HomeAdivasi Dailyकोदार में आदिवासियों का ज़मीन बचाओ आंदोलन तेज़

कोदार में आदिवासियों का ज़मीन बचाओ आंदोलन तेज़

कोदार गाँव के कुछ अन्य निवासियों ने भी अपने स्तर पर कदम उठाए हैं. विष्राम गाओंकर के नेतृत्व में लोगों के एक समूह ने स्थानीय पंचायत और ब्लॉक विकास अधिकारी को एक प्रस्तुति दी है.

गोवा के कोदार गाँव में प्रस्तावित आईआईटी गोवा कैंपस को लेकर स्थानीय लोग लगातार विरोध कर रहे हैं.

गाँव के निवासियों का कहना है कि इस परियोजना से उनकी जमीन, उनका जीवन और आसपास का पर्यावरण प्रभावित होगा.

इसी कारण से गाँव के एक प्रतिनिधिमंडल ने जनजातीय कल्याण मंत्री रमेश तवाडकर से मुलाकात की. इस टीम में ज्ञानेश्वर खांडेपारकर, गौतम कोडरकर, महादेव गौदे और सतीश गौदे शामिल थे.

इन लोगों ने मंत्री से निवेदन किया कि वे गाँव का दौरा करें और वहाँ की वास्तविक स्थिति को अपनी आँखों से देखें.

उन्होंने मंत्री से यह भी कहा कि गाँव के लोग पूरी तरह से इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं और चाहते हैं कि सरकार अपने निर्णय पर दोबारा विचार करे.

मंत्री ने गाँव वालों की बात सुनी और उन्हें आश्वासन दिया कि वे जल्द ही कोदार गाँव का दौरा करेंगे और सबकी राय भी लेंगे.

कोदार गाँव के कुछ अन्य निवासियों ने भी अपने स्तर पर कदम उठाए हैं. विष्राम गाओंकर के नेतृत्व में लोगों के एक समूह ने स्थानीय पंचायत और ब्लॉक विकास अधिकारी को एक प्रस्तुति दी है.

इसमें उन्होंने माँग की है कि एक विशेष ग्राम सभा बुलाई जाए ताकि इस विषय पर खुले तौर पर चर्चा हो सके.

पंचायत के सरपंच और सचिव ने इस माँग को मान लिया है और वादा किया है कि अगले महीने विशेष ग्राम सभा आयोजित की जाएगी.

गाँव वालों को उम्मीद है कि इस ग्राम सभा में उनकी आवाज सुनी जाएगी और वे सरकार के सामने अपने तर्क रख पाएंगे.

इससे पहले दक्षिण गोवा के सांसद कैप्टन विरियाटो फर्नांडीस भी कोदार गाँव पहुँचे थे. उन्होंने गाँव वालों के साथ मुलाकात की और उनके विरोध का समर्थन किया.

सांसद ने स्पष्ट कहा कि वे गाँव वालों के साथ खड़े हैं और उनकी चिंताओं को सरकार तक पहुँचाएंगे.

गाँव के लोग इस समर्थन से कुछ हद तक उत्साहित हुए हैं लेकिन उनका मानना है कि जब तक सरकार औपचारिक रूप से इस परियोजना को वापस नहीं लेती, तब तक उनकी लड़ाई जारी रहेगी.

गाँव वालों का कहना है कि सरकार ने उन्हें अब तक इस परियोजना के कारणों और तर्कों के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं दी है.

उन्हें डर है कि आईआईटी कैंपस बनने से उनके जीवन पर सीधा असर पड़ेगा और उनकी परंपरागत संस्कृति और प्रकृति को नुकसान पहुँचेगा.

इसलिए वे चाहते हैं कि मंत्री स्वयं आकर उनकी बातें सुनें और सरकार इस मुद्दे पर पुनर्विचार करे.

फिलहाल स्थिति यह है कि मंत्री ने गाँव का दौरा करने की सहमति दे दी है और पंचायत भी विशेष ग्राम सभा बुलाने जा रही है.

अब गाँव वाले इसी इंतजार में हैं कि उनके विरोध और चिंताओं को सरकार गंभीरता से ले और उनके पक्ष में कोई ठोस कदम उठाए.

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