गुजरात सरकार ने किसानों और कृषि से जुड़े उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए एक नई कृषि-व्यवसाय नीति (Agri-Biz Policy) तैयार की है.
इस नीति का उद्देश्य है कि राज्य में खासकर महिलाओं और आदिवासी समुदाय से आने वाले कृषि-उद्यमियों को अधिक समर्थन दिया जाए.
यह नीति पहले लागू की गई 2016 की नीति का नया रूप है.
2016 में जो नीति लाई गई थी, वह साल तक प्रभावी रही.
उसके बाद समय-समय पर उसमें बदलाव होते रहे, लेकिन अब सरकार पूरी तरह से एक नई नीति को लागू करने की तैयारी में है.
इस बार सरकार ने यह महसूस किया है कि महिलाओं और आदिवासी समुदाय के पास संसाधनों की कमी होती है, जबकि उनमें कृषि से जुड़े व्यवसायों में आगे बढ़ने की क्षमता होती है.
इसलिए इस बार नीति में उन्हें विशेष प्राथमिकता दी जा रही है.
इस नीति में महिलाओं और आदिवासी उद्यमियों को बैंक से लिए जाने वाले कृषि-व्यवसाय ऋणों पर ब्याज में अतिरिक्त दो प्रतिशत की छूट दी जाएगी.
इसका मतलब यह है कि अगर सामान्य किसान को बैंक से कर्ज लेने पर किसी निश्चित दर पर ब्याज देना होता है, तो इन समूहों को उस दर से दो प्रतिशत कम ब्याज देना होगा.
इससे इन लोगों पर आर्थिक बोझ कम होगा और वे अपने व्यवसाय को शुरू करने या बढ़ाने के लिए आगे बढ़ सकेंगे.
नई नीति में सरकार ने कृषि से जुड़े सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिए पूंजी सहायता बढ़ाने की योजना बनाई है.
इन उद्यमों को सब्सिडी भी दी जाएगी ताकि वे अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ा सकें और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा कर सकें.
सरकार का उद्देश्य यह भी है कि कृषि के क्षेत्र में तकनीक और सेवा आधारित व्यवसायों को भी प्रोत्साहित किया जाए.
जैसे, कृषि में ड्रोन तकनीक, मिट्टी की गुणवत्ता जाँचने की सेवाएं, या फिर किसानों को ऑनलाइन सहायता देने वाले प्लेटफॉर्म — इन सबको नीति में शामिल कर विशेष सहायता देने की बात कही गई है.
एक दिलचस्प बात यह है कि नई नीति में एक नई श्रेणी ‘सूक्ष्म कृषि उद्यमों’ (micro agri-enterprises) की परिकल्पना की जा रही है.
इसका मकसद छोटे स्तर पर कृषि या उससे जुड़े काम करने वाले उद्यमों को एक पहचान और सहायता देना है.
इनके अलावा सरकार ‘पे-रोल सपोर्ट स्कीम’ भी शुरू करने पर विचार कर रही है, जिसमें जो उद्यमी किसानों को या ग्रामीण युवाओं को नौकरी देते हैं, उन्हें वेतन देने में सरकार कुछ आर्थिक सहायता देगी.
कृषि के क्षेत्र में काम करने वाले स्टार्टअप्स के लिए ‘सीड फंड’ की व्यवस्था की जा रही है. इससे ऐसे नवाचार आधारित नए उद्यमों को शुरुआती पूंजी मिल सकेगी.
जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए जैविक प्रमाणन को भी मजबूती दी जाएगी. इससे जैविक उत्पादों की बाज़ार में पहचान बढ़ेगी और इन उत्पादों को बेहतर दाम मिल पाएंगे.
किसान उत्पादक संगठन (FPOs) और किसान समूहों को भी खास समर्थन मिलेगा, जिससे वे बाज़ार में मिलकर बेहतर सौदे कर सकें और बिचौलियों पर निर्भर न रहें.
इस नीति के माध्यम से सरकार चाहती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि आधारित उद्योगों का विकास हो, स्थानीय स्तर पर रोजगार उत्पन्न हों, और राज्य के कृषि उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिले.
यह नीति आने वाले कुछ महीनों में औपचारिक रूप से घोषित की जाएगी और लागू की जाएगी. इससे पहले की नीतियों के मुकाबले इस बार ज़्यादा समावेशी और व्यवहारिक पहलुओं को ध्यान में रखा गया है.