HomeTribal Kitchenचिंगरी पुड़गा : परजा आदिवासी परिवार का सिंपल लेकिन स्वादिष्ट खाना

चिंगरी पुड़गा : परजा आदिवासी परिवार का सिंपल लेकिन स्वादिष्ट खाना

भगवती परजा एक स्कूल के हॉस्टल में कुक का काम करती हैं. उन्होंने बताया कि यह हॉस्टल आदिवासी छात्रों के लिए ही बनाया गया है. इस हॉस्टल में क़रीब 300 छात्र रहते हैं. भगवती के साथ उनके दो और साथी हैं जो इन 300 छात्रों का खाना तैयार करते हैं.

ओडिशा के कोरापुट ज़िले में एक बार फिर परजा आदिवासियों से मुलाक़ात हुई. इस दौरान खूब लंबी बातें हुईं और उनके दुख-सुख को समझने का मौक़ा मिला. इसी सिलसिले में भगवती परजा के परिवार के साथ एक शाम बीती.

भगवती परजा एक स्कूल के हॉस्टल में कुक का काम करती हैं. उन्होंने बताया कि यह हॉस्टल आदिवासी छात्रों के लिए ही बनाया गया है. इस हॉस्टल में क़रीब 300 छात्र रहते हैं. भगवती के साथ उनके दो और साथी हैं जो इन 300 छात्रों का खाना तैयार करते हैं.

परजा आदिवासी समुदाय ओडिशा के 62 आदिवासी समुदायों में से एक है जिन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा हासिल है. बल्कि इस आदिवासी समुदाय को पीवीटीजी की श्रेणी में रखा गया है.

यानि विकास और आधुनिकतावाद के पैमाने पर यह आदिवासी समुदाय अभी काफ़ी पिछड़ा है. उत्पादन, जीविका के साधन या फिर साक्षरता इस समुदाय की स्थिति बाक़ी समुदायों की तुलना में कमज़ोर है.

परजा आदिवासियों की स्थिति पर विस्तार से हम आपको ग्राउंड रिपोर्ट दिखाएँगे. उनकी सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान के बारे में भी आपको बताने की कोशिश होगी. लेकिन आज बात उस शाम की जो हमारी टीम ने भगवती के घर पर बिताई थी.

हम शाम ढले ही भगवती के घर पर पहुँचे थे. भगवती का घर छोटी सी झोपड़ी ही कही जा सकती है. लेकिन घर के सामने का आँगन बड़ा और साफ़ सुथरा है. हम लोग आँगन में बैठ कर ही उनसे गप्प लगा रहे थे.

बातचीत के दौरान हमें अहसास हुआ कि उनको तो अपने परिवार का खाना बनाना होगा. हमने उनसे कहा कि हमें चलना चाहिए. इस पर उन्होंने कहा कि हम खाना खा कर ही जाएँ. ” मैं खाना बनाती रहूँगी, बातचीत भी होती रहेगी” भगवती ने कहा था.

उन्होंने कहा कि आज आपको हम चिंगरी पुड़गा खिलाते हैं. इसके बाद उन्होंने खाना बनाना शुरू किया और हम से बीच बीच में बातचीत भी करती रहीं. उन्होंने सबसे पहले चिंगरी (prawn) को धो कर साफ़ कर लिया.

उसके बाद चिंगरी में एक चम्मच के क़रीब तेल डाला और फिर हल्दी, नमक और मिर्च डाल कर उसे अच्छे से मिक्स कर लिया. यह सब तैयारी होने के बाद उन्होंने पत्तों से बनाए दोने में चिंगरी को रख कर इसे तिनकों के सहारे अच्छे से पैक कर दिया.

उन्होंने जो पुड़गा तैयार किया था उसको चूल्हे में तैयार अंगारों में रख दिया और उसके उपर भी कुछ अंगार रख दिये थे. क़रीब 15 मिनट बाद उन्होंने इस पुड़गा को आग से निकाल लिया. बस उसके बाद हमने इस पुड़गा चिंगरी का स्वाद चखा, जो बयान करना मुश्किल है.

आप यह पूरी कहानी उपर वीडियो में देख सकते हैं.

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