुधवार को द हिंदू को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि जब ऐसा संघर्ष होता है तो हर किसी के लिए समाधान की तलाश करना स्वाभाविक है.

उन्होंने कहा कि लेकिन इस विशेष “कानून और व्यवस्था” की स्थिति को गृह मंत्रालय राज्य सरकार और मणिपुर के राज्यपाल के साथ मिलकर संभाल रहा है.

इन टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए ITLF ने कहा कि श्री ओराम को “गलत जानकारी मिली है कि मणिपुर में जातीय संघर्ष एक साधारण कानून और व्यवस्था की स्थिति है.”

आईटीएलएफ ने कहा कि यह संघर्ष के पहले 24 घंटों के लिए सच होता, जिसके दौरान एक “निष्पक्ष सरकार हिंसा को खत्म कर सकती थी.”

उन्होंने आगे कहा कि लेकिन यह अच्छी तरह से दस्तावेजों में दर्ज है कि बहुसंख्यक मैतेई समुदाय के राज्य पुलिस बलों ने अल्पसंख्यक कुकी-ज़ो आदिवासियों पर हमलों को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया बल्कि हिंसा में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया.

ITLF, जो जातीय संघर्ष छिड़ने के बाद चुराचांदपुर में कुकी-ज़ो जनजातियों के लिए एक प्रतिनिधि नागरिक समाज संगठन के रूप में सामने आया है. उसने कहा, “एक साल से अधिक समय तक शत्रुता, 200 से अधिक लोगों की मृत्यु और 60 हज़ार से अधिक लोगों के विस्थापन के बाद यह सभी के लिए स्पष्ट होना चाहिए कि यह संघर्ष एक साधारण कानून और व्यवस्था का मुद्दा नहीं है.”

उन्होंने आगे कहा कि संघर्ष “राज्य के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की कार्रवाइयों और अरामबाई तेंगगोल और मैतेई लीपुन जैसे उग्रवादी मैतेई संगठनों के उनके संरक्षण के कारण हुआ, जिन्होंने आदिवासियों को व्यवस्थित रूप से निशाना बनाया.”

आईटीएलएफ ने कहा कि इनमें से कुछ समूहों ने सार्वजनिक रूप से अपने हमलों को तब तक नहीं रोकने की कसम खाई थी जब तक कि “वे सभी कुकी-ज़ो आदिवासियों को मार नहीं देते या उन्हें राज्य से बाहर नहीं निकाल देते.”

आईटीएलएफ ने कहा, “उन्होंने आदिवासियों के साथ बलात्कार किया, उन्हें प्रताड़ित किया, उनकी हत्या की और उनके शवों को अपवित्र किया और बिना किसी नतीजे का सामना किए खुलेआम अपने कृत्यों को वीडियो पर रिकॉर्ड किया. राज्य और केंद्र सरकार कार्रवाई करने से इनकार कर रही है. अगर यह जातीय सफाया नहीं है तो क्या है?.”

उन्होंने जनजातीय मामलों के मंत्री से इस मामले का और गहराई से अध्ययन करने और आदिवासियों की ज़रूरत के समय उनकी मदद करने के लिए कहा है.

24 जून को अलग केंद्र शासित प्रदेश के लिए प्रदर्शन करेगा ITLF

इसके अलावा ITLF ने गुरुवार को कहा कि उसके सदस्य मणिपुर के कुकी-ज़ो लोगों के लिए केंद्र शासित प्रदेश की मांग को लेकर 24 जून को अहिंसक प्रदर्शन करेंगे.

बयान में कहा गया है कि हमने मणिपुर से अलग होने की मांग की है और अभी तक हमारी राजनीतिक मांगों पर कोई समाधान नहीं हुआ है.

साथ ही आईटीएलएफ ने कहा कि वे स्वायत्त जिला परिषद चुनावों का भी विरोध करेंगे.

उन्होंने आरोप लगाया है कि स्वायत्त जिला परिषद कुकी-ज़ो लोगों के बीच विभाजन पैदा किया है. उन्होंने कहा, “हम सभी से अनुरोध करते हैं कि वे हमारी राजनीतिक मांगों को प्रदर्शित करने के लिए बड़ी संख्या में शामिल हों.”

फेरज़वाल, चुराचांदपुर और कांगपोकपी जिलों में रैलियां निकाली जाएंगी, जहां उस दिन पूर्ण बंद रहेगा.

(PTI file photo)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments