ओडिशा में आज भी हजारों गांव ऐसे हैं जहां लोग मोबाइल नेटवर्क जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित हैं.
यह बात हाल ही में राज्यसभा में पेश की गई एक रिपोर्ट में सामने आई है.
रिपोर्ट के अनुसार, ओडिशा के 51,176 गांवों में से 1,921 गांवों में अभी तक मोबाइल कनेक्टिविटी उपलब्ध नहीं है.
इसका मतलब है कि राज्य के कई दूरदराज और आदिवासी इलाके आज भी डिजिटल दुनिया से कटे हुए हैं.
यह जानकारी संचार राज्य मंत्री पेम्मासानी चंद्रशेखर ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में दी.
उन्होंने बताया कि ओडिशा के 48,490 गांवों में मोबाइल नेटवर्क की सुविधा है, लेकिन बाकी गांव अब भी कनेक्टिविटी से वंचित हैं.
खास बात यह है कि इनमें से कई गांव आदिवासी इलाकों में हैं, जहां शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसी सेवाएं पहले से ही सीमित हैं, और मोबाइल नेटवर्क की कमी से वहां के लोग और भी ज्यादा परेशान हैं.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि ओडिशा के कुल 19,519 आदिवासी गांवों में से 18,302 गांवों में मोबाइल सेवा है, लेकिन 1,217 गांव ऐसे हैं जहां अब भी नेटवर्क नहीं है.
इससे यह साफ होता है कि जनजातीय इलाकों में अब भी डिजिटल पहुंच अधूरी है.
यह स्थिति न केवल सरकार की ‘डिजिटल इंडिया’ योजना को प्रभावित करती है, बल्कि लोगों को जरूरी सेवाओं से भी दूर रखती है.
राज्य में मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध कराने के लिए अब तक कुल 98,848 मोबाइल टावर लगाए गए हैं.
इनमें से 88,360 टावर निजी कंपनियों के हैं, जबकि 10,488 टावर भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) द्वारा लगाए गए हैं.
लेकिन इतने टावर होने के बावजूद कई इलाके नेटवर्क से वंचित हैं.
सरकार ने इस समस्या को सुलझाने के लिए ‘डिजिटल भारत निधि’ योजना के तहत वंचित गांवों में नए मोबाइल टावर लगाने की योजना बनाई है.
इस योजना का मकसद यह है कि हर गांव तक मोबाइल नेटवर्क की सुविधा पहुंचे, खासकर उन इलाकों में जो अब तक पिछड़े हुए हैं.
सरकार का यह कदम जरूरी है क्योंकि आज के समय में मोबाइल नेटवर्क केवल बातचीत का जरिया नहीं, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, बैंकिंग और सरकारी सेवाओं का भी आधार बन चुका है.
अगर गांवों को डिजिटल रूप से जोड़ा जाए, तो उनका विकास भी तेजी से हो सकता है.

