असम के गोलाघाट जिले में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान एवं टाइगर रिजर्व (KNPTR) एक सींग वाले गैंडे के लिए जाना जाता है. घर है. वहां टाटा समूह के आतिथ्य ब्रांड ताज (Taj Hotels) के तहत एक लक्जरी रिसॉर्ट के निर्माण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.
यहां कई आदिवासी संगठनों ने आरोप लगाया है कि सरकार बड़े होटलों के लिए उनकी जमीन का जबरन अधिग्रहण करने पर आमादा है.
परियोजना का विरोध करने वाले स्थानीय लोगों का कहना है कि बड़े होटल न सिर्फ किसानों को विस्थापित करेंगे बल्कि बाढ़ के मौसम में ऊंचे स्थानों पर शरण लेने वाले वन्यजीवों की आवाजाही में भी बाधा डालेंगे.
असम सरकार पर जबरन जमीन लेने का आरोप
असम सरकार ने सितंबर 2023 में हयात होटल्स के साथ एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए थे. उससे पहले सरकार ने असम पर्यटन विकास निगम के एक प्रस्ताव को भी अनुमोदित किया था, जिसके तहत इलाके में ताज समूह का एक भव्य रिसॉर्ट खोला जाएगा.
असम सरकार ने कहा है कि हयात समूह, नेशनल पार्क के पास 30 एकड़ में करीब 100 करोड़ की लागत से 120 कमरों का एक आलीशान होटल खोलेगा. पर्यावरण कार्यकर्ता इस परियोजना पर सवाल उठा रहे हैं.
उनकी दलील है कि यह निर्माण जिस इलाके में होना है, वह यूनेस्को हेरिटेज साइट का हिस्सा है और जमीन का मालिकाना हक आदिवासियों के पास है. पर्यावरणविदों का आरोप है कि सरकार इस जमीन का जबरन अधिग्रहण करने का प्रयास कर रही है. वहीं असम सरकार के मुताबिक, संबंधित जमीन सरकारी है.
लेकिन सरकार ने तमाम आरोपों को बेबुनियाद ठहराया है. वहीं विपक्षी कांग्रेस भी इस मुद्दे पर सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ आक्रामक है.
आदिवासियों को जबरन विस्थापित किया जा रहा
असम कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के लिए भाजपा सरकार की योजनाओं की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने क्षेत्र की समृद्ध जैव विविधता और स्थानीय समुदायों पर संभावित प्रभाव पर चिंता व्यक्त की है.
सांसद गौरव गोगोई ने कहा, “काजीरंगा समृद्ध वनस्पतियों और जीवों का घर है. दशकों से इस पारिस्थितिकी तंत्र को स्थानीय लोगों और प्रशासन द्वारा समान रूप से संरक्षित किया गया है. भाजपा सरकार पर भरोसा करें कि वह इन सभी को ख]तरे में डाल देगी और काजीरंगा में परिचालन स्थापित करने की इच्छा रखने वाले चुनिंदा होटल चेन के मुनाफे को प्राथमिकता देगी.”
गोगोई के मुताबिक, प्रस्तावित विकास परियोजनाओं के कारण पहले ही क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों को जबरन विस्थापित होना पड़ा है.
उन्होंने दावा किया, “क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों को जबरन उनके घरों से विस्थापित किया जा रहा है. हाथियों और अन्य लुप्तप्राय प्रजातियों के आवास को नष्ट किया जा रहा है. आजीविका के लिए इस क्षेत्र पर निर्भर रहने वाले किसानों को अनिश्चित भविष्य का सामना करना पड़ रहा है. उनके विरोध प्रदर्शनों का सरकार के बहरे कानों पर कोई असर नहीं पड़ रहा हैं.”
गोगोई ने भाजपा के नेतृत्व वाली असम सरकार की इन योजनाओं के काजीरंगा के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों पर जोर दिया.
