HomeAdivasi Dailyप्राइमरी स्कूल के बाद आदिवासी बच्चे पढ़ाई क्यों छोड़ रहे हैं?

प्राइमरी स्कूल के बाद आदिवासी बच्चे पढ़ाई क्यों छोड़ रहे हैं?

आदिवासी समुदायों से संबंधित छात्रों के लिए प्राथमिक आयु वर्ग के 98.3 प्रतिशत बच्चे स्कूल जाते हैं लेकिन माध्यमिक विद्यालय में यह संख्या 77 प्रतिशत और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में 49 प्रतिशत रह जाती है.

शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली (Unified District Information System for Education) के साल 2023-24 के उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि 6 से 10 वर्ष की आयु का लगभग प्रत्येक आदिवासी बच्चे का नाम स्कूल में दर्ज है.

इसके साथ ही एक और जानकारी मिलती है कि 14 वर्ष की आयु तक चार में से सिर्फ तीन ही बच्चे स्कूल जाते हैं.

इस सूचना प्रणाली से यह भी बता चलता है कि आदिवासी इलाकों में 16 से 17 वर्ष की आयु के आधे से भी कम बच्चे स्कूल जाते हैं.

UDISE+ ग्रॉस एनरोलमेंट अनुपात (GER) के मुताबिक, स्कूली शिक्षा के चार चरणों के लिए योग्य आयु समूह ये होना चाहिए –

. प्राइमरी में कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों की आयु 6-10 वर्ष

. अपर प्राइमरी में कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों की आयु 11-13 वर्ष 

. सेकेंडरी में कक्षा 9 और दसवीं के बच्चों की आयु 14 से 15 वर्ष

. हायर सेकेंडरी में कक्षा ग्याहरवीं और बारहवीं के छात्रों की आयु 16 से 17 वर्ष

प्राइमरी और अपर प्राइमरी कक्षाएं मिलकर प्राथमिक विद्यालय का निर्माण करती हैं.

सभी सामाजिक समूहों में प्राथमिक विद्यालय आयु वर्ग के 93 प्रतिशत बच्चे कक्षा I-V में एनरोल हैं. जबकि उच्चतर माध्यमिक स्तर पर 56 प्रतिशत एनरोल हैं.

कई उत्तरी और पूर्वोत्तर राज्यों ने माध्यमिक विद्यालय में नामांकन की सबसे कम दरें दर्ज की हैं.

कुल मिलाकर साल 2023-24 में देशभर के स्कूलों में करीब 23 करोड़ 50 लाख छात्र एनरोल थे, जो पिछले वर्ष के 24 करोड़ 20 लाख से 3 प्रतिशत कम है.

इनमें से 11 करोड़ 30 लाख (48 प्रतिशत) लड़कियां और 12 करोड़ 20 लाख लड़के थे.

इनमें से 2 करोड़ 30 लाख अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes) और 4 करोड़ 30 लाख अनुसूचित जाति (Scheduled Castes) के थे.

साल 2022 में कोविड-19 महामारी के कारण हुए आर्थिक झटके के कारण प्राइवेट स्कूल में एनरोलमेंट यानि दाखिले में गिरावट आई है. विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवारों में…

कई माता-पिता अब प्राइवेट स्कूलों का खर्च नहीं उठा सकते, जिससे यह पता चलता है कि वित्तीय संकट सीधे तौर पर स्कूल नामांकन को कैसे प्रभावित करता है.

सेकेंडरी स्कूलों के एनरोलमेंट में गिरावट

आदिवासी समुदायों से संबंधित छात्रों के लिए प्राथमिक आयु वर्ग के 98.3 प्रतिशत बच्चे स्कूल जाते हैं लेकिन माध्यमिक विद्यालय में यह संख्या 77 प्रतिशत न और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में 49 प्रतिशत रह जाती है.

इसकी तुलना में सभी सामाजिक समूहों में प्राथमिक जीईआर 93 प्रतिशत है लेकिन 56 प्रतिशत ग्यारहवीं कक्षा तक पहुंच पाते हैं.

इसके अलावा उच्च प्राथमिक स्तर पर भी आदिवासी बच्चों की नामांकन दर अधिक है (सभी सामाजिक समूहों के लिए 90 प्रतिशत की तुलना में 95 प्रतिशत), जिससे पता चलता है कि कक्षा आठ के बाद बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं.

2024 के आंकड़ो के विश्लेषण के मुताबिक, स्कूलों तक सीमित पहुंच, गरीबी, भाषा संबंधी बाधाएं और सामाजिक भेदभाव, आदिवासी छात्रों की शिक्षा में भागीदारी को प्रभावित करते रहेंगे.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इंफ्रास्ट्रक्चर, स्कूलों और परिवहन सुविधाओं की कमी के कारण वे नियमित रूप से स्कूल नहीं जा पाते हैं. इसमें यह भी पाया गया कि शिक्षा प्रणाली में पक्षपात और पूर्वाग्रहों के कारण प्रतिकूल माहौल बन सकता है, जिससे आदिवासी छात्रों में आत्म-सम्मान कम होता है और वे हतोत्साहित होते हैं.

