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केरल: सड़क की मांग को लेकर 3 दिनों की भूख हड़ताल के बाद आदिवासी प्रमुख अस्पताल में भर्ती

वन विभाग ने इस सड़क पर कोलतार के उपयोग की अनुमति नहीं दी थी, इसलिए कंक्रीट सड़क ही एकमात्र विकल्प रह गया है. लेकिन कंक्रीट सड़क बनाने में काफी पैसों की जरूरत है और पंचायत के पास ऐसी परियोजना के लिए पर्याप्त धन मौजूद नहीं है.

केरल (Kerala) के तिरूवनन्तपुरम ज़िले (Thiruvananthapuram District) के वल्लकदावु (Vallakadavu) में स्थित अम्बेडकर आदिवासी बस्ती के ‘ऊरू मूपन’ यानि प्रमुख, अजयन टी सड़क निर्माण की मांग के लिए भूख हड़ताल कर रहे हैं.

उन्होंने कॉलोनी के पास एक शेड बनवाया था, जहां उन्होंने 2 फरवरी से अपनी भूख हड़ताल की शुरूआत की थी. उनकी और अन्य निवासियों की यह मांग है की वल्लाकादावु वन चेक पोस्ट से कॉलोनी तक 4.2 किमी लंबी सड़क बनाई जाए.

इस भूख हड़ताल के कारण रविवार के दिन उनके ब्लड शुगर लेवल में भारी गिरावट आई, जिसके बाद अब उन्हें सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में स्थानांतरित कर दिया गया है.

कॉलोनी के निवासियों ने कहा कि पंचायत और आदिवासी अधिकारियों ने मूपन से बात की है और उम्मीद है कि वह जल्द ही अपनी स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए अनशन खत्म कर देंगे.

इस बारे में मिली जानकारी के मुताबिक उनकी कॉलोनी में 84 परिवार रहते हैं. यह सभी निवासी सालों से कॉलोनी से वल्लाकादावु तक एक सड़क बनाने की मांग कर रहे हैं.

अनुसूचित जनजाति के प्रमोटर और कॉलोनी के निवासी बालाचंद्रन एस ने बताया की वर्तमान सड़क जो लगभग तीन मीटर चौड़ी है, सोलिंग पत्थरों से बनाई गई है. इस सड़क से जीप, ऑटोरिक्शा और स्कूल बस जैसे वाहनों को वल्लाकादावु पहुंचने में 30 मिनट से अधिक का समय लग जाता है.

उन्होंने कहा, “पत्थरों के बाहर आने से इस सड़क पर गाड़ियों का चलना मुश्किल है.”

उन्होंने ये भी बताया की यह आदिवासी कॉलोनी 87 साल पहले स्थापित की गई थी और वर्तमान में यहां 306 लोग रहते हैं.

उन्होंने कहा कि मेडिकल इमरजेंसी के दौरान इस अधूरी सड़क से जाने में लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. पंचायत ने धन की कमी के कारण सड़क निर्माण की परियोजना की शुरूआत नहीं की है.

वहीं हड़ताल करने वाले मूपन अजयन ने कहा कि कॉलोनी के लगभग सभी निवासी या तो सरकारी कर्मचारी हैं या वन विभाग में चौकीदार के रूप में कार्यरत हैं, बाकी के कुछ परिवार खेती-किसानी का काम करते हैं.

स्कूली बच्चों को ले जाने वाली एक मिनीबस इस खराब सड़क पर चल रही है. लेकिन सड़क की स्थिति के कारण बच्चों के माता-पिता को उनकी सुरक्षा को लेकर बेहद चिंता रहती है.

वंदिपेरियार पंचायत के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार कॉलोनी निवासियों की लंबे समय से चली आ रही मांग को ध्यान में रखते हुए लोक निर्माण विभाग ने सड़क परियोजना के लिए 3.26 करोड़ रुपये खर्च करने का फैसला किया था.

लेकिन वन विभाग ने इस सड़क पर कोलतार के उपयोग की अनुमति नहीं दी थी, इसलिए कंक्रीट सड़क ही एकमात्र विकल्प रह गया है.

कंक्रीट सड़क बनाने में काफी पैसों की जरूरत है और पंचायत के पास ऐसी परियोजना के लिए पर्याप्त धन नहीं है.
वंदिपेरियार पंचायत अध्यक्ष के एम उषा और पूर्व पीरमाडे ब्लॉक पंचायत अध्यक्ष पी एम नौशाद ने कहा कि आदिवासी परियोजनाओं के लिए हमें 20 लाख रुपये तक की धनराशि मिलती है.

ये भी पता चला है की सड़क निर्माण के लिए पैसों की कमी की दिक्कत के बारे में मंत्री के. राधाकृष्णन बातचीत की जा चुकी है.

हालांकि, अब तक मिली जानकारी के अनुसार गंभीर वित्तीय संकट के कारण, धन केवल आगामी वित्तीय वर्ष में आवंटित किया जाएगा.

Photo Credit:- onmanorama.com

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