नारंगी देई माझी, एक आदिवासी महिला, जिन्होंने पिछले महीने राहुल गांधी की ओडिशा यात्रा के दौरान उनसे मुलाकात की थी और रायगढ़ा और कालाहांडी में कथित अवैध खनन को उजागर किया था… उन्हें 2 अगस्त को रायगढ़ा में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.
इस कदम की पर्यावरण और अधिकार कार्यकर्ताओं ने आलोचना की.
नारंगी उस आदिवासी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थीं जिसने 11 जुलाई को भुवनेश्वर में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की रैली के दौरान उन्हें एक ज्ञापन सौंपा था.
अब उनकी गिरफ़्तारी से कार्यकर्ताओं में आक्रोश फैल गया है और उनका दावा है कि यह कॉर्पोरेट समर्थित खनन का विरोध करने वालों को डराने-धमकाने की एक प्रवृत्ति का हिस्सा है.
साल 2017 के गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार विजेता प्रफुल्ल सामंतरा ने कहा कि नारंगी से 1 से 9 अगस्त तक विश्व आदिवासी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित पदयात्रा में हिस्सा लेने की उम्मीद थी. जिसका उद्देश्य आदिवासी क्षेत्र में अंधाधुंध खनन के खिलाफ जनमत तैयार करना था.
उन्होंने कहा, “लेकिन जब वह (नारंगी देई) अपनी बहू के प्रसव के दौरान उसकी देखभाल करने रायगढ़ आई थीं, तब उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.”
फर्जी मामलों के खिलाफ अभियान (CAFC) के राज्य संयोजक नरेंद्र मोहंती ने कहा कि नारंगी ने इससे पहले 28 मई को सिजिमाली खनन स्थल पर पुलिस की पहुंच को रोका था. जब आदिवासियों ने पुलिस वाहनों को क्षेत्र में प्रवेश करने से रोक दिया था ताकि वे कथित तौर पर खनन कंपनियों की सहायता के लिए एक शिविर स्थापित न कर सकें.
मोहंती ने आगे बताया कि उन्होंने 5 जून को कार्यकर्ता मेधा पाटकर को क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकने के रायगढ़ प्रशासन के कदम का भी विरोध किया था.
बाद में नारंगी अन्य आदिवासियों के साथ भुवनेश्वर में राहुल गांधी से मिलने गईं और उन्हें पर्यावरणीय क्षति और आदिवासियों की आजीविका पर ख़तरों के बारे में बताया.
इस मुलाकात के दौरान नारंगी ने राहुल से कहा, “सरकार हमारी बात नहीं सुन रही है. हम वेदांता, अडानी और अंबानी को अपनी ज़मीन लूटने नहीं देंगे. उनकी सांठगांठ से तीन लाख से ज़्यादा लोगों को ख़तरा है.”
आदिवासियों का दावा है कि पहाड़ियों में खनन से वहां से निकलने वाली लगभग 200 नदियां सूख जाएंगी.
उन्होंने कहा, “सरकार ने संविधान का उल्लंघन किया है और निगमों का पक्ष लिया है. उन्होंने क्रूर पुलिस बल का इस्तेमाल किया है, ग्राम सभा की मंज़ूरियों की अनदेखी की है, वन अधिकार अधिनियम और पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम को दरकिनार किया है और कंपनियों की मदद के लिए फ़र्ज़ी रिपोर्टें दर्ज की हैं.”
जहां वेदांता को रायगढ़ा में सिजिमाली बॉक्साइट खदानें आवंटित की गई हैं. वहीं अडानी की मुंद्रा एल्युमीनियम लिमिटेड के पास रायगढ़ा और कालाहांडी में कुट्रुमाली ब्लॉक है. अडानी को कोरापुट में बल्लाडा बॉक्साइट ब्लॉक भी मिला है.

