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त्रिपुरा: 30 करोड़ रूपये का मुख्यमंत्री ट्राइबल डेवलपमेंट मिशन, अधूरी कोशिश तो नहीं?

त्रिपुरा सरकार का मुख्यमंत्री ट्राइबल डेवलपमेंट मिशन खानापूर्ती ज़्यादा है. क्योंकि आदिवासी इलाकों में सड़क, पीने के पानी और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जितने धन की ज़रूरत है, उसके आस-पास भी इस योजना में प्रवाधान नहीं है. इसके अलावा इस योजना में आदिवासी परिवारों के रजिस्ट्रेशन की बात कह कर सरकार ने एक संदेह पैदा किया है. शायद पिछले विधान सभा चुनाव में सत्ताधारी बीजेपी और उसके सहयोगी दल आईपीएफटी की हार के बाद सरकार आदिवासियों को कुछ पैसा बांटने की योजना बना रही है. जिससे लोकसभा चुनाव में आदिवासी बीजेपी की तरफ लौट सकें.

त्रिपुरा सरकार ने राज्य में आदिवासी समुदायों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को सुधारने के लिए 30 करोड़ रूपये ख़र्च करने का फैसला किया है. इस सिलसिले में राज्य के मंत्री मंडल ने मुख्यमंत्री ट्राइबल डेवलेपमेंट मिशन (Mukhyamantri Tribal Development Mission) को मंजूरी दी है. राज्य के पर्यटन मंत्री सुशांत चौधरी ने सरकार के इस फैसले के बारे में मीडिया को जानकारी दी है. 

सुशांत चौधरी ने कहा, “बीजेपी के चुनाव घोषणापत्र और बजट के प्रावधानों के अनुसार इस आदिवासी विकास के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी गई है.”  उन्होंने कहा “इस मिशन पर फ़िलहाल हर साल करीब 30 करोड़ रूपये ख़र्च किये जाएंगे, इस मिशन पर ख़र्च होने वाले धन की मात्रा आने वाले समय में बढ़ भी सकती है. “

सरकार के फैसले की जानकारी देते हुए सुशांत चौधरी ने कहा कि इस मिशन के दायरे में आने वाले आदिवासी परिवारों का रजिस्ट्रेशन जल्दी ही शुरू किया जाएगा.  इस बारे में आगे बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह पैसा आदिवासी इलाकों में पीने के पानी के इंतज़ाम, सड़कों के निर्माण और नौजवानों को रोज़गार के लिए सक्षम बनाने पर ख़र्च किया जाएगा. 

त्रिपुरा सरकार का दावा है कि आदिवासी विकास के लिए बीजेपी सरकार की प्रतिबद्धता का यह एक और उदाहरण है. इससे पहले बीजेपी-आईपीएफ़टी सरकार ने त्रिपुरा की आदिवासी स्वायत्त ज़िला परिषद (Tripura Tribal Areas Autonomous District Council) की सीटें 30 से बढ़ा कर 50 कर देने की सिफ़ारिश केंद्र सरकार को भेजी थी.

त्रिपुरा सरकार के इस प्रस्ताव पर अभी तक केंद्र सरकार ने प्रतिक्रिया नहीं दी है. 

त्रिपुरा कैबिनेट ने अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति कल्याण विभाग में ग्रुप सी में सुपरवाइज़र के खाली पड़े 50 पदों को भरने का फैसला भी लिया है. 

त्रिपुरा की कुल जनसंख्या करीब 45 लाख बताई जाती है. इसमें से करीब 11 लाख से ज़्यादा आदिवासियों की संख्या है. यानि त्रिपुरा की कुल जनसंख्या का करीब करीब एक तिहाई हिस्सा आदिवासियों का है.

आदिवासी लोग राज्य के पहाड़ी जंगल के इलाकों में रहते हैं. इन इलाकों में सड़कों, पीने के पानी और स्वास्थ्य सेवाओं की काफी ज़रूरत है.

इस सिलसिले में त्रिपुरा आदिवासी स्वायत्त परिषद (TTADC) में कार्यकारी सदस्य कमल कलोई ने MBB के बताया,”आदिवासी इलाकों के लिए स्वायत्त ज़िला परिषद ने 1100 करोड़ रूपये का बजट प्रस्तावित किया था. लेकिन राज्य सरकार ने सिर्फ 619 करोड़ रूपये की अनुमति दी है. उसमें से भी सिर्फ़ 150 करोड़ रुपये ही दिए हैं.”

वो आगे कहते हैं कि इन आंकड़ों से ही आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि आदिवासी इलाकों के विकास के प्रति सरकार कितनी गंभीर है.

इसके अलावा यहां पर खेती और रोज़गार के साधनों पर भी सरकार को निवेश करने की ज़रूरत है. इस लिहाज़ से देखें तो त्रिपुरा सरकार ने मुख्यमंत्री ट्राइबल डेवलपमेंट मिशन की शुरूआत अच्छी की है. लेकिन 30 करोड़ की रकम बेहद कम है.

क्योंकि पहाड़ी क्षेत्रों में सड़कों और अन्य सुविधाओं के निर्मण पर सामन्य से ज़्यादा पैसा ख़र्च होता है.

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