झारखंड के गढ़वा ज़िले के बहेरवा गांव के 18 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTGs) परिवार पिछले कुछ समय से गेरुआसुति गांव के किनारे बसे जंगलों में झोंपडी बना कर रहने को मजबूर हैं.
इन 18 पीवीटीजी परिवारों में कुल 71 लोग हैं. ये सभी आदिवासी जंगली हाथियों के खौफ में जीवन यापन कर रहे हैं.
ये हाथी कुछ ही दिनों के भीतर तीन लोगों को घायल कर चुके हैं, सैकड़ों एकड़ में तैयार खड़ी फसल और इन आदिवासियों के घरों को पूरी तरह नष्ट कर चुके हैं.
बच्चों की पढ़ाई प्रभावित
ये परिवार अपनी सुरक्षा और अपने बच्चों की पढ़ाई को लेकर काफ़ी चिंतित हैं.
इन हाथी हमलों के कारण इन परिवारों के बच्चों की पढ़ाई सबसे ज़्यादा प्रभावित हुई है. इन 71 पीवीटीजी लोगों में 20 बच्चें हैं जो पिछले कुछ महीनों से स्कूल नहीं जा पाए हैं.
फिलहाल जहां ये पीवीटीजी परिवार रह रहे हैं, इन बच्चों के स्कूल वहां से 4 किलोमीटर दूर है.
उन्हें स्कूल तक जाने के लिए जंगली हाथियों वाले रास्ते से होकर जाना पड़ेगा, इसलिए वे स्कूल भी नहीं जा सकते.
पीड़ित परिवारों का कहना है कि प्रशासन ने इन बच्चों को स्कूल भेजने के लिए भी कोई इंतज़ाम या प्रयास नहीं किए हैं.
पीड़ित परिवारों का आरोप है कि अगर प्रशासन ने सही समय पर उन्हें रहने के लिए सुरक्षित जगह पर पहुंचा दिया होता और सुरक्षित ज़मीन मुहैया करवा दी होती तो आज वे शांतिपूर्वक जीवन जी रहे होते.
अधिकारियों का जवाब
पीड़ित परिवारों की व्यथा अखबारों के ज़रिए सामने आने के बाद ज़िले के एसडीएम संजय कुमार ने हाल ही में क्षेत्र का दौरा किया और पीवीटीजी परिवारों से मुलाकात की.
उन्होंने इन परिवारों की स्थिति को दयनीय करार देते हुए भरोसा दिलाया कि समस्या का समाधान जल्द किया जाएगा.
इस दौरान उनके साथ गए मेराल के ब्लॉक डिविज़न ऑफिसर यशवंत नायक ने बताया, “प्रधानमंत्री जन मन योजना के तहत बहेरवा गांव के इन 18 परिवारों के लिए आवास स्वीकृत किए जा चुके हैं और पहली किस्त की राशि उनके खातों में भेजी जा चुकी है.”
एसडीएम संजय कुमार ने भी आश्वस्त किया कि बारिश का मौसम समाप्त होते ही इन परिवारों के घर उनकी पैतृक ज़मीन पर बना दिए जाएंगे.
वहीं गढ़वा (उत्तर वन प्रभाग) के डीएफओ अंशुमन ने कहा कि प्रभावित परिवारों को घरों के नुकसान की भरपाई सरकारी प्रावधानों के तहत पहले ही दी जा चुकी है.
गढ़वा के डीडीसी पी.एन. मिश्रा ने कहा, “इन पीवीटीजी परिवारों के विस्थापन की कोई लिखित या मौखिक सूचना हमें पहले नहीं मिली थी. अब विस्तृत जानकारी जुटाने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी. सरकार की ओर से उपलब्ध सभी संभव सहायता इन्हें दी जाएगी.”