ओडिशा की प्रमुख क्षेत्रीय पार्टी बीजू जनता दल दिल्ली पहुंची और केंद्र सरकार से साफ कहा कि पोलावरम प्रोजेक्ट तब तक आगे नहीं बढ़ना चाहिए जब तक इस प्रोजेक्ट से जुड़ी ओडिशा के आदिवासियों की चिंता, दूर न कर दी जाए.
बीजेडी नेताओं ने पहले जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल और सेंट्रल वॉटर कमिशन (CWC) के चेयरमैन से मुलाक़ात की
इसके बाद उन्होंने जनजातीय मामलों के मंत्री जुएल ओराम को भी ज्ञापन दिया.
बीजेडी का कहना है कि सरकार ने इस प्रोजेक्ट को पहले 36 लाख क्यूसेक पानी रोकने के हिसाब से मंजूरी दी थी. लेकिन अब इसे बदलकर 50 लाख क्यूसेक कर दिया गया है. यानी बाँध में और ज़्यादा पानी रोका जाएगा.
इसका मतलब है कि ओडिशा और छत्तीसगढ़ के क्षेत्र के डूबने का खतरा बढ़ गया है. पार्टी का कहना है कि अब तक इस बदलाव का ठीक से अध्ययन भी नहीं हुआ है.
पार्टी ने मांग की है कि प्रोजेक्ट का काम तब तक रोका जाए जब तक ओडिशा की चिंताओं को दूर नहीं किया जाता.
पार्टी चाहती है कि मलकानगिरी के आदिवासियों से बात करके ही पुनर्वास और मुआवज़े की योजना बनाई जाए.
इसके साथ ही बीजेडी ने ओडिशा को होने वाले नुकसान के पूरे मुआवज़े की भी मांग की है.
पार्टी नेताओं का कहना है कि अगर बांध से पानी छोड़ा गया तो कितना इलाका डूबेगा, इसकी जांच नए सिरे से दोबारा जांच होनी चाहिए.
आंध्र प्रदेश का पोलावरम प्रोजेक्ट वहाँ के लोगों को पानी और बिजली देने के लिए शुरु हुआ था. लेकिन ओडिशा के मलकानगिरी ज़िले के आदिवासियों को डर है कि इस प्रोजेक्ट की वजह से उनकी ज़मीन और घर पानी में डूब जाएंगे.
मलकानगिरी में बहुत बड़ी संख्या में आदिवासी रहते हैं. इनमें कोया, बोंडा, डिडाय, गोंड जैसे कई छोटे-छोटे समुदाय हैं. ये आदिवासी खेती और जंगल पर निर्भर रहते हैं.
अगर उनकी ज़मीन पानी में डूब गई तो वे न घर बचा पाएंगे, न खेती, और न ही रोज़गार.
उनकी इसी चिंता को बीजेडी ने केंद्रीय जनजातीय मंत्री के सामने रखा है.
पार्टी का कहना है कि परियोजना के क्रियान्वयन में पारदर्शिता की काफ़ी कमी है.
बीजेडी के अनुसार, केंद्र ने हाल ही में ओडिशा की सहमति के बिना परियोजना को पूरा करने के लिए ₹17,936 करोड़ मंजूर किए. इसके कारण विस्थापन और क्षेत्रीय नुकसान का खतरा बढ़ गया है.
साल 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सेंट्रल वाटर कमीशन (CWC) को आगे बढ़कर इस मुद्दे पर सभी राज्यों के बीच चर्चा करवानी चाहिए और बैकवॉटर स्टडी ज़रूरी है.
पार्टी का कहना है कि अब तक यह स्टड़ी नहीं हुई है. इससे साफ दिखता है कि योजना बनाने की प्रक्रिया में ओडिशा को नज़रअंदाज़ कर दिया गया है.