उन्होंने स्थानीय आबादी की भलाई के प्रति सरकार की स्पष्ट उपेक्षा की आलोचना की.
उन्होंने कहा, “ऐसी योजनाएं जो काजीरंगा के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को ख़तरे में डालती हैं, उन्हें लागू नहीं किया जा सकता. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि असम में भाजपा सरकार क्षेत्र और लोगों के बजाय केवल कुछ चुनिंदा कंपनियों की परवाह करती है.”
जिस ज़मीन पर सवाल उठ रहे हैं, वह असम के गोलाघाट और कार्बी आंगलोंग जिलों की सीमा पर है. इस ज़मीन का इस्तेमाल हाथी, बाघ, तेंदुआ, हिरण और यहां तक कि गैंडे जैसे वन्यजीव नियमित रूप से करते हैं.
इस इलाके में रहने वालों को बीते दिनों एक सरकारी नोटिस मिला, जिसमें कहा गया है कि संबंधित जमीन असम पर्यटन विकास निगम की है. इसलिए उसे खाली करना होगा.
हर साल बाढ़ के दौरान काजीरंगा पार्क के ज्यादातर इलाके डूब जाते हैं. उस समय तमाम जानवर बाढ़ से बचने के लिए ऊंची जगहों पर शरण लेते हैं. गोलाघाट और कार्बी आंग्लांग जिले की सीमा पर स्थित यह जमीन जंगली जानवरों का प्राकृतिक कॉरिडोर भी है.
जिला प्रशासन इस जमीन को सरकारी संपत्ति बताती है. यह इलाका बोकाखात सब-डिवीजन के तहत है. स्थानीय सर्किल ऑफिसर चंपक डेका ने डीडब्ल्यू को बताया, “पर्यटन निगम से मिली सूचना के बाद हमने संबंधित लोगों को जमीन खाली करने के लिए नोटिस भेजा है. वहां गैर-कानूनी तरीके से कुछ मकान भी बने हैं. वह जमीन सरकारी है.”
हालांकि ताज ने अभी तक परियोजना के निर्माण की आधिकारिक घोषणा नहीं की है लेकिन उसने पिछले साल 23 सितंबर को केएनपीटीआर और उसके आसपास एक पांच सितारा होटल के निर्माण के लिए असम सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे.
असम सरकार के प्रचार विभाग द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि 100 करोड़ रुपये के निवेश से केएनपीटीआर के निकट 30 एकड़ क्षेत्र में 120 से अधिक कमरों, स्विमिंग पूल और बड़ी पार्किंग स्थलों वाला एक लक्जरी होटल बनेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने निर्माण पर लगाई थी रोक
साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने पार्क में रहने वाले जानवरों के कॉरिडोर के तौर पर इस्तेमाल होने वाले इलाके की निजी जमीन में किसी भी तरह के निर्माण पर पाबंदी लगा दी थी.
इससे पहले एक उच्च-स्तरीय केंद्रीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि कॉरिडोर में कई निजी और सरकारी निर्माण किए गए हैं. इसी रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने उक्त निर्देश दिया था.
KNPTR
असम में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, अपनी समृद्ध जैव विविधता और लुप्तप्राय एक सींग वाले गैंडों के अभयारण्य के रूप में प्रसिद्ध है.
दुनिया में एक सींग वाले गैंडों की कुल आबादी में से दो-तिहाई यहीं रहती है. एक सींग वाले गैंडों के संरक्षण में कामयाबी उत्तर में ब्रह्मपुत्र और दक्षिण में कार्बी-आंग्लांग की पहाड़ियों से घिरे काजीरंगा को साल 1950 में वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी और 1974 में नेशनल पार्क का दर्जा मिला.
इसकी जैविक और प्राकृतिक विविधताओं को देखते हुए यूनेस्को ने 1985 में इसे विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिया. 2006 में इसे टाइगर रिजर्व भी घोषित किया गया था.