महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले में एक चौंकाने वाली और भावुक कर देने वाली घटना सामने आई है.
जहाँ एक गर्भवती महिला को सड़क न होने के कारण बांस की बनी पालकी पर करीब 6 किलोमीटर तक पैदल ले जाया जा रहा था और इसी दौरान उसने रास्ते में ही बच्चे को जन्म दे दिया.
यह घटना अक्कलकुवा तालुका के वेघी बारिपाड़ा नामक गांव की है, जहाँ आज भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव साफ नजर आता है.
गांव तक पक्की सड़क न होने के कारण महिला को एम्बुलेंस की सुविधा नहीं मिल पाई.
ग्रामीणों ने मिलकर बांस और कपड़े की मदद से एक अस्थायी पालकी (स्ट्रेचर) बनाई और महिला को उस पर लिटाकर झोली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक ले जाने का प्रयास किया.
रास्ता पहाड़ी और जंगलों से होकर गुजरता है.
यह सफर आसान नहीं था, लेकिन ग्रामीणों के पास कोई और विकल्प नहीं था.
महिला का दर्द बढ़ता जा रहा था और स्वास्थ्य केंद्र दूर था.
जब महिला को ले जाते हुए करीब आधा रास्ता तय किया गया, तभी उसे तेज प्रसव पीड़ा हुई और वहीं जंगल के बीच रास्ते में ही उसने बच्चे को जन्म दे दिया.
यह पूरी घटना दिल को छू लेने वाली थी, क्योंकि यह उस संघर्ष को दर्शाती है जो आज भी भारत के कई ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में लोग झेल रहे हैं.
गर्भवती महिला और उसका नवजात बच्चा फिलहाल सुरक्षित हैं.
लेकिन यह मामला एक बड़ा सवाल खड़ा करता है कि आज़ादी के इतने सालों बाद भी कुछ गांवों में क्यों अब तक सड़क नहीं पहुंच पाई है.
नंदुरबार जिला पहले भी ऐसी घटनाओं के लिए चर्चा में रहा है.
यहाँ के कई गाँव ऐसे हैं जहाँ बारिश के मौसम में संपर्क पूरी तरह टूट जाता है.
एम्बुलेंस समय पर नहीं पहुंच पाती और कई बार लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ती है.
सरकार की तरफ से बार-बार वादे किए जाते हैं कि हर गांव तक सड़क पहुँचाई जाएगी, लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे काफी अलग है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने कई बार प्रशासन से सड़क बनाने की मांग की है, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई.
अगर उस दिन महिला की हालत ज्यादा बिगड़ जाती या नवजात को कुछ हो जाता तो एक और मासूम की जान केवल बुनियादी सुविधा की कमी के कारण चली जाती.