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कर्नाटक: बिजली की कमी से जूझ रहे आदिवासी समुदायों के लिए सौर विद्युतीकरण

परियोजना के हिस्से के रूप में मैसूर जिले के एचडी कोटे तालुक के बी मातकेरे ग्राम पंचायत में अलनहल्ली हादी और कुदगी हादी के लगभग 75 परिवारों को सोलर लैंप और सोलर वॉटर हीटर मिले. दीपावली समारोह से ठीक पहले 21 अक्टूबर को परियोजना का उद्घाटन होने पर दो आदिवासी बस्तियों में छह सौर ऊर्जा संचालित स्ट्रीट लैंप भी लगाए गए थे.

कर्नाटक बांदीपुर और नागरहोल जंगलों के किनारे आदिवासी बस्तियों में परिवार लंबे समय से बिजली की कमी को झेल रहे हैं. यहां तक ​​​​कि अगर उनके गांवों का विद्युतीकरण किया जाता है तो सभी परिवारों के पास बिल का भुगतान करने और कनेक्शन बनाए रखने के लिए वित्तीय संसाधन नहीं होते हैं.

इन परिवारों के पास जो मौजूदा कनेक्शन है उसमें भी दिन में 16 घंटे से अधिक समय तक बिजली गुल रहती है. इतना ही नहीं जितनी देर बिजली रहती है उस वक्त वोल्टेज में उतार-चढ़ाव और तकनीकी खराबी रहती है. विशेष रूप से बरसात के मौसम में ये परेशानियां ज्यादा प्रभावित करती हैं.

इसलिए स्वामी विवेकानंद युवा आंदोलन (Swami Vivekananda Youth Movement) ने इन आदिवासी समुदायों के लिए सौर विद्युतीकरण लाने के लिए माइंडट्री फाउंडेशन और सेल्को फाउंडेशन के साथ हाथ मिलाया है.

परियोजना के हिस्से के रूप में मैसूर जिले के एचडी कोटे तालुक के बी मातकेरे ग्राम पंचायत में अलनहल्ली हादी और कुदगी हादी के लगभग 75 परिवारों को सोलर लैंप और सोलर वॉटर हीटर मिले. दीपावली समारोह से ठीक पहले 21 अक्टूबर को परियोजना का उद्घाटन होने पर दो आदिवासी बस्तियों में छह सौर ऊर्जा संचालित स्ट्रीट लैंप भी लगाए गए थे.

एसवीवाईएम के सूत्रों के अनुसार, आदिवासी बस्तियों के कई परिवारों में बिजली कनेक्शन नहीं है. वहीं बिलों का भुगतान करने में असमर्थ होने के कारण कुछ लोगों का कनेक्शन काट दिया गया. जिनके पास बिजली का कनेक्शन है उन्हें दिन में 16 घंटे तक बिजली कटौती का सामना करना पड़ता है.

खाना पकाने और रौशनी के लिए कई आदिवासी परिवार सूखी लकड़ी जैसे वन संसाधनों का सहारा लेते हैं, जिससे उन्हें जंगली जानवरों, जैसे बड़ी बिल्लियों और हाथियों से मुठभेड़ की संभावना उजागर हो जाती है। इन आदिवासी बस्तियों के बच्चे सूर्यास्त के बाद पढ़ाई नहीं कर पाते हैं.

एसवीवाईएम को उम्मीद है कि समुदाय का सौर विद्युतीकरण इन क्षेत्रों में जानवरों के ख़तरे को  कम करेगा साथ ही रात में स्ट्रीट लैंप और पर्याप्त रोशनी के साथ सुरक्षा प्रदान करेगा. एसवीवाईएम दो गांवों के परिवारों के बीच कम लागत वाले बॉयलर वितरित करेगा, जो लकड़ी के ईंधन के उपयोग को कम करेगा.

यह पहल एसवीवाईएम और माइंडट्री फाउंडेशन द्वारा ‘ह्यूमन एंड सोशल कैपिटल डेवलपमेंट’ के माध्यम से एचडी कोटे तालुक के बी मातकेरे में एक मॉडल ग्राम पंचायत बनाने के लिए शुरू की गई एक परियोजना का हिस्सा है.

(Photo Credit: The Hindu)

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