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बिहार के पूर्णिया में जादू-टोना के शक में एक ही आदिवासी परिवार के 5 लोगों की हत्या

आदिवासी परिवार के सभी लोगों के साथ पहले मारपीट की गई. इसके बाद उनके शरीर पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी गई. फिर घर के पास ही मकई की पराली जलाकर सभी को उसमें जिंदा फेंक दिया गया.

बिहार के पूर्णिया जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. 6 जुलाई की रात जादू-टोना के संदेह में स्थानीय लोगों ने एक आदिवासी परिवार के पांच लोगों को जिंदा जला दिया.

ग्रामीणों ने इलाके में हाल ही में हुई मौतों को इस परिवार से जोड़ा और उन पर इसके लिए जिम्मेदार होने का संदेह जताया.

पुलिस ने सभी पांच जले हुए शव बरामद कर लिए हैं और इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है.

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में 23 आरोपी हैं. 150-200 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है और मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है.

उन्होंने आगे बताया कि इस मामले में छापेमारी की जा रही है और एक नाबालिग समेत तीन लोगों को हिरासत में लिया गया है.

स्थानीय निवासियों के मुताबिक, हत्याएं कथित तौर पर काले जादू और जादू-टोने के आरोपों से जुड़ी हुई हैं.

मृतकों के नाम कातो देवी (70), उनका बेटा बाबूलाल उरांव (50), बहू सीता देवी (40), पोता मंजीत कुमार (25) और मनजीत की पत्नी रानी देवी (20) हैं.

जिंदा बचे एक बच्चे ने पुलिस को बताया पूरा मामला

वहीं परिवार का एक बच्चा, जो जिंदा बच गया, उसने पुलिस को बताया कि हमले में सभी गांव वाले शामिल थे.

सदर पूर्णिया के एसडीपीओ पंकज कुमार शर्मा के अनुसार, 16 वर्षीय सोनू कुमार ने पुलिस को बताया कि ‘काले जादू’ के नाम पर ‘उरांव’ समुदाय के लोगों ने उसके परिवार के साथ मारपीट की और उन्हें जिंदा जला दिया.

पुलिस अधिकारी ने बताया, “आज सुबह करीब पांच बजे सोनू कुमार (16) ने पुलिस को सूचना दी कि काले जादू के नाम पर उरांव समुदाय के लोगों ने उसके परिवार के साथ मारपीट की और रात में उन्हें जिंदा जला दिया. जांच के दौरान जब हम उनके गांव पहुंचे तो हमें पांच लोगों के लापता होने की जानकारी मिली – बाबूलाल उरांव, सीता देवी, मंजीत उरांव, अरनिया देवी और ककटो.”

पुलिस ने बाद में पांच लापता लोगों के जले हुए शव बरामद किए और बताया कि ऐसा माना जाता है कि पीड़ित “काला जादू करते थे” और इसी सिलसिले में उनकी हत्या की गई.

क्या है पूरा मामला?

जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर पूर्णिया पूर्व प्रखंड की रजीगंज पंचायत के टेटगामा आदिवासी टोला की यह घटना है.

आदिवासी परिवार के सभी लोगों के साथ पहले मारपीट की गई. इसके बाद उनके शरीर पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी गई. फिर घर के पास ही मकई की पराली जलाकर सभी को उसमें जिंदा फेंक दिया गया.

सभी की मौत हो जाने के बाद एक ट्रैक्टर से उनके शवों को मृतकों के घर से 2 किलोमीटर दूर जलकुंभी से भरे एक तालाब में फेंक दिया गया.

दरअसल, हाल के दिनों में टेटगामा आदिवासी टोला में अचानक 3 बच्चों की मौत हो गई थी. मृत बच्चों में एक बस्ती के रामदेव उरांव का बच्चा था. उसका दूसरा बच्चा बीमार चल रहा था. बस्ती को लोगों को लगा कि कातो देवी और उसके परिवार ने ही डायन-बिसाही, झाड़-फूंक कराकर उनके बच्चे की जान ले रहा है. इसलिए सभी की हत्या कर दी गई.

NCST ने तीन दिन के भीतर मांगी रिपोर्ट

वहीं इस हत्या का संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) ने बिहार सरकार से तीन दिनों के भीतर रिपोर्ट मांगी है.

आयोग की सदस्य आशा लकड़ा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किया कि आयोग ने इस मामले में बिहार सरकार से तीन दिनों के भीतर रिपोर्ट मांगी है.

