24 अगस्त 2025 को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक चंपई सोरेन को रांची जिले के नगड़ी क्षेत्र में आयोजित एक आदिवासी आंदोलन में शामिल होने से पहले ही नजरबंद (हाउस अरेस्ट) कर दिया गया.
यह आंदोलन उस जमीन अधिग्रहण के खिलाफ था, जो राज्य सरकार की RIMS 2 (Ranchi Institutre Medical Science) अस्पताल परियोजना के लिए किया जा रहा है.
इस प्रदर्शन में स्थानीय आदिवासी “हल जोतो, रोपा रोपो” आंदोलन के तहत शांतिपूर्ण तरीके से अपने खेतों में हल चला रहे थे और धान की रोपाई कर रहे थे.
उनका कहना था कि यह जमीन उनकी आजीविका का आधार है और सरकार इसे जबरन छीन रही है.
सुबह करीब 7 बजे चंपई सोरेन के घर पर एक DSP रैंक के अधिकारी पहुंचे और उन्हें कहा गया कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए वे अपने घर से बाहर नहीं जा सकते.
इसी के साथ उन्हें नजरबंद कर दिया गया.
चंपई सोरेन ने इसे तानाशाही बताया और कहा कि सरकार आदिवासियों की जमीन छीन रही है और अब आवाज उठाने वालों को भी दबाया जा रहा है.
सिर्फ चंपई सोरेन ही नहीं, उनके बेटे बाबूलाल सोरेन और कई समर्थकों को भी पुलिस ने रास्ते में रोककर हिरासत में लिया.
पूरे क्षेत्र में धारा 144 लागू थी, जिसका मतलब पाँच से ज्यादा लोग एक साथ नहीं खङे हो सकते और पुलिस ने आंदोलन स्थल की ओर जाने वाले हर रास्ते को बंद कर रखा था.
फिर भी, सैकड़ों की संख्या में आदिवासी वहां पहुंचे और अपनी परंपरागत पहचान के साथ विरोध जताया.
कई लोग बैलों के साथ खेतों में पहुंचे, हल चलाया और धान की बुआई की प्रतीकात्मक शुरुआत की.
इसी दौरान पुलिस ने बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश कर रहे कुछ प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल किया, जिसमें कई लोग घायल हो गए.
सरकार की ओर से कहा गया कि RIMS 2 परियोजना राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने के लिए जरूरी है.
यह करीब 1000 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल होगा, जिसमें 2600 बेड होंगे.
सरकार का दावा है कि यह जमीन सरकारी है, जबकि आदिवासियों का कहना है कि वे इस पर दशकों से खेती कर रहे हैं.
इस घटना पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है.
भाजपा नेताओं ने कहा कि चंपई सोरेन को नजरबंद करना लोकतंत्र की हत्या है. वहीं, राज्य सरकार का कहना है कि यह कदम केवल कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए लिया गया.
इस आंदोलन ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या विकास के नाम पर आदिवासियों की जमीन छीनना जायज़ है.