HomeAdivasi Dailyभुवनेश्वर में पहली बार SC/ST कल्याण पर राष्ट्रीय सम्मेलन

भुवनेश्वर में पहली बार SC/ST कल्याण पर राष्ट्रीय सम्मेलन

सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य यह है कि देशभर की अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) समुदायों के लिए जो कल्याणकारी योजनाएँ और कानून हैं, उन पर विचार किया जाए.

ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर 29 और 30 अगस्त 2025 को एक बहुत ही खास और ऐतिहासिक कार्यक्रम की मेजबानी कर रहा है.

यह कार्यक्रम है – संसद और राज्य विधानसभाओं की SC/ST कल्याण समितियों का राष्ट्रीय सम्मेलन. यह पहला मौका है जब इस तरह का सम्मेलन दिल्ली के बाहर आयोजित किया जा रहा है.

इसकी अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने की.

सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य यह है कि देशभर की अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) समुदायों के लिए जो कल्याणकारी योजनाएँ और कानून हैं, उन पर विचार किया जाए.

साथ ही यह देखा जाए कि अब तक इन योजनाओं से क्या लाभ मिला है और आगे इन्हें कैसे और बेहतर बनाया जा सकता है.

सम्मेलन का विषय है – “संसदीय और विधायी समितियों की भूमिका: SC/ST कल्याण, विकास और सशक्तिकरण.

इस सम्मेलन में देशभर से सांसद, विधायक और विधानसभाओं की SC/ST समितियों के अध्यक्ष शामिल हुए.

ओडिशा की विधानसभा अध्यक्ष सुरमा पाधी ने बताया कि करीब 120 प्रतिनिधियों ने रजिस्ट्रेशन कराया और कुल 240 लोगों के आने की उम्मीद है.

सम्मेलन में कई बड़े नेताओं ने भाग लिया, जिनमें ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी, केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री जुएल ओराम, और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान प्रमुख थे.

इसके अलावा राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह और संसदीय SC/ST समिति के अध्यक्ष फग्गन सिंह कुलस्ते ने भी सभा को संबोधित किया.

सम्मेलन स्थल पर एक सुंदर सांस्कृतिक प्रदर्शनी भी लगाई गई है, जिसमें ओडिशा के आदिवासी समाज की जीवनशैली, पहनावा, कला, हस्तशिल्प और संस्कृति को दिखाया गया.

यह प्रदर्शनी यह साबित करती है कि आदिवासी जीवन कितना विविधतापूर्ण और समृद्ध है.

प्रतिभागियों को जगन्नाथ मंदिर, ओडिशा ट्राइबल म्यूजियम, और कोणार्क सूर्य मंदिर जैसे ऐतिहासिक स्थलों की सैर भी करवाई गई.

इससे वे ओडिशा की संस्कृति और विरासत को करीब से जान पाए.

इस दो दिन के सम्मेलन में यह चर्चा भी हुई कि SC/ST समुदायों के लिए बनाई गई योजनाओं को और पारदर्शी और असरदार कैसे बनाया जाए.

सम्मेलन के अंत में एक समापन सत्र हुआ जिसमें ओडिशा के राज्यपाल हरिबाबू कांबम्पति ने मुख्य भाषण दिया.

यह सम्मेलन एक बड़ी पहल थी जो देश के सबसे पिछड़े समझे जाने वाले समुदायों को मुख्यधारा में लाने की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है.

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