बिहार बिजेपी विधायक ने हत्या की निंदा की

बीजेपी के विधायक विजय खेमका ने इस हत्या पर दुख जताया है. उन्होंने इस घटना को ‘दुखद’ और ‘स्तब्ध करने वाला’ बताया.

खेमका ने न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए कहा, “पूर्णिया के टेटगामा आदिवासी गांव में एक ही परिवार के पांच सदस्यों की हत्या एक दुखद और चौंकाने वाली घटना है… कल मैं डीआईजी एसपी, डीएम और अन्य अधिकारियों सहित सक्रिय पुलिस के साथ घटनास्थल पर था. पुलिस के सक्रिय प्रयासों से पांचों मृतकों के शव बरामद किए गए और उनकी बरामदगी के बाद इसमें शामिल तीन व्यक्तियों को गिरफ्तार कर लिया गया.”

उन्होंने कहा, “पुलिस मामले की जांच कर रही है… वे परिवार के सदस्यों से भी बयान ले रहे हैं, जिसमें एक बहन भी शामिल है जो वीरपुर में रहती है, जिसका एक बेटा घटना के बाद वहां से भाग गया… गांव में दहशत का माहौल है. जब मैं रात में वहां गया तो गांव सुनसान था… ट्रैक्टर और उसके मालिक की पहचान कर ली गई है और कोई भी नहीं बचेगा… सरकार ने इस घटना में एक एसआईटी भी गठित की है.”

झारखंड सरकार के मंत्री ने कहा – हत्या की जांच के लिए भेजें कमेटी

झारखंड सरकार के स्वास्थ्य, खाद्य आपूर्ति और आपदा प्रबंधन मंत्री डा. इरफान अंसारी ने बिहार के पूर्णिया जिले में आदिवासी समुदाय के पांच लोगों की निर्मम हत्या पर गहरा रोष व्यक्त किया है। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर इस मामले में तत्काल कार्रवाई की मांग की है.

अंसारी ने सुझाव दिया कि झारखंड सरकार एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल गठित करे, जिसमें उन्हें भी शामिल किया जाए ताकि वे मौके पर जाकर घटना की वास्तविक स्थिति की जांच कर सकें.

पत्र में उन्होंने इस घटना को मानवता पर कलंक और आदिवासी समाज की सुरक्षा पर गंभीर आघात बताया. उन्होंने कहा कि भाजपा शासित बिहार में आदिवासी समुदाय असुरक्षित है और उनके जीवन की कोई गारंटी नहीं है.

इरफान अंसारी ने इस हत्याकांड की घोर निंदा करते हुए इसे आदिवासी अस्मिता और आत्मसम्मान पर हमला करार दिया.

उन्होंने केंद्र और बिहार सरकार पर दबाव बनाने की जरूरत पर जोर देते हुए निष्पक्ष जांच और दोषियों को कठोर सजा दिलाने की मांग की.

अंसारी ने कहा कि यह केवल प्रशासनिक मामला नहीं, बल्कि आदिवासी अस्तित्व का सवाल है. उन्होंने मुख्यमंत्री से इस मामले को शीर्ष प्राथमिकता देने और झारखंड सरकार की संवेदनशीलता को देश के सामने प्रस्तुत करने का आग्रह किया.

झारखंड कांग्रेस ने भेजी अपनी टीम

वहीं मामले की जांच के लिए झारखंड कांग्रेस ने बंधु तिर्की के नेतृत्व में अपनी एक टीम भेजी है. यह दल वहां आदिवासी परिवार की बर्बर हत्या के कारणों की पड़ताल करेगा और प्रदेश नेतृत्व को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा. यह रिपोर्ट कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व को भेजी जाएगी.

पूर्णिया रवाना होने से पहले बंधु तिर्की ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा, ‘बिहार के पूर्णिया जिले में अंधविश्वास की भयंकर आग में एक ही परिवार के 5 आदिवासी सदस्यों की निर्मम हत्या ने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है. डायन-बिसाही जैसे अंधविश्वासी आरोपों के चलते इस तरह की बर्बरता न केवल मानवता पर कलंक है बल्कि यह आदिवासी समाज की सुरक्षा और सम्मान पर भी सीधा प्रहार है.’

उन्होंने आगे लिखा, ‘इस अमानवीय कृत्य की हम घोर निंदा करते हैं और बिहार सरकार, विशेषकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग करते हैं कि इस जघन्य अपराध में शामिल दोषियों को अविलंब गिरफ़्तार कर कठोर सज़ा दिलायी जाए. साथ ही यह सुनिश्चित किया जाये कि भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो.’

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