प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने 75वें जन्मदिन पर मध्यप्रदेश के धार ज़िले से ‘सेवा पखवाड़ा’ शुरू करेंगे, जिसमें विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों और आदिवासी समुदायों के लिए कई महत्वपूर्ण पहलों की शुरुआत होगी.
यह कार्यक्रम 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चलेगा. इस अवसर पर “स्वस्थ नारी सशक्त परिवार” अभियान का उद्घाटन भी होगा. इसका उद्देश्य मातृ स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा और परिवारों की मजबूती पर ध्यान देना है.
धार में मोदी एक और बड़ी परियोजना ‘PM Mitra Park’ का उद्घाटन करेंगे, जिसके ज़रिए टेक्सटाइल उद्योग में करीब ₹23,140 करोड़ के निवेश का वादा किया गया है.
यह निवेश रोजगार बढ़ाने और टेक्सटाइल सेक्टर को मजबूत बनाने की राह में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.
देशभर में स्वास्थ्य शिविरों की व्यवस्था की जाएगी.
सरकार के सूत्रों के अनुसार एक लाख से अधिक स्वास्थ्य शिविर (health camps) आयोजित किए जाएंगे.
मातृत्व स्वास्थ्य से जुड़ी ज़रूरतों और जानकारी के लिए एक नया चैटबॉट ‘सुमन सखी’ (Suman Sakhi) लॉन्च किया जाएगा, ताकि गर्भवती महिलाओं और नवजातों की देखभाल आसान हो सके.
आदिवासी इलाकों के लिए सरकार एक नई पहल ‘आदि सेवा पर्व’ शुरू कर रही है, जिसका फोकस स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण, आजीविका और जल संरक्षण पर होगा.
ये पहल उन इलाकों में की जाएँगी जहाँ विकास की गति अभी धीमी है, ताकि लोगों को बुनियादी सुविधाएँ बेहतर तरीके से मिले.
इससे पहले, बिहार में चुनावों की तैयारी को देखते हुए भाजपा राज्य में ‘चालो जीते हैं’ नामक एक शॉर्ट फिल्म का प्रदर्शन करेगी, जिसमें प्रधानमंत्री के बचपन की चुनौतियाँ दिखाई जाएँगी.
ये फिल्म विशेष रथों (raths) के माध्यम से लगभग 50,000 स्थानों पर दिखाई जाएगी, ताकि जनता में सकारात्मक सोच और प्रेरणा जाग्रत हो सके.
प्रधानमंत्री मोदी का यह मानना है कि हर नागरिक उनकी जिन्दगी से प्रेरणा ले सकता है — सेवा, संघर्ष और निश्चय से भरी यात्रा से.
सरकार की कोशिश है कि ये पहल ‘सेवा’ की भावना को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाएँ, और बदलाव की किरण हर कोने में दिखे.
इस सबका मकसद सिर्फ समारोह करना नहीं है, बल्कि जीवन की गुणवत्ता बदलना है — वहीं जहां स्वास्थ्य सेवा कम है, शिक्षा सुविधाएँ दूर हैं और आजीविका संकट में है. ‘
सेवा पखवाड़ा’ और ‘आदि सेवा पर्व’ जैसी योजनाएँ इन्हीं जरूरतों को पूरा करने की कोशिश हैं.
धार से शुरू इस यात्रा से उम्मीद है कि देशभर के समुदायों, खासकर महिलाओं और आदिवासियों को वास्तविक लाभ पहुंचे.