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झारखंड में ग्राम सभाओं को शक्तिशाली बनाने के लिए पेसा के ड्राफ्ट रूल जारी

पेसा कानून 1996 ग्राम सभाओं को स्वशासन की शक्ति देता है. झारखंड में पेसा के जो नियम प्रस्तावित है उनमें ग्राम सभाओं और आदिवासी स्वशासन प्रणाली को मजबूत बनाने की मंशा दिखाई देती है.

झारखंड में पंचायती राज विभाग ने पंचायत उपबंध( अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) यानि पेसा कानून 1996 के ड्राफ्‍ट रूल प्रकाशित किये है. इसका मतलब ये हुआ कि अब आम लोग इन प्रस्तावित पेसा के नियमों पर अपनी राय दे सकते हैं. जब लोगों की राय आ जाएगा उसके बाद ही इन नियमों को अंतिम रूप दिया जाएगा. 

झारखंड सरकार ने फ़िलहाल जो प्रारूप प्रकाशित किया है, इसमें पंचायत के संचालन के बारे में विस्तार से नियम तय किये गए हैं. इस नियमावली का नाम ‘झारखंड पंचायत उपबंध अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार 2022’ दिया गया है.

इसमें सचिव का अर्थ ग्राम पंचायत का पंचायत सचिव होगा. ग्राम सभा अध्यक्ष से अभिप्राय ग्राम प्रधान है. इसके अलावा मांझी मुंडा, मानकी, जोकलो, सोहोर, पंच परगनैत, पड़हा राजा, पहान, महतो को भी ग्राम प्रधान की तरह ही माना गया है. 

गांव की पंचायत की कार्यकारिणी समिति ग्राम पंचायत स्तर पर निर्वाचित मुख्या और वार्ड सदस्य होंगे. इस नियमावली में वन भूमि, लघु जल निकायों, लघु खनिज, मादक द्रव्य, प्राकृतिक संसाधन को परिभाषित किया गया है. 

पेसा के प्रस्तावित नियमों में ग्राम सभा के अधिकार और संचालन तय किये गए हैं. इसके अलावा ग्रामसभा के गठन और ग्राम की संरचना के बारे में भी विस्तार से उल्लेख किया गया है.

आदिवासी स्वशासन व्यवस्था कैसे काम करती है

इन नियमों के तहत सामुदायिक संसाधनों के प्रबंधन के साथ ही परंपराओं का संरक्षण और विवादों का निबटारा, ग्रामसभा में विवादों की सुनवाई, ग्रामभा द्वारा दंड निर्धारण करने और ग्रामसभा के निर्णर पर अपीलीय अधिकार को भी विस्तार पूरवक शामिल किया गया है.

मसलन इस नियमावली में लघु जल निकायों जैसे तालाब आदी का प्रबंधनि कैसे हो इस पर विस्तार से बातया गया है. गांव में सिंचाई के प्रबंधन और तलाब की भूमि के प्रबंधन के तरीके का उल्लेख किया गया है. यह भी शामिल किया गया है कि सभी व्य्कतियों को गांव के क्षेत्र के आधीन वाले प्राकृततिक जल संसाधनों में मछली पकड़ने का सामान अधिकार होगा.

इसके अलावा लघु खनिज जैसे बालू, मिट्टी, पत्थर और मोरम के प्रबंधन का अधिकार भी ग्राम सभा को होगा. बालू घाट के प्रबंधन का अधिकार भी ग्राम सभा को देने का प्रावधान प्रस्तावित है. इन गतिविधियों से जो भी पैसा मिलेगा उसे ग्रामसभा के कोष में जमा किया जाएगा.

लघु खनिज के खनन के लिए ग्राम सभा से पट्टा लेना अनिवार्य होगा. ग्राम सभा की अनुमति के बिना खनन अवैध होगा.

आदिवासी इलाकों में स्वाशासन को मजबूत बनाने और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन में समुदाय की हिस्सेदारी सुनिश्चित करने वाले पेसा कानून को संसद से पास हुए 27 साल बीत चुके हैं.

लेकिन इस दौरान कई ऐसे राज्य जहां आदिवासी जनसंख्या बड़ी है वहां इस कानून के नियम ही तैयार नहीं किये गये थे. मसलन मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी हाल ही में पेसा के नियम लागू हुए हैं.

झारखंड ने अभी पेसा के नियमों का मसौदा प्रस्तावित किया है. यानि अभी इन नियमों को अंतिम रूप देने में समय लगेगा. ओडिशा ने अभी तक पेसा को लागू करने के नियम नहीं बनाए हैं.

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