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मध्य प्रदेश: आदिवासी स्कूल के छात्र की मौत, पिता ने झोलाछाप डॉक्टर पर लगाया आरोप   

स्थानीय लोगों का कहना है कि छात्रावासों में अक्सर बीमार बच्चों को तुरंत अस्पताल ले जाने की बजाय स्थानीय स्तर पर इलाज कराने की कोशिश की जाती है, जिससे ऐसी दुर्घटनाएं हो सकती हैं

मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के बलकवाड़ा में स्थित सीनियर आदिवासी हायर सेकेंडरी स्कूल के छात्रावास में एक दुखद घटना सामने आई है.

यहां रहने वाले 17 वर्षीय छात्र सुरेश कौर की मंगलवार शाम को अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद मौत हो गई.

इस घटना ने स्थानीय समुदाय और स्कूल प्रशासन को झकझोर कर रख दिया है.

सुरेश के पिता ने आरोप लगाया है कि उनके बेटे की मौत एक झोलाछाप डॉक्टर के गलत इंजेक्शन की वजह से हुई है.

इस मामले की जांच शुरू हो चुकी है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है.

सुरेश कौर आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाला एक होनहार छात्र था, जो बलकवाड़ा के सीनियर आदिवासी हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ाई करता था.

यह स्कूल खरगोन जिले में आदिवासी छात्रों के लिए शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, जहां दूर-दराज के गांवों से आए बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ छात्रावास में रहते हैं.

मंगलवार की शाम को सुरेश ने छात्रावास में खाना खाया. इसके कुछ देर बाद उसे सर्दी, खांसी और बुखार की शिकायत शुरू हुई.

उसकी हालत देखकर छात्रावास के कर्मचारियों ने उसे तुरंत गांव के एक स्थानीय डॉक्टर के पास ले जाने का फैसला किया.

गांव के उस डॉक्टर ने सुरेश को एक इंजेक्शन लगाया.

लेकिन इंजेक्शन लगने के तुरंत बाद सुरेश को चक्कर आने लगे और वह बेहोश हो गया.

उसकी हालत तेजी से बिगड़ने लगी.

आनन-फानन में उसे खरगोन जिला अस्पताल ले जाया गया, लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया.

इस घटना ने सुरेश के परिवार, दोस्तों और स्कूल के अन्य छात्रों को गहरे सदमे में डाल दिया.

सुरेश के पिता मुकेश कौर ने स्कूल प्रशासन और डॉक्टर पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

उनका कहना है कि उन्हें बेटे की तबीयत खराब होने की कोई जानकारी नहीं दी गई.

मुकेश ने बताया कि दोपहर 3 बजे तक उन्होंने अपने बेटे से फोन पर बात की थी और तब वह पूरी तरह स्वस्थ था.

उन्होंने दावा किया कि अगर समय पर सही इलाज मिला होता, तो उनके बेटे की जान बच सकती थी.

मुकेश का आरोप है कि गांव के उस डॉक्टर ने बिना उचित योग्यता के इंजेक्शन लगाया, जिसके कारण यह हादसा हुआ.

घटना की सूचना मिलते ही जनजातीय विभाग के सहायक आयुक्त इकबाल हुसैन आदिल, तहसीलदार महेंद्र दांगी और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एमएस सिसौदिया तुरंत जिला अस्पताल पहुंचे.

उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दिए हैं.

सहायक आयुक्त इकबाल हुसैन ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर यह पता लगाया जाएगा कि मौत का सही कारण क्या था.

अगर जांच में किसी की लापरवाही सामने आती है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

चिकित्सा विभाग भी उस कथित झोलाछाप डॉक्टर के बारे में जानकारी जुटा रहा है, जिसने सुरेश को इंजेक्शन लगाया था.

यह घटना आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और शिक्षा संस्थानों में उचित चिकित्सा सुविधाओं की जरूरत को उजागर करती है.

स्थानीय लोगों का कहना है कि छात्रावासों में अक्सर बीमार बच्चों को तुरंत अस्पताल ले जाने की बजाय स्थानीय स्तर पर इलाज कराने की कोशिश की जाती है, जिससे ऐसी दुर्घटनाएं हो सकती हैं.

इस मामले ने प्रशासन को भी सवालों के घेरे में ला दिया है. लोग मांग कर रहे हैं कि स्कूलों और छात्रावासों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों.

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