कर्नाटक के कुरुबा समुदाय को लेकर एक बड़ा फैसला लिया जा सकता है. सरकार इस समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) सूची में शामिल करने पर विचार कर रही है.
अभी इस समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) का दर्जा प्राप्त है.
अगर सरकार इन्हें ST का दर्जा देती है, तो इन्हें शिक्षा, नौकरी और सरकार की कई योजनाओं में आरक्षण और दूसरी सुविधाएँ मिलेंगी.
यह फैसला बिडर, कलबुर्गी और यदगीर जिलों में रहने वाले कुरुबा लोगों पर लागू हो सकता है, क्योंकि इन जिलों में इनकी संख्या ज़्यादा है.
राज्य सरकार जल्द ही इस बारे में एक बैठक करने वाली है, जिसमें यह तय होगा कि क्या इन्हें ST की सूची में शामिल किया जाए या नहीं.
कुरुबा समुदाय बहुत समय से यह मांग कर रहा है कि उन्हें अनुसूचित जनजाति में रखा जाए, क्योंकि उनका रहन-सहन और स्थिति बाकी जनजातीय लोगों जैसी ही है.
इस समुदाय के लोग कहते हैं कि अगर उन्हें यह दर्जा मिलेगा, तो वे समाज में आगे बढ़ पाएंगे.
एक और बात यह है कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया खुद इसी समुदाय से आते हैं.
वे इस समय राज्य के आदिवासी कल्याण विभाग के प्रभारी भी हैं, इसलिए इस फैसले को लेकर चर्चा और भी तेज हो गई है.
सरकार ने पहले ही एक रिपोर्ट बनवाई थी जिसमें ये देखा गया कि कुरुबा लोगों को ST का दर्जा दिया जाना चाहिए या नहीं.
यह रिपोर्ट मार्च 2023 में तैयार हुई थी और अब सरकार उसे केंद्र सरकार को भेजने की तैयारी में है.
केंद्र सरकार की मंज़ूरी के बाद ही यह बदलाव पूरी तरह लागू हो पाएगा.
इस बीच, कर्नाटक में 22 सितंबर से लेकर 7 अक्टूबर तक एक जाति जनगणना भी हो रही है.
इससे सरकार को यह समझने में मदद मिलेगी कि राज्य में कौन-कौन से समुदाय कहाँ और किस स्थिति में रहते हैं.
2015 में भी एक ऐसी जनगणना हुई थी, लेकिन उसे लागू नहीं किया गया था.
अगर कुरुबा समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलता है तो उन्हें सरकारी नौकरियों, स्कूलों और कॉलेजों में ज्यादा मौके मिलेंगे.
साथ ही, उन्हें और ज्यादा राजनीतिक प्रतिनिधित्व भी मिल सकता है. इससे उनका सामाजिक और आर्थिक विकास तेज हो सकता है.
अब सबकी नजरें इस बात पर हैं कि सरकार इस पर क्या फैसला लेती है और कब लेती है. अगर यह फैसला हो गया, तो कुरुबा समुदाय के लिए यह एक बड़ा बदलाव होगा