2021 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पारिवारिक आय, शैक्षणिक संस्थानों से दूरी, सांस्कृतिक अपेक्षाएं और स्कूलों के भीतर भेदभाव जैसे कारण हाशिए पर पड़े समूहों के बीच छात्रों के एनरोलमेंट को प्रभावित करते हैं.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि शैक्षिक योग्यता होने के बावजूद, वंचित समूहों के व्यक्तियों को नौकरियों के लिए चुने जाने की संभावना, प्रभावशाली जाति के आवेदकों की तुलना में कम होती है, जिससे स्कूल में बने रहने के लिए प्रोत्साहन सीमित हो जाता है.

आदिवासी लड़कियों का स्कूल ड्रॉपआउट दर अधिक

डेटा से पता चलता है कि आदिवासी लड़कियों का एक उच्च प्रतिशत प्राथमिक विद्यालय में नामांकित है, लेकिन वे उस संख्या में माध्यमिक या उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में आगे नहीं बढ़ पाती हैं.

2023-24 में आदिवासी लड़कियों के लिए जीईआर प्राथमिक स्तर पर 97.4 प्रतिशत से घटकर माध्यमिक स्तर पर 78.5 प्रतिशत और उच्चतर माध्यमिक स्तर पर 48.4 प्रतिशत हो गया.

वहीं सभी सामाजिक समूहों में लगभग 93 प्रतिशत लड़कियां प्राथमिक विद्यालय में नामांकित हैं और माध्यमिक स्तर तक यह संख्या गिरकर 78 प्रतिशत हो जाती है.

2019 में इंडियास्पेंड ने ओडिशा में आदिवासी लड़कियों के आवासीय विद्यालयों की स्थिति पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जहां लड़कियों को अक्सर असुरक्षित वातावरण और बुनियादी सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ता है.

चास्कर ने कहा, “स्कूल छोड़ देने वाली लड़कियों का कम उम्र में विवाह होना गंभीर चिंता का विषय है. इनमें से कई लड़के-लड़कियों की शादी कम उम्र में ही कर दी जाती है. हाशिए पर पड़े समुदायों के बच्चों का समग्र विकास और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना सामाजिक प्राथमिकता नहीं मानी जाती.”

2018 की एक स्टडी के मुताबिक, ग्रामीण इलाकों में लड़कियों के स्कूल न जाने के मुख्य कारण घर के कामकाज, खेती-बाड़ी का काम और पारिवारिक ज़िम्मेदारियां थीं. कई लड़कियां पानी लाने, लकड़ी इकट्ठा करने, भाई-बहनों की देखभाल करने या खेती के काम में मदद करने में घंटों बिताती थीं, खासकर जब उनके माता-पिता काम के लिए बाहर जाते थे.

क्षेत्रीय विविधताएं

साल 2023-24 में कई उत्तरी और पूर्वोत्तर राज्यों में आदिवासी छात्रों के नामांकन में सबसे ज़्यादा गिरावट दर्ज की गई.

मेघालय में 71.6 अंकों की गिरावट देखी गई, जो प्राथमिक स्तर पर 157 प्रतिशत से माध्यमिक स्तर पर 85.4 प्रतिशत तक पहुंच गई. इसके बाद बिहार में 55.6 अंकों की गिरावट आई. वहीं जम्मू-कश्मीर, मणिपुर और मिज़ोरम में 35 अंकों या उससे अधिक की गिरावट देखी गई.

हालांकि, इसके विपरीत तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल जैसे दक्षिणी राज्यों में कम गिरावट दर्ज की गई.

ज़्यादातर ड्रॉपआउट हायर सेकेंडरी शिक्षा से पहले ही हो जाते हैं

कुल मिलाकर देश भर में नामांकन 2022-23 में 24.16 करोड़ छात्रों से घटकर 2023-24 में 23.49 करोड़ रह गया. इस गिरावट का 75 प्रतिशत हिस्सा प्राथमिक स्तर पर था.

इस वर्ष मार्च में, सरकार ने राज्यसभा को बताया कि स्कूल छोड़ने वाले बच्चों के प्रमुख कारणों में घरेलू आय में वृद्धि की आवश्यकता, घरेलू कामों में हाथ बंटाना, पढ़ाई में रुचि की कमी, माता-पिता द्वारा शिक्षा को जरूरी न समझना और विवाह आदि शामिल हैं.

इसमें आगे कहा गया, “इसके अलावा केंद्र सरकार ड्रॉपआउट को कम करने के लिए समग्र शिक्षा की केंद्र प्रायोजित योजना के माध्यम से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सहायता करती है.”

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments