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आंध्र प्रदेश में उठक-बैठक की सजा के कारण 70 कॉलेज छात्राएं अस्पताल में भर्ती

इस मामले में चार सदस्यीय जांच समिति गठित की गई. समिति कॉलेज प्रिंसिपल के खिलाफ आरोपों और छात्राओं के प्रति उनके कठोर व्यवहार की जांच करेगी.

आंध्र प्रदेश के रामपचोदवरम में आदिवासी कल्याण गुरुकुल कॉलेज की करीब 70 छात्राएं प्रिंसिपल द्वारा कथित तौर पर शारीरिक दंड दिए जाने के बाद अस्पताल में भर्ती हुईं.

उन्होंने आरोप लगाया कि प्रिंसिपल ने सजा के तौर पर 100 छात्राओं से 200 सिट-अप करने को कहा. जिसमें से 70 छात्राएं गंभीर एनीमिया के कारण अस्पताल में भर्ती हुईं. हालांकि, एक को छोड़कर बाकी सभी छात्राएं डिस्चार्ज हो गईं.

यह घटना पिछले शुक्रवार को हुई थी. लेकिन मंगलवार को आदिवासी संगठनों के नेतृत्व में कई अभिभावकों द्वारा कॉलेज में धरना दिए जाने के बाद यह मामला प्रकाश में आया.

रामपचोदवरम की विधायक मिरियाला सिरीशा देवी ने अस्पताल का दौरा किया और छात्राओं के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली.

इस मामले में चार सदस्यीय जांच समिति गठित की गई. समिति कॉलेज प्रिंसिपल के खिलाफ आरोपों और छात्राओं के प्रति उनके कठोर व्यवहार की जांच करेगी.

आईटीडीए प्रोजेक्ट ऑफिसर कट्टा सिम्हाचलम ने कहा कि अगर प्रिंसिपल जी प्रसूना दोषी पाई गईं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

छात्राओं ने प्रोजेक्ट ऑफिसर को बताया कि प्रिंसिपल ने उनसे शौचालय साफ करवाए.

उन्होंने बताया, “हमें उनके निर्देशों का पालन करना पड़ता है. नहीं तो प्रिंसिपल हमें 100 से 200 सिट-अप करने के लिए कहती थीं. हमें तीन दिनों तक रोजाना 200 सिट-अप करने के लिए कहा गया. हमें शरीर में दर्द होने लगा और कुछ तो बेहोश भी हो गईं.”

अस्पताल का दौरा करने वाले प्रोजेक्ट ऑफिसर और कल्पसरी के उप-कलेक्टर ने छात्राओं को अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा.

वहीं प्रिंसिपल के खिलाफ लड़कियों द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए आदिवासी कल्याण उप निदेशक जॉन राजू को नियुक्त किया गया है.

इस बीच, आईटीडीए ने प्रसूना और कॉलेज के एक अन्य कर्मचारी को कारण बताओ नोटिस जारी कर लड़कियों को दी गई शारीरिक सजा के बारे में स्पष्टीकरण मांगा है.

आदिवासी कॉलेज में करीब 375 लड़कियां पढ़ती हैं. मीडिया से बात करते हुए, कई पीड़ित लड़कियों ने प्रिंसिपल पर पिछले कुछ महीनों से अनुशासन के नाम पर उन्हें परेशान करने का आरोप लगाया.

छात्राओं का कहना है कि उन्हें वॉशरूम और डाइनिंग हॉल साफ करने के लिए मजबूर किया जाता है. कभी-कभी वह (प्रिंसिपल) हमें कॉलेज कैंपस में बागवानी का काम भी करने के लिए कहती थीं. शुक्रवार को प्रिंसिपल ने हमें 100 सिट-अप करने के लिए कहा.

लड़कियों ने बताया कि उन्होंने एक ऐसे कमरे में सिट-अप करने के लिए कहा, जहां सीसीटीवी कैमरे नहीं थे.

आदिवासी एसोसिएशन के राज्य अध्यक्ष लोटा रामा राव ने कहा कि कॉलेज के प्रिंसिपल और कई अन्य कर्मचारी आदिवासी लड़कियों के साथ शारीरिक दंड देकर अमानवीय व्यवहार कर रहे थे. वे छात्राओं को शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, “हम राज्य सरकार से अपील करते हैं कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए प्रिंसिपल और अन्य कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए.”

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