झारखंड (Jharkhand) के सिंहभूम ज़िले (Singhbhum District) में कई आदिवासी परिवारों को ग्राम प्रधान द्वारा बाहिष्कृत कर दिया गया है. यहां तक की उनके बच्चों को स्कूल में आने से भी रोका जा रहा है.
जिससे परेशान होकर शुक्रवार के दिन छोटा अस्थि के लगभग कई परिवारों ने उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री से इस बारे में शिकायत की और जल्द से जल्द न्याय की मांग भी की है.
बहिष्कार का ये कारण बताया जा रहा है की ग्राम प्रधान के मुताबिक आदिवासियों ने सोहराय त्योहार नहीं मनाया था. जिस बात से नराज होकर प्रधान, रूपाई हांसदा ने एक फरमान जारी किया.
इस फरमान के मुताबिक क्षेत्र के कई आदिवासी परिवार को सरकारी योजनाओं से बहिष्कार कर दिया गया.
आदिवासियों में से एक ने कहा, ‘‘हमने त्योहार उस तरह से नहीं मनाया जैसा वह (ग्राम प्रधान) चाहते थे. इसके बाद हमारे बच्चों तक को स्कूल और करीब के मैदान में जाने से रोक दिया गया.”
मंजूनाथ भजंत्री ने इसी सिलसिले में खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) और स्थानीय पुलिस को ग्राम प्रधान, पीड़ित परिवारों और अन्य हितधारकों के साथ एक बैठक बुलाने का निर्देश दिया है.
एक आधिकारी ने कहा, “जारी किया गया मामला गैरकानूनी था और जरूरत पड़ने पर ग्राम प्रधान के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.”
क्या है सोहराय त्योहार
आदिवासियों में सोहराय पर्व प्रमुख त्योहारों में से एक है. आदिवासी लोग इस पर्व को पांच दिनों तक मनाते हैं. इस त्योहार में आदिवासी अपनी गाय और प्रकृति की पूजा करते हैं.
वहीं इस त्योहार में आदिवासी अच्छी फसल होने की कामना भी करते हैं. आदिवासी समाज के इस पर्व को लेकर झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा आदि राज्यों में बहुत पहले से तैयारी शुरु हो जाती है.
सोहराय पर्व मनाने का मुख्य उद्देश्य गाय और बैलों को खुश करना है. गाय और बैल बेजुबान होते हैं और उनकी मेहनत से ही खेतों में फसल तैयार होता है. ऐसे में उनके साथ खुशियों को बांटने के लिए ये पर्व मनाया जाता है. इसके अलावा हर वर्ष फसल अच्छी हो, इसको लेकर भी ये पर्व मनाया जाता है.