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त्रिपुरा में आदिवासी नेताओं ने गवर्नर से संवैधानिक ज़िम्मेदारी निभाने का आग्रह किया

संविधान में यह व्यवस्था की गई है कि आदिवासी बहुल इलाकों में गवर्नर विकास और संस्कृति की रक्षा का दायित्व निभाएँगे. गवर्नर को यह अधिकार दिया गया है कि वे चाहें तो किसी कानून को आदिवासी इलाकों में लागू होने से पूरी तरह से या आंशिक तौर पर रोक भी सकते हैं. अनुसूचित क्षेत्रों के सामाजिक आर्थिक विकास पर गवर्नर को हर साल एक रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजनी होती है. लेकिन शायद ही किसी राज्य के गवर्नर इस सवैंधानिक ज़िम्मेदारी को निभाते हैं.

भारत के उत्तर-पूर्व के राज्य त्रिपुरा में आदिवासियों ने एक ज़रूरी मसला उठाया है. दरअसल TTADC यानि त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद ने राज्यपाल से आदिवासी इलाकों में विकास से संबंधित मुद्दो पर हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है. 17 नवंबर, गुरूवार को अगरतला के राज भवन में TTADC के मुखिया पूर्ण चंद्र जमातिया (Purna Chandra Jamatia) और उनके साथियों ने राज्यपाल इंद्रसेना रेड्डी नल्लू (governor Indrasena Reddy Nallu) से मुलाक़ात की.

इस मीटिंग के दौरान उन्होंने आदिवासी इलाकों से जुड़े 24 बिलों पर सहमति देने का आग्रह किया. इसके अलावा राज्यपाल को एक पत्र सौंपा गया है जिसमें आदिवासी इलाकों की मांगों पर विस्तार से बात की गई है. क्या हैं ये मांगे और क्या राज्यपाल से उन्हें कोई आश्वासन मिला है, श्यामसुंदर ने TTADC के सदस्य और वरिष्ठ आदिवासी नेता कमल कोलोई से बातचीत की है. यह पूरी बातचीत आप उपर के लिंक पर क्लिक करके देख सकते हैं